देश के उत्तर में बसा पंजाब राज्य अपनी बेहद खूबसूरत संस्कृति और ऐतिहासिक महत्व के लिए जाना जाता है। पंजाब के मुख्य शहरों में से एक है जालंधर। इस शहर में चमड़े और खेल के सामान का उत्पादन मुख्य रूप से किया जाता है, जिस कारण यह देश और विदेश में काफी प्रसिद्ध है। यह पंजाब के पुराने शहरों में गिना जाता है और इसकी धार्मिक और ऐतिहासिक महत्व बहुत ज्यादा है।
जालंधर नाम कैसे पड़ा?
हिन्दू मान्यताओं के अनुसार जालंधर का ऐतिहासिक नाम 'प्रथला' था। भगवान शिव के शरीर से निकले एक महा शक्तिशाली दानव जालंधर के नाम पर इस शहर का नाम पड़ा है। जबकि कुछ मान्यताओं के अनुसार जालंधर का अर्थ 'पानी के अंदर' है। इस स्थान पर सतलुज और बीस नदी का संगम होता है जिस कारण इस शहर का नाम जालंधर रखा गया है। अगर आप यात्रा करने के साथ-साथ पंजाबी खान पान के भी शौकीन हैं तो जालंधर की यात्रा आपको हमेशा याद रहेगी। कई ऐतिहासिक अवशेषों के अनुसार ऐसा माना जाता है कि जालंधर सिंधु घाटी सभ्यता का ही एक हिस्सा था। 1947 में देश के विभाजन के बाद इस क्षेत्र ने हिंसा और दंगों की आग को भी देखा और यहां की बड़ी मुस्लिम आबादी पाकिस्तान चली गई और पाकिस्तान से बड़ी संख्या में यहां आए सिखों और हिन्दुओं ने यहां अपना आशियाना बसाया था।
जालंधर अपने पर्यटन स्थलों और स्वादिष्ट पंजाबी व्यंजनों के लिए बहुत फेमस है। यहां आप कई तरह के विभिन्न धर्मों के धार्मिक स्थलों के दर्शन कर सकती हैं। इस लेख के जरिए हम आपको जालंधर के बेहतरीन टूरिस्ट प्लेसेस के बारे में बताएंगे। आइए जानते हैं इस बारे में-
'श्री देवी तालाब' मंदिर
जालंधर का प्रसिद्ध 'श्री देवी तालाब' की बहुत धार्मिक महत्ता है। यह प्रसिद्ध तीर्थस्थल सिद्ध शक्तिपीठ का इतिहास माता सती से जुड़ा हुआ है। यहां 'श्री देवी तालाब' का नाम 108 पावन सरोवरों में लिया जाता है। माना जाता है कि किसी समय में जालंधर में 12 सरोवर हुआ करते थे जिसमें 'श्री देवी तालाब' देवी के चरणों के सबसे करीब था। इस कारण इसे बेहद पवित्र माना जाता है। मान्यता के अनