Panchachuli Peaks In Uttarakhand: उत्तराखंड देश का एक ऐसा राज्य है जहां देशी के साथ-साथ विदेशी सैलानी भी घूमने के लिए पहुंचते रहते हैं। इस खूबसूरत राज्य को देवों की भूमि के नाम से भी जाना जाता है।
उत्तराखंड की हसीन वादियों में ऐसी कई अद्भुत और अनोखी जगहें मौजूद हैं, जिन्हें एक्सप्लोर करना कई सैलानियों के लिए सपना हो सकता है। उत्तराखंड के हिमालय की गोद मौजूद पंचाचूली पर्वत कुछ इसी तरह की जगह है।
इस आर्टिकल में हम आपको पंचाचूली पर्वत की खासियत और यहां आसपास मौजूद कुछ मनमोहक और अद्भुत जगहों के बारे में बताने जा रहे हैं, जहां आप भी घूमने पहुंच सकते हैं।
पंचाचूली पर्वत उत्तराखंड के पूर्वी कुमाऊं क्षेत्र के अंत में दारमा घाटी में दुग्तु गांव के पास स्थित है। आपको बता दें कि यहां पंचाचूली पर्वत पांच बर्फ से ढकी हिमालय की चोटियों का एक समूह है। इसलिए इसे पंचाचूली पर्वत भी कहा जाता है।
समुद्र तल से करीब 6 हजार से भी अधिक मीटर की ऊंचाई पर स्थित पंचाचूली पर्वत हिमालय की गोद में छिपा हुआ स्वर्ग माना जाता है। यह भारत और तिब्बत सीमा पर स्थित है। पंचाचूली पर्वत को पंचाचूली पर्वत-1, पंचाचूली पर्वत-2-3-4 और पंचाचूली पर्वत-5 के नाम से भी जाना जाता है।
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पंचाचूली पर्वत की खासियत जानने के बाद आप घूमने पर मजबूर हो जाएंगे। यहां स्थित पांचों पर्वत एक से एक अद्भुत और मनमोहक दृश्य प्रस्तुत करते हैं। पांचों पर्वत को देखने के बाद ऐसा लगता है जैसे कुछ कदम की दूरी पर ही स्वर्ग मौजूद है। (भारत के सबसे ऊंचे पहाड़)
पंचाचूली पर्वत साल के लगभग हर महीने बर्फ की चादरों से ढका रहता है। जब सूर्य की किरणें पंचाचूली पर्वत पड़ती है, तो हर तरफ लालिमा दिखाई देता है। यहां आकाश के तारे इस कदर चमकते हैं जैसे कि कोई अंतरिक्ष में गोता लगा रहा हो। बर्फबारी के समय इस पर्वत की खूबसूरती चरम पर होती है।
पंचाचूली पर्वत की पौराणिक कथा बेहद ही दिलचस्प है। पंचाचूली पर्वत के बारे में कहा जाता है कि पर्वत की पांच बिन्दुओं पर पांचों पांडवों ने पांच चूल्हे बनाए थे, इसलिए इस स्थान को कई लोग महाभारत से भी जोड़कर देखते हैं।
पंचाचूली पर्वत को लेकर एक अन्य मिथक है कि इसे धार्मिक ग्रंथों में पंचशिरा पर्वत के नाम से जाना जाता है। कई लोगों का यह भी माना है कि इन पांच पर्वत को युधिष्ठिर, अर्जुन, भीम, नकुल और सहदेव के नाम से भी जाना जाता है।
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि पंचाचूली1-2 पर पहली बार 1973 में चढ़ाई की गई थी। कहा जाता है कि साल 1973 में महेंद्र सिंह के नेतृत्व में भारत-तिब्बत सीमा पुलिस टीम द्वारा सफलतापूर्वक चढ़ाई की गई थी।
इसके अलावा पंचाचूली-4 पर 1995 में न्यूजीलैंड के पर्वतारोहियों ने पहली बार विजय प्राप्त की। पंचाचूली-5 पर 1992 में इंडो-ब्रिटिश टीम ने दक्षिण रिज की ओर से पहली चढ़ाई की थी।
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पंचाचूली पर्वत सैलानियों के लिए बेहद ही खास है। यह पर्वत ट्रेकिंग करने वालों के बीच में सबसे अधिक लोकप्रिय है। यह पर्वतारोहियों के बीच सबसे अधिक फेमस है। कहा जाता है कि सोबला बस टर्मिनल से इस ग्लेशियर तक पहुंचने के लिए करीब 40 किमी की पैदल यात्रा करनी पड़ती है। (कैलाश पर्वत से जुड़ी ये रोचक बातें)
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि मार्च के मध्य से लेकर जून के मध्य तक पंचाचूली ट्रेक पर जाने का सबसे अच्छा समय है।
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