Famous Krishna Temples In South India: जन्माष्टमी का पावन पर्व आने में बस चंद दिन ही बचे हुए हैं। जी हां, इस साल 26 अगस्त को पूरे देश भर में जन्माष्टमी का पर्व मनाया जाएगा।
जन्माष्टमी के पावन मौके पर लगभग हर कोई प्रसिद्ध और पवित्र कृष्ण मंदिर का दर्शन करने के लिए पहुंचते हैं। खासकर, वृन्दावन और द्वारका में सबसे अधिक भक्त पहुंचते हैं।
यह सच है कि वृंदावन और द्वारका को भगवान कृष्ण की नगरी के नाम से जाना जाता है, लेकिन दक्षिण भारत में भी एक ऐसा मंदिर है, जहां आज भी भगवान श्रीकृष्ण की बांसुरी की मधुर धुन सुनाई देती है।
जी हां, वेणुगोपाला स्वामी मंदिर दक्षिण भारत का एक ऐसा कृष्ण मंदिर है, जहां जाना कई भक्तों का सपना हो सकता है। इस आर्टिकल में हम आपको वेणुगोपाला स्वामी मंदिर का इतिहास और इससे जुड़े कुछ रोचक तथ्यों के बारे में बताने जा रहे हैं।
वेणुगोपाला स्वामी मंदिर की पौराणिक कथा जानने से पहले आपको यह बता देते हैं कि यह मंदिर दक्षिण भारत के कर्नाटक में मौजूद है। जी हां, कृष्ण भगवान को समर्पित यह मंदिर कर्नाटक के मैसूर जिले के होसा कन्नमबाड़ी गांव में मौजूद है।
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि वेणुगोपाला स्वामी मंदिर कर्नाटक की राजधानी बेंगलुरु से करीब 145 किमी की दूरी पर स्थित है।
वेणुगोपाला स्वामी मंदिर काफी पुराना है। इस मंदिर के बारे में कहा जाता है कि इस संबंध महाभारत काल से है। किंवदंती के अनुसार, इस मंदिर का निर्माण पांच पांडव भाइयों में से तीसरे और अपने समय के सबसे महान धनुर्धर अर्जुन ने करवाया था। (भारत में है दुनिया का सबसे ऊंचा कृष्ण मंदिर)
वेणुगोपाला स्वामी मंदिर को लेकर एक अन्य किंवदंती है कि इस मंदिर का जीर्णोद्धार करीब 12वीं शताब्दी में होयसल राजवंश द्वारा किया गया था। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि हाल के वर्षों में समय इस मंदिर परिसर में कुछ नए मंदिरों का भी निर्माण करवाया गया है।
वेणुगोपाला स्वामी मंदिर से जुड़ी कहानियां काफी रोचक है। इस प्रसिद्ध मंदिर के बारे में बोला जाता है कि यह करीब 70 सालों तक पानी रहा और धीरे-धीरे जलस्तर कम होते-होते सतह पर आ गया। (केरल के प्रसिद्ध कृष्ण मंदिर)
वेणुगोपाला मंदिर को लेकर एक अन्य यह भी कहानी है कि आधी रात को इस मंदिर परिसर से आज भी भगवान श्रीकृष्ण की बांसुरी की मधुर धुन सुनाई देती है। मान्यता है कि इसी जगह भगवान कृष्ण गायों के झुंड के साथ बांसुरी बजाते थे। इसलिए यहां बांसुरी की मधुर धुन सुनाई देती है।
वेणुगोपाला स्वामी मंदिर में हर समय भक्तों की भीड़ मौजूद रहती हैं। खासकर, होली और जन्माष्टमी के मौके पर यहां देश के हर कोने से कृष्ण भक्त घूमने के लिए पहुंचते हैं।
जन्माष्टमी के आलवा, वेणुगोपाला स्वामी में बड़े ही धूमधाम से रथ महोत्सव का आयोजन किया जाता है। इस रथ महोत्सव में भी भक्तों की भीड़ रहती हैं। रथ महोत्सव के दिन पारंपरिक कार्यक्रमों का भी आयोजन होता है। इस मंदिर की वास्तुकला भी सैलानियों को खूब आकर्षित करती है।
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वेणुगोपाला स्वामी मंदिर पहुंचना बहुत ही आसान है। इसके लिए आप बेंगलुरु से ड्राइव करके आसानी से पहुंच सकते हैं। यह मंदिर बेंगलुरु से करीब 3 घंटे की दूरी पर है। इसके अलावा, मैसूर यह मंदिर करीब 30 किमी की दूरी पर है। मैसूर से आप टैक्सी, कैब या लोकल बस लेकर आसानी से पहुंच सकते हैं।
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