herzindagi
On the occasion of punjab festival baisakhi travel some famous gurudwaras of india ()

हैप्‍पी बैसाखी: चलिए चलते हैं देश के फेमस गुरुद्वारों की सैर पर

आज हम बैसाखी के दिन आपको पंजाब के उन खास गुरुद्वारों की सैर कराते हैं, जहां इस दिन को धूमधाम से मनाया जाता है।
Her Zindagi Editorial
Updated:- 2018-04-14, 14:18 IST

भारत विभिवताओं का देश है। यहां विभिन्‍न धर्म और जाति के लोग रहते हैं । इसलिए यहां कि संस्‍कृति में भी कई रंग, रिवाज और त्‍योहार देखने को मिलते हैं। भारत में दिवाली, होली ओर ईद जितने उत्‍साह के साथ मनाई जाती है उतने ही उत्‍साह के साथ बैसाखी का त्‍योहार भी मनाया जाता है। वैसे तो पूरे देश में इस पर्व को धूमधाम से मनाया जाता है मगर यह बात सच है कि इस त्‍योहार के उत्‍साह के असली रंग केवल पंजाब में ही देखने को मिलते हैं। तो चलिए आज हम बैसाखी के दिन आपको पंजाब के उन खास गुरुद्वारों की सैर कराते हैं, जहां इस दिन को धूमधाम से मनाया जाता है। 

On the occasion of punjab festival baisakhi travel some famous gurudwaras of india ()

Image Courtesy: herzindagi 

आनंदपुर साहिब 

सिखों के इतिहास में 13 अप्रैल, 1666 ईस्वी का दिन एक विशेष महत्‍व रखता है। और इस दिन के साथ ही आनंदपुर साहिब का महत्‍व भी बढ़ जाता है। दरअसल यही वो दिन जब देश भर में बैसाखी का पर्व मनाया जाता है। हां, कभी कभी इस पर्व को हिंदी कलैंडर और महीने के हिसाब से 14 अप्रैल को भी मनाया जाता है जैसे इस साल मनाया जा रहा है। इस दिन गुरु गोबिंद सिंह जी ने श्री आनंदपुर साहिब में खालसा पंथ की स्थापना की थी। स्‍थापना की खुशी में इस दिन को हर साल धूधाम से मनाया जाता है। बड़े बड़े मेलों का आयोजन होता है और लंगर की व्‍यवस्‍था की जाती है। आनंदपुर साहिब सिख धर्म में अमृतसर के बाद दूसरा सबसे पवित्र स्थान माना जाता है। कहा जाता है कि आनन्दपुर साहिब में माथा टेकने से सारी इच्छाएं पूरी हो जाती हैं। बैसाखी ही नहीं यहां पर होली का त्‍योहार भी काफी अच्‍छे से मनाया जाता है। यहां पर इस दौरान 3 दिन के लिए होला मोहल्‍ला का आयोजन किया जाता है। आनंदपुर पंजाब के रूपनगर जिले में सिथित है। यहां पहुंचने के लिए दिल्‍ली से कई ट्रेंने हैं, जो सीधे आपको आनंदपुर ही उतारेंगी। 

Read More: ये हैं वो गुरुद्वारे जिनसे जुड़ा है श्री गुरु नानक देव का इतिहास

On the occasion of punjab festival baisakhi travel some famous gurudwaras of india ()

Image Courtesy: herzindagi 

हजूर साहिब 

हज़ूर साहिब सिख धर्म के पांच तख्तो में से एक है, जिन्हे हज़ूर साहिब, तख़्त सचखण्ड श्री हज़ूर अबचलनगर साहिब और अबचल नगर के नाम से भी जाना जाता है। यह नगर भारत के महाराष्ट्र राज्य के नांदेड़ शहर में मौजूद गोदावरी नदी के तट पर स्थित है। यहां मौजूद गुरूद्वारे को सच-खंड (सत्य के दायरे) के नाम से जाना जाता है।

यह गुरुद्वारा इस लिए भी खास है क्‍योंकि इसका निर्माण उसी जगह पर किया गया जहां पर श्री गुरु गोबिंद सिंह की मृत्यु हुई थी । आपको बता दें कि इस गुरुद्वारे के अंदर ही एक ऐसा स्‍थान मौजूद है जहां 1708 में श्री गोबिंद सिंह जी का दाह संस्‍कार किया गया था। इस गुरूद्वारे का निर्माण सं 1832 से 1837 के मध्य महाराजा रंजीत सिंह (1780–1839) के आदेश पर करवाया गया था।

इस पवित्र स्थान की सबसे मुख्य बात यह है कि यहां एक तिजोरी है जिसमें कई अमूल्य वस्तुएं, हथियार और गुरु के अन्य निजी वस्तुए रखी गयी है। जिस स्‍थान पर यह तिजोरी रखी गई है वहां केवल मुख्य पुजारी को छोड़कर किसी को भी प्रवेश की अनुमति नहीं है।

अगर आप यहां आएं तो गुरुद्वारे के नजदीक ही स्थित “गोबिंद बाग़” जरूर जाएं यहां पर लेज़र-रे शो के द्वारा सिखों कें 10 प्रमुख गुरुओं के बारे में बताया जाता है, जो बेहद रोचक लगता है। 

Read More: इंडिया के अलावा पाकिस्तान, दुबई और लंदन में भी हैं वर्ल्ड फेमस गुरुद्वारे

