हरिद्वार एक प्रसिद्ध धार्मिक स्थल है। यहां हर साल लाखों श्रद्धालु गंगा में डुबकी लगाने आते हैं।पुराणों के अनुसार, गंगा में डुबकी लगाने से मनुष्य को उसके सभी पापों से मुक्ति मिल जाती है। इन दिनों हरिद्वार में कुंभ मेले का आयोजन हो रहा है। सोमवती अमावस्या यानी आज कुंभ का दूसरा शाही स्नान है। इस बार कुंभ मेले का आयोजन 11 साल बाद हो रहा है जबकि हर साल 12 साल में कुंभ का आयोजन होता है।
हरिद्वार जाने पर इन मंदिरों के जरूर करें दर्शन
हरिद्वार में कुंभ मेला 1 अप्रैल से 28 अप्रैल तक आयोजित किया जाएगा। अगर आप भी कुंभ के दौरान हरिद्वार जा रहे हैं तो आज हम आपको हरिद्वार के प्रसिद्ध मंदिरों के बारे में बताएंगे। इन मंदिरों के दर्शन करने मात्र से ही आपका मन प्रसन्न हो जाएगा।साथ ही आपकी सभी मनोकामनाएं भी पूरी हो जाएगीं।
दक्ष महादेव मंदिर
हरिद्वार के मंदिरों की बात हो और दक्ष महादेव मंदिर का जिक्र न हो भला ऐसा कैसे हो सकता है। ‘दक्ष महादेव मंदिर’भगवान भोलेनाथ को समर्पित है। इस मंदिर को श्रद्धालु ‘दक्ष प्रजापति मंदिर’भी कहते हैं। इस मंदिर में बने भगवान शिव के पैरों के निशानों को देखने के लिए भक्त दूर-दूर से आते हैं। यह मंदिर हरिद्वारका सबसे प्राचीनतम मंदिर माना जाता है।इसी मंदिर में देवी सती ने अपने प्राणों का त्याग किया था।
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मनसा देवी मंदिर
मनसा देवी मंदिर शिवालिक की पहाड़ी पर स्थित है। इसके दर्शन न करने पर हरिद्वार की यात्रा अधूरी मानी जाती है। इसलिए हरिद्वार आने वाले श्रद्धालु मनसा देवी मंदिर के दर्शन जरूर करते हैं। मनसा देवी को भगवान शिव की पुत्री माना गया है। पुराणों में बताया गया है कि मनसा देवी का जन्म संत कश्यप के मस्तिष्क से हुआ था, जिसकी वजह से ही इनका नाम मनसा देवी पड़ा था। इसलिए अगर आप भी हरिद्वार जा रहे हैं तो मनसा देवी के दर्शन करनान भूलें।
चंडी देवी मंदिर
चंडी देवी मंदिर का निर्माण राजा सुचात सिंह ने 1929 में करवाया था। चंडी देवी मंदिर नील पर्वत पर स्थित है। कहा जाता है कि इसी जगह पर चंडी देवी ने चंड-मुंड का वध किया था और समस्त धरती वासियों को चंड-मुंड के अत्याचारों से मुक्ति दिलवाई थी। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, चंडी देवी मंदिर के दर्शन मात्र से ही भक्त की सभी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती हैं। इसलिए हरिद्वार की यात्रा के दौरान चंडी देवी मंदिर जरूर जाएं।
गौरी-शंकर महादेव मंदिर
गौरी-शंकर महादेव मंदिर का व्याखान पुराणों में भी किया गया है। इस मंदिर को हरिद्वार के प्राचीनतम मंदिरों में से एक माना जाता है। गौरी-शंकर मंदिर में भगवान शिव और माता पार्वती की प्रतिमा विराजमान है। मान्याताओं के अनुसार, इस मंदिर में आने वाले भक्त के सभी कष्ट समाप्त हो जाते हैं और उनके जीवन में सुख-समृद्धि का वास होता है।
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बिल्केश्वर महादेव मंदिर
बिल्केश्वर महादेव मंदिर भगवान शिव को समर्पित है। यहां पर भोलेनाथ शिवलिंग के रूप में विराजमान हैं। इस मंदिर में हर साल लाखों भक्त बाबा के दर्शन करने आते हैं। पौराणिक कथाओं के अनुसार, इसी मंदिर में माता पार्वती ने भगवान शिव को पाने के लिए कठोर तपस्या की थी। माना जाता है कि भगवान शिव यहां आने वाले सभी भक्तों पर हमेशा अपनी कृपा दृष्टि बनाएं रखते हैं।
माया देवी मंदिर
पौराणिक कथाओं के अनुसार, इस जगह माता सती की नाभि गिरी थी। इस मंदिर में माता सती की मूर्ति विराजमान है। साथ ही माया देवी मंदिर के पास बाबा भैरव देवका मंदिर भी स्थित है। भैरव देव के दर्शन करने के बाद से ही माया देवी के दर्शन करने का फल प्राप्त होता है।
गौरी कुंड
हरिद्वार की यात्रा के दौरान गौरी कुंड जाना बिल्कुल न भूलें। मान्यताओं के अनुसार, जब माता पार्वती भगवान शिव को पाने के लिए दिन-रात तपस्या कर रही थीं तो उनके पास खाने के लिए कुछ नहीं था। ऐसे में वह बेलपत्र खाकर अपनी भूख को शांत करती थीं। एक दिन माता पार्वती को पानी की प्यास लगी। तब ब्रह्मा जी ने गंगा की धारा को प्रकट किया था। जिस जगह गंगा की धारा गिरी थी उसी जगह को गौरी कुंड कहा जाता है। माता पार्वती इसी गौरी कुंड से पानी पीकर अपनी प्यास बुझाया करती थीं।
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