भारत एक ऐसा देश है जहां हर आस्थाओं को मानने वाले लोग रहते हैं। हर तमन्नाएं, हर दुआएं या हर मुराद को पूरा करने के लिए लोग, मंदिर, मस्जिद, गुरुद्वारा या फिर दरगाह पर जाते हैं। पर कुछ जगह ऐसी हैं जहां हर धर्म के मानने वाले लोग जाते हैं और दुआएं करते हैं। कहा जाता है कि जो जाता है कोई खाली हाथ नहीं लौटता।
लोगों की आस्था इनमें इतनी होती है कि वह बार-बार यहां सर झुकाने आते हैं। इन पवित्र स्थलों में हाजी अली की दरगाह आती है, जिसको लेकर कई तरह की मान्यताएं हैं। यह दरगाह आस्था और विश्वास का केंद्र है। यह दरगाह अपनी वास्तुकला के लिए भी जानी जाती है।
इस दरगाह को लेकर कहा जाता है कि यह दरगाह कभी डूबती नहीं है, जिसका इतिहास भी काफी रोचक रहा है।
हजरत हाजी अली दरगाह का इतिहास
महाराष्ट्र के मुंबई शहर में स्थित बाबा हाजी अली शाह बुखारी की एक दरगाह है, जो अब पूरे विश्व के श्रद्धालुओं के आस्था का केंद्र बन गया है। इस दरगाह का इतिहास काफी रोचक रहा है, जिसकी स्थापना सन 1431 ई में की गई थी। (दुनिया की सबसे पुरानी मस्जिद)
हालांकि, कई जगह उल्लेख मिला है कि इस दरगाह निर्माण सन 1631 ई में किया गया था। इसका निर्माण हाजी उस्मान रनजीकर ने की थी। कहा जाता है कि उस्मान रनजीकर तीर्थयात्रियों को मक्का ले जाने वाले जहाज के मालिक थे।
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कैसी है संरचना?
यह दरगाह काफी विशाल है, जिसकी संरचना 500 गज में फैली हुई है। यह 500 गज की यात्रा जिसके दोनों तरफ समुद्र है यहां की यात्रा की मुख्य आकर्षण है। इस दरगाह की वास्तुकला का निर्माण इस्लामिक इंडो शैली में किया गया है।
यह दरगाह 4500 मीटर में फैली हुई है, इस सफेद मस्जिद में 85 फीट ऊंचा टावर मुख्य वास्तुशिल्पीय आकर्षण है। मस्जिद के अंदर स्थित दरगाह जरीदार लाल और हरी चादर से ढकी रहती है। इसे चांदी के सूक्ष्म फ्रेम द्वारा मदद दिया गया है।
वहीं, इस दरगाह के हर स्तंभ पर अल्लाह नाम लिखा गया है। मस्जिद की ज्यादातर संरचना खारे समुद्रीय हवाओं की वजह से क्षीण हो गई है, बाकी यह दरगाह बहुत खूबसूरत है। (जामा मस्जिद के पास मौजूद इन खूबसूरत जगहों को आपने देखा क्या)
क्या दरगाह नहीं वाकई में नहीं डूबती?
इस दरगाह के चमत्कारी दरगाह कहा जाता है। कहा जाता है कि यह दरगाह समुद्र पर बनाई गई है, तो जाहिर है कि जब समुद्र का पानी ऊपर आता है पूरी दरगाह डूब जाती होगी। पर हैरान कर देने वाली बात है कि दरगाह के अंदर बिल्कुल भी पानी नहीं भरता। कहते हैं कि समंदर के बीचों बीच होने के बाद भी दरगाह में लहरें जाने से कतराती हैं।
यूं रखा जाता है रखरखाव
हाजी अली ट्रस्ट की स्थापना 1916 में कुट्टी मेनन समुदाय के सदस्यों द्वारा किया जाता है। यह ट्रस्ट ही दरगाह के रखरखाव का कार्य करता है और पैसा लगाकर दरगाह को खूबसूरत बनाने का काम किया जाता है।
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कब जाएं?
वैसे तो यहां प्रतिदिन हजारों लोग जाते हैं, पर शुक्रवार के दिन खासतौर से लोग आते हैं और दरगाह का दर्शन करते हैं।
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