On the occasion of punjab festival baisakhi travel some famous gurudwaras of india ()

Image Courtesy: herzindagi 

दमदमा साहिब 

अमृतसर आने वाले लगभग सभी पर्यटक लुधियाना से 23 किमी दूर स्थित गुरुद्वारा दमदमा साहिब भी जरूर जाते हैं। इसे छठे सिक्ख गुरू, गुरू हरगोविंद जी स्मृति में बनया गया था, जो 1705 में मुक्‍तसर की लड़ाई के दौराना यहां श्री गुरुगोबिंद साहिब ने कुछ समय के लिए अपनी सेना के साथ विश्राम किया था। इसके साथ ही यही वह स्‍थान है जहां सिखों के महत्‍वपूर्ण ग्रंथ गुरु ग्रंथ साहिब को श्री गुरुगोबिंद सिंह ने पूरा किया था। तब से यह स्‍थाना सिखों की शिक्षा का केंद्र बन चुका है। बैसाखी के त्‍योहार पर इस स्‍थान पर बड़े मेले का आयोजन होता है। हजारों की तदाद में लोग यहां आते हैं और माठा टेक कर सरोवर में डुबकियां लगाते हैं। 

On the occasion of punjab festival baisakhi travel some famous gurudwaras of india ()

Image Courtesy: herzindagi 

गोइंदवाल साहिब

सिखों के तीसरे गुरु श्री अमरदास जी ने गोइंदवाल साहिब की स्थापना की थी। इस गुरुद्वारे की स्‍थापना के पीछे उनका मकसद सिख धर्म का प्रचार प्रसार था । यहां उन्होंने सांझी बावली का निर्माण कराया जिसमें 84 सीढि़यां है। एक साथ बैठकर लंगर चखने की शुरुआत भी यहीं से हुई थी। यह गुरुद्वारा पंजाब के तरन तरान जिले में है। यहां पर गरु अमरदार 33 वर्ष रहे और सिख धर्म के प्रसार के दौरान खूब समाज सेवा की। आज भी बैसाखी के दिन यहां लोगों को एक साथ बैठाल कर लंगर खिलाने की परंपरा है। इस दौरान यहां अमीर और गरीब को देख कर एक साथ नहीं बैठाला जाता यहां एक साथ बैठकर लोग लंगर चखते हैं। इस गुरुद्वारे में छुआछूत मिटाने के लिए उल्‍लेखनीय कार्य किए जाते हैं। 

On the occasion of punjab festival baisakhi travel some famous gurudwaras of india ()

Image Courtesy: herzindagi 

हरमंदिर साहिब

सिखों की भक्ति और आस्‍था के मुख्‍य केंद्र स्‍वर्ण मंदिर को हरमंदिर साहिब के नाम से जाना जाता है। अमृतसर स्थित यह गुरुद्वारा देश भर में गोल्‍डन टेम्‍पल के नाम से मशहूर है। यहां हर दिन भारी संख्‍या में देश विदेश से पर्यटक आते हैं। मगर बैसाखी के त्‍योहार पर यहां खास इंतजाम होते हैं। इस दिन यहां एक साथ देढ़ लाख लोगों को एक साथ बैठा कर लंगर चखाया जाता है। बड़े मेले का आयोजन किया जाता है। गुरुद्वारे में ही पर्यटकों के रहने की अच्‍छी व्‍यवस्‍था होती है। 

अगर आप ने अभी तक गोल्‍डन टैम्‍पल विजिट नहीं किया है तो एक बार यहां आकर इसकी खूबसूरती को जरूर निहारें। इसके साथ ही आस्‍था के इस केंद्र की खासियतों को जाने। आपको यह जानकर हैरानी होगी कि इस गुरुद्वारे में किसी भी धर्म के लोगों के आने पर पाबंदी नहीं हैं। इस मंदिर में चार द्वार है जो इस बात का संकेत देते हैं कि यहां भेदभाव के लिए कोई स्‍थान नहीं है और हर धर्म के आदमी को यहां एकसमान्‍य ही समझा जाएगा। आपको यह बात जानकर भी हैरानी होगी किस मंदिर के निर्माण के लिए जमीन मुगल बादशाह अकबर ने दी थी और इस मंदिर की नीव एक मुस्लिम संत साईं मियान मीर ने रखी थी। इस मंदिर के गुंबद से लेकर दीवारों तक में सोने की परत चढ़ी है। कई इस मंदिर को आतंकवादियों ने अपने नापाक इरादों का निशाना बनाया हैं मगर वह न तो मंदिर का कुछ बिगाड़ सके न ही अमृतसर का। वैसे अमृतसर आकर आप यहां एतिहासिक जलियावाला बाग और बाघा बॉर्डर भी देख सकती हैं। 

 

यह विडियो भी देखें

Herzindagi video

Disclaimer

हमारा उद्देश्य अपने आर्टिकल्स और सोशल मीडिया हैंडल्स के माध्यम से सही, सुरक्षित और विशेषज्ञ द्वारा वेरिफाइड जानकारी प्रदान करना है। यहां बताए गए उपाय, सलाह और बातें केवल सामान्य जानकारी के लिए हैं। किसी भी तरह के हेल्थ, ब्यूटी, लाइफ हैक्स या ज्योतिष से जुड़े सुझावों को आजमाने से पहले कृपया अपने विशेषज्ञ से परामर्श लें। किसी प्रतिक्रिया या शिकायत के लिए, [email protected] पर हमसे संपर्क करें।