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heer ranjha tomb in pakistan

यहां है हीर-रांझा की कब्र, दूर-दूर से इस गांव को देखने आते हैं लोग

हीर और रांझा की कहानी तो कई बार सुनी होगी, लेकिन क्या आप जानती हैं कि उनका जन्म कहां हुआ था या फिर उनकी कब्र दुनिया के किस कोने में स्थित है?
Editorial
Updated:- 2020-05-20, 17:08 IST

भारत ही नहीं लगभग पूरे एशिया में हीर-रांझा और सोनी-महिवाल जैसे आशिकों के किस्से मश्हूर हैं। कुछ कहते हैं कि ये असल जिंदगी में नहीं थे बल्कि कोरी कल्पना थे तो कुछ इतिहासकारों का मानना है कि ये असली थे। पंजाब से ताल्लुक रखने वाले इन प्रेमियों में सबसे ज्यादा प्रसिद्ध नाम है हीर और रांझा का। कई इतिहासकार मानते हैं कि ये वारिस शाह की कल्पना मात्र थे, लेकिन कई के अनुसार ये दामोदर दास अरोड़ा के करीबी थे। दामोदर दास अरोड़ अकबर के जमाने में रहा करते थे और उन्होंने अपने सामने हीर और रांझा की दास्तां देखी थी। इसके बाद उन्होंने इसे एक कविता की शक्ल दी। उसी कविता को सूफी संतों ने अलग-अलग तरह से दर्शाया।  लॉकडाउन के इस वक्त में हम आपको बताते हैं हीर और रांझा की कहानी से जुड़ी इस खास जगह की।

यहां जन्मी थीं हीर- 

हीर का जन्म झांग नाम के एक गांव में हुआ था। ये पाकिस्तान में स्थित है। जी हां, जिस समय की ये बात है उस समय पाकिस्तान नहीं था बल्कि ये हिंदुस्तान का ही हिस्सा था। पाकिस्तान के पंजाब में स्थित है झांग जहां चेनब नदी के किनारे बसे इस गांव में हीर का जन्म हुआ था। ये लोधी साम्राज्य का दौर था। यहीं पर हीर और रांझा की कब्र भी स्थित है।  

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ये दोनों एक ही कब्र में दफनाए गए हैं और ये कोई बहुत बड़ी टूरिस्ट डेस्टिनेशन नहीं है, फिर भी इतिहास के दीवाने यहां दूर-दूर से आते हैं। उस कब्र पर लिखा है, 'दरबार आशिक-ए-सादिक माई हीर वा मियां रांझा' यानी आशिकों का दरबाद जहां हीर और रांझा मौजूद हैं।  

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ये था हीर और रांझा का असली नाम-  

इतिसाह के कुछ पन्नों में हीर का नाम इज्जत बीबी कहा गया है। ये चूचक सियाल और मल्की की बेटी थीं। रांझा का असली नाम मियां उमर था। वो पास ही के गांव तख्त हज़ारा में पैदा हुए थे जो अपने भाइयों से विवाद के जलते हीर के गांव आ गए थे। दोनों को प्यार हुआ और हीर ने रांझा को अपने ही खेत में नौकरी दिला दी। 

 

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ये दोनों अपने रिश्ते को ऐसे ही प्यार और मोहब्बत से निभा रहे थे कि हीर के चाचा ने हीर के बारे में बात उनके घर पर बता दी और हीर को किसी और के साथ शादी करनी पड़ी। रांझा ने वो जगह छोड़ दी। हीर ने दूसरे इंसान को अपना मानने से मना कर दिया। हीर और रांझा फिर मिले और दोनों घर से भाग गए। लेकिन ये प्यार जल्द ही खत्म कर दिया गया जब हीर को उसके ही घर वालों ने जहर दे दिया। 

 

कहानी के अनुसार हीर की कब्र पर रांझा आया और खूब रोया। कब्र अपने आप ही खुली और रांझा उसी में दफ्न हो गया। 

यहां कई प्यार करने वाले आते हैं और इस मजार पर मत्था टेकते हैं। हीर और रांझा की कहानी तो वैसे भी काफी प्रसिद्ध है, लेकिन दोनों की शादी नहीं हुई थी। फिर भी ऐसा जोड़ा जिनकी शादी होने वाली है वो भी आते हैं। 

वैसे तो ये वो जगह नहीं जहां आसानी से ट्रैवल किया जा सके, लेकिन फिर भी हीर और रांझा की कब्र के बारे में जानकारी तो आपको मिल ही गई। अगर आपको ये स्टोरी अच्छी लगी हो तो इसे शेयर जरूर करें और ऐसी ही अन्य स्टोरी पढ़ने के लिए जुड़े रहें हर जिंदगी से।

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