भारत अपने आध्यात्मिक महत्व के लिए जाना जाता है। यहां पर कई अलग-अलग धर्मों के लोग एक साथ मिलजुल कर रहते हैं। हर किसी की अपनी अलग आस्था है और इसलिए लोग कई तरह के पूजा स्थलों का निर्माण भी करवाते हैं और बेहद श्रद्धा भाव से दर्शन भी करते हैं। देशभर में आपको कई इस्लामिक स्थल देखने को मिलेंगे क्योंकि यह मुसलमानों के लिए सिर्फ इबादत करने की जगह है, जहां नमाज पढ़ी जाती है।
हालांकि, अब मस्जिद घूमने का भी स्पॉट बन गया है और वैसे भी फुर्सत से जामा मस्जिद की गलियों में घूमने का अपना अलग ही मजा है...यहां टहलते हुए शॉपिंग करने, खाने-पीने का लुत्फ उठाने और दोस्तों के साथ वक्त बिताना किसे पसंद नहीं है भला....। आपने भी यकीनन कई इस्लामिक स्थलों को एक्सप्लोर किया होगा, लेकिन कभी आपने सोचा है कि मस्जिद को बनाने का रिवाज कहां से शुरू हुआ या पहली बार किस मस्जिद का निर्माण हुआ?
अगर नहीं, तो आज हम आपको दुनिया की सबसे पुरानी और ऐतिहासिक मस्जिद के बारे में बताएंगे, जिसके बारे में जानना आपके लिए यकीनन मददगार साबित हो सकता है।
आपको जानकर हैरानी होगी कि दुनिया की सबसे पुरानी मस्जिद कुबा है। हालांकि, मस्जिद के नाम को लेकर इतिहासकारों में मतभेद है। कहा जाता है कि काबा इस्लाम धर्म का सबसे पुरानी मस्जिद है, लेकिन क्या आपको पता है काबा मस्जिद नहीं बल्कि एक पवित्र स्थल है जहां इबादत करना काफी सुन्नत माना जाता है। (रमज़ान में क्या करना चाहिए और क्या नहीं)
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कुबा मस्जिद को मस्जिद-ए-कुबा के नाम से भी जाना जाता है, जो मदीना यानि सऊदी अरब के बाहरी इलाके में स्थित है। कहा जाता है कि यह मस्जिद न सिर्फ दुनिया की बल्कि इस्लाम धर्म की पहली मस्जिद है। इसकी स्थापना 7वीं शताब्दी में हुआ था, जिसे मोहम्मद साहब ने बनवाया था और पहली बार नमाज अदा की थी। इसके बाद कुबा को एक मस्जिद का दर्जा दिया जाने लगा।
यह तो हम सभी जानते ही हैं कि पैगंबर मुहम्मद साहब का इस्लाम धर्म में क्या महत्व है और अगर कोई स्थान उनसे जुड़ा हुआ हो, तो इसका महत्व खुद-बा-खुद बढ़ जाता है। बस यही कारण है कि मस्जिद कुबा का मुसलमानों के दिलों में एक अलग ही स्थान है। इस मस्जिद के बाद ही मदीना को दूसरी सबसे बड़ी मस्जिद के रूप में भी जाना जाता है। (दुनिया के 10 सबसे खूबसूरत मस्जिद)
कुबा मस्जिद का इतिहास जितना रोचक रहा है, उतनी ही इसकी वास्तुकला खूबसूरत है। 6 गुंबद और 4 मीनारें से बनी इस खूबसूरत मस्जिद का कलर भी सफेद है, जिसे अब्दुल वाहिद इल वकील ने बनाया था। इस मस्जिद को बनाने के लिए पत्थर, सीमेंट इस्तेमाल किया गया है, जिसका ढांचा न्यू क्लासिक इस्लामिक शैली में खड़ा किया गया है।
यह मस्जिद इतनी खूबसूरत है कि इसका दीदार करने के लिए सिर्फ मुस्लिम लोग ही नहीं बल्कि गैर मुस्लिम लोग भी आते हैं। (जामा मस्जिद के करीब इन चीजों को भी जरूर करें एक्सपीरियंस)
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इस मस्जिद का जिक्र हदीस में भी किया गया। इस मस्जिद में दो रकात नफिल नमाज पढ़ने से एक उमरे के बराबर सवाब मिलता है। बता दें कि इस मस्जिद का एक हिस्सा महिलाओं के लिए भी है जो वहां पर इबादत कर सकें।
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