शिव के इस मंदिर के खंभों से निकलती है मधुर धुन, आज तक कोई नहीं जान पाया रहस्य

भारत के कई प्राचीन मंदिरों का अपना एक रहस्य है, जिसके पीछे की गुत्थी आजतक कोई सुलझा नहीं पाया है। तमिलनाडु के एक प्राचीन शिव मंदिर के खंभों से भी मधुर ध्वनि निकलती है।

 

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विभिन्न मंदिर मनुष्य की आस्था का प्रतीक होते हैं। हालांकि धार्मिक जुड़ाव के अलावा भी विभिन्न मंदिरों के निर्माण में वास्तुकला पर भी ध्यान दिया जाता है। पूरे भारतवर्ष में ऐसे कई मंदिर हैं, जिनकी अपनी अलग धार्मिक आस्था व विशेषता है। इन्हीं मंदिरों में से एक मंदिर है तमिलनाडु राज्य में तिरुनेलवेली में स्थित नैलायप्पार मंदिर। इस मंदिर की वास्तुकला तो उत्कृष्ट है ही, इसके अलावा इस मंदिर से संगीत स्तंभ अर्थात् Musical Pillar हर किसी का ध्यान आकर्षित करते हैं। जी हां, आपने सही सुना। इस मंदिर के खंभों से मधुर ध्वनि निकलती हैं, जैसे वह कोई खंभे नहीं बल्कि वाद्य यंत्र हों।

राज्य के सबसे प्रमुख मंदिरों में से एक इस नैलायप्पार मंदिर के खंभों से मधुर ध्वनि निकलने के पीछे का रहस्य आज तक कोई समझ नहीं पाया। दूर-दूर से लोग इस मंदिर की मधुर ध्वनि को सुनने और उसके पीछे का रहस्य जानने के लिए आते हैं। इस मंदिर की खास बात यह है कि खंभे संगीत के सात बेसिक म्यूजिकल नोट्स को निकाल सकते हैं। यहां पर मौजूद करीबन 161 खंभे म्यूजिकल ध्वनि उत्पन्न करते हैं। तो चलिए जानते हैं इस मंदिर और उसके म्यूजिकल पिलर्स के बारे में-

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मंदिर का इतिहास

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तमिलनाडु के तिरुनेलवेली में स्थित नैलायप्पार मंदिर वास्तव में भगवान शिव को समर्पित मंदिर है। बता दें कि तिरुनेलवेली शहर को उन पांच स्थानों में से एक माना जाता है जहां भगवान शिव ने अपने नृत्य को प्रदर्शित किया है। यहाँ का नैलायप्पर मंदिर 700 ईस्वी पूर्व में बनाया गया था। वास्तुकला की दृष्टि से यह एक उत्कृष्ट कृति है। इस मंदिर का नाता पांडवों से भी है। ऐसा माना जाता है कि मूल मंदिर परिसर पांडवों द्वारा बनाया गया था। यह मंदिर करीबन 14.5 एकड़ में फैला है। (तमिलनाडु के ऊंटी में इन डेस्टिनेशन्स को विजिट करें) कहा जाता है कि वे संभवतः 7 वीं शताब्दी ईस्वी पूर्व के शासक निंदरासीर नेदुमारन द्वारा निर्मित किए गए थे। इन खंभों पर जब टैप किया जाता है तो वह म्यूजिकल नोट्स क्रिएट करते हैं। यह उस समय की श्रेष्ठ शिल्प कौशल को दर्शाता है।

निकलती है संगीतमय ध्वनि

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इस मंदिर के खंभों को घंटी जैसे मधुर ध्वनि निकलती है। इन खंभों से संगीत के सात सुर आसानी से सुने जा सकते हैं। यहां पर कुल 161 स्तंभ हैं जो संगीतमय ध्वनियों का निर्माण करते हैं। यहां की वास्तुकला के उंचे मानको का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि 48 स्तंभों के एक समूह को एक ही पत्थर से तराशा गया था और वे एक सेंट्रल पिलर्स के चारों ओर मौजूद हैं। (साउथ इंडिया में हैं भगवान गणेश के प्रसिद्ध मंदिर) अर्थात यह 48 खंभे एक मुख्य खंभे को घेरते हैं। इन खंभों की सबसे दिलचस्प बात यह है कि जब जब उनमें से एक को टैप किया जाता है तो आसपास के खंभे भी कंपन करते हैं।

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क्या कहता है शोध

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मंदिर के खंभों से आने वाली इस मधुर ध्वनि के बारे में विस्तारपूर्वक जानने के लिए कई शोध हो चुके हैं। इन्हीं में से एक शोध के अनुसार, इस मंदिर में पत्थर के खंभे को श्रुति स्तंभ, गण थोंगल और लया थोंगल तीन श्रेणियों में बांटा जा सकता है। नैलायप्पर मंदिर में, आपको श्रुति और लया का संयोजन मिलेगा। जहां श्रुति मूल नोट्स हैं, वहीं लया स्तंभ वे हैं जो बीट या ताल का उत्पादन कर सकते हैं। ऐसे में जब श्रुति स्तंभ पर टैप किया जाता है जो लया से भी आवाज आती है, क्योंकि मंदिर में इनका कॉम्बिनेशन मौजूद है।(विदेशों के भी हर कोने में बसते हैं भगवान शिव)

अभी कोरोना संक्रमण के बढ़ते कहर के कारण भले ही आप इस मंदिर में ना जा पाएं। लेकिन एक बार जब स्थिति सामान्य होगी और अगर आप तमिलनाडु जाएं तो इस मंदिर में जाना ना भूलिएगा। अगर आपको यह लेख अच्छा लगा हो तो इसे शेयर जरूर करें व इसी तरह के अन्य लेख पढ़ने के लिए जुड़ी रहें आपकी अपनी वेबसाइट हरजिन्दगी के साथ।

Image Credit:(@curlytales.com,s3.ap-southeast-1.amazonaws.com,nativeplanet.com)
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