Destinations to Celebrate Baisakhi: यह तो हम सभी को मालूम है कि भारत विविधताओं वाला देश है, जहां हर धर्म और जाति के लोग रहते हैं। इसलिए यहां की संस्कृति, रीति-रिवाज, वेशभूषा में कई रंग देखने को मिल जाएंगे। यह एक ऐसा देश है जहां दिवाली, होली और ईद जितने उत्साह के साथ मनाई जाती है उतने ही उत्साह के साथ बैसाखी का त्यौहार भी मनाया जाता है।
यह एक ऐसा त्यौहार है जिसे पूरे भारत में बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है। मगर इस त्यौहार के उत्साह के असली रंग केवल पंजाब में ही देखने को मिलते हैं। ऐसे में आज हम आपको कुछ ऐसी जगहों के बारे में बताएंगे, जहां पर आप घूमने का प्लान बना सकते हैं और त्यौहार का मजा दोगुना कर सकते हैं।
तो चलिए आज हम पंजाब या दिल्ली के आसपास उन जगहों की सैर कराते हैं, जहां इस दिन को धूमधाम से मनाया जाता है।
अमृतसर
पंजाब में कई ऐसी जगहें हैं जो अपनी खूबसूरती की वजह से पर्यटकों के बीच मुख्य आकर्षण का केंद्र हैं। मगर अमृतसर पंजाब आध्यात्मिक शहरों में से एक है। यहां देखने के लिए बहुत कुछ है जैसे- स्वर्ण मंदिर, अकाल तख्त, वाघा बॉर्डर, जलियांवाला बाग आदि। बैसाखी के दिन आप अमृतसरको एक्सप्लोर कर सकते हैं। यहां इस त्यौहार की काफी धूम होती है।
इसे ज़रूर पढ़ें-हैप्पी बैसाखी: चलिए चलते हैं देश के फेमस गुरुद्वारों की सैर पर
चंडीगढ़
पंजाब की राजधानी चंडीगढ़ अपनी अनोखी संस्कृति के लिए पूरे भारत में फेमस है। यह एक ऐसा शहर है जहां हर दिन हजारों लोग घूमने के लिए भी पहुंचते हैं। मगर चंडीगढ़ में बैसाखी का त्यौहार बहुत ही धूमधाम से मनाया जाता है।
यहां मेला लगता है और पूरे चंडीगढ़ को सजाया जाता है। घरों में तरह-तरह के पकवान बनाए जाते हैं। आप भी यहां आकर इस रौनक का हिस्सा बन सकते हैं।
पिंजौर
यह जगह ऐसी है जहां भारत के सबसे बड़े बैसाखी 'मेलों' का आयोजन होता है। यहां दो दिवसीय आयोजन किया जाता है। उत्सव का आयोजन हरियाणा राज्य के सूचना, जनसंपर्क और सांस्कृतिक मामलों के विभाग द्वारा पिंजौर गार्डन में किया जाता है।
इसे हरियाणा के पंचकूला में यादवेंद्र गार्डन के नाम से भी जाना जाता है। इस दौरान पूरा पिंजौर सजाया जाता है। तरह-तरह के पकवान बनाए जाते हैं। आप भी यहां आकर इस रौनक का हिस्सा बन सकते हैं।
इसे ज़रूर पढ़ें-पंजाब के बठिंडा में हैं तो जरूर करें ये चीजें
दमदमा साहिब
यह स्थललुधियाना से लगभग 23 किमी दूर स्थित है। अमृतसर आने वाले पर्यटक गुरुद्वारा दमदमा साहिब जरूर आते हैं। इसे छठे सिक्ख गुरू हरगोबिंद जी की स्मृति में बनाया गया था। 1705 में मुक्तसर की लड़ाई के दौरान यहां श्री गुरु गोबिंद साहिब ने कुछ समय के लिए अपनी सेना के साथ विश्राम किया था।
अगर आप शांत जगह की तलाश कर रहे हैं, तो यह परफेक्ट जगह है। बैसाखी के त्यौहार पर इस स्थान पर बड़े मेले का आयोजन होता है। हजारों की तादाद में लोग यहां आते हैं और मत्था टेक कर सरोवर में डुबकियां लगाते हैं।
आप इन जगहों को एक्सप्लोर कर सकती हैं। अगर आपको कोई और जगह मालूम है तो हमें नीचे कमेंट करके जरूर बताएं।
उम्मीद है कि आपको हमारा ये आर्टिकल पसंद आया होगा। इसी तरह के अन्य आर्टिकल पढ़ने के लिए हमें कमेंट कर जरूर बताएं और जुड़े रहें हमारी वेबसाइट हरजिंदगी के साथ।
Image Credit- (@Freepik)
HerZindagi ऐप के साथ पाएं हेल्थ, फिटनेस और ब्यूटी से जुड़ी हर जानकारी, सीधे आपके फोन पर! आज ही डाउनलोड करें और बनाएं अपनी जिंदगी को और बेहतर!
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों