Janmashtami 2020: श्रीक़ृष्ण की नगरी जाएं तो जरूर करें बेट द्वारका के दर्शन, इस जगह से जुड़ी हैं खास मान्यताएं

द्वारका को भगवान श्रीकृष्ण की नगरी कहा जाता है इसलिए यहां जन्माष्टमी पर अलग ही रौनक होती है। पर अगर यहां जाने की प्लानिंग में हैं आप तो एक खास आईलैंड जरूर घूमें।

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द्वारका को भगवान श्रीकृष्ण की नगरी कहा जाता है इसलिए यहां जन्माष्टमी पर अलग ही रौनक होती है। गुजरात में स्थित श्रीकृष्ण की नगरी को देखने के लिए लाखों लोगों की भीड़ जन्माष्टमी पर यहां पहुंचती है। द्वारका में श्रीकृष्ण के कई मंदिर हैं लेकिन मुख्य द्वारकाधीश मंदिर में मनाई जाने वाली जन्माष्टमी की बात ही अलग होती है। जन्माष्टमी 2020 भी आ गई है और द्वारकाधीश मंदिर इस साल अपनी पूरी रौनक नहीं बिखेर पा रहा। इसका कारण है कोविड 19 पैंडमिक। वैसे तो इस महामारी के कारण घूमना फिरना बंद है और लोगों को घर में रहने की सलाह दी जा रही है, लेकिन आपको जानकारी तो दी ही जा सकती है। आज हम आपको द्वारका नगरी के पास मौजूद एक आईलैंड के बारे में बताने जा रहे हैं जो बहुत खास है।

द्वारका का मतलब होता है मोक्ष की नगरी और भगवान कृष्ण की नगरी में जन्माष्टमी को पूरे शहर में धूमधाम से मनाया जाता है हालांकि द्वारका में जन्माष्टमी को सेलिब्रेट करना एक हफ्ते पहले से ही शुरू कर दिया जाता है।

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द्वारका में इन मंदिरों को देखें

द्वारका में कई फेमस भगवान कृष्ण के मंदिर हैं लेकिन द्वारकाधीश और जगत मंदिर में श्रद्धालुओं का सैलाब उमड़ पड़ता है। इस दिन भगवान कृष्ण की प्रतिमाओं कीमती गहनों से सजाया जाता है। इन मंदिरों के चारो ओर सिर्फ रौशनी ही रौशनी दिखाई देती है।

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भगवान श्रीकृष्ण के जन्म से पहले रात 11 बजे तक उन्हें महंगे कपड़े और गहने पहनाए जाते हैं। रात 11.30 बजे उन्हे उत्सव भोग लगाया जाता है। रात 12 बजे जन्म के साथ ही उनका स्वागत किया जाता है। 2 घंटे सेलिब्रेट करने के बाद रात 2 बजे मंदिर बंद हो जाता है।

सुबह 7 बजे मंगला आरती के साथ ही भगवान कृष्ण की पूजा शुरू हो जाती है। जन्माष्टमी के अगले दि8न को भी लोग बहुत धूमधाम से सेलिब्रेट करते हैं।

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द्वारका के आसपासये आइलैंड घूमें

जन्माष्टमी का त्योहार मनाने के बाद आप द्वारका के आसपास भी घूम सकती हैं। आप बेट द्वारका जा सकती हैं यह एक छोटा सा आईलैंड है और इस पर भी कई मंदिर हैं। किसी जमाने में यह इस इलाके का मुख्य बंदरगाह हुआ करता था।बेट द्वारका को शंखोधर भी कहते हैं। यहां लोग रहते हैं और ये गुजरात के ओखा के तट से 3 किलोमीटर दूर है। ये द्वारका से लगभग 30 किलोमीटर दूर है। यहां जाने के लिए फेरी सर्विस मिल जाएगी। ये जगह बहुत से खूबसूरत beach से घिरी हुई है और यहां जाने वालों के एक दिन एक्स्ट्रा लेकर चलना चाहिए ताकी घूमकर वापस द्वारका नगरी पहुंचा जा सके। अपनी ट्रिप में इसे जोड़ा जा सकता है।

असल में इस जगह का नाम भेट (यानि उपहार और मुलाकात) से पड़ा था। गुजराती भाषा में ये भेट से बेट हो गया। मान्यता है कि इसी जगह सुदामा और कृष्ण की मुलाकात हुई थी और यही कारण है कि इसे भी पूजा जाता है। मान्यता है कि द्वारका का पूरा फल तब मिलता है जब आप बेट द्वारका के दर्शन करते हैं।

बेट द्वारका टूरिस्ट्स को काफी आकर्षित करता है। आप द्वारका में दूसरे मुख्य मंदिरों की सैर कर सकती हैं। अगर आपके पास समय है तो पोरबंदर, अहमदाबाद, गिर या सोमनाथ भी जा सकती हैं।तो अब आप जान ही गई होंगी कि बेट द्वारका का असली महत्व क्या है और अगर आपको ये स्टोरी अच्छी लगी हो तो इसे शेयर जरूर करें। ऐसी ही अन्य स्टोरी पढ़ने के लिए जुड़े रहें हरजिंदगी से।

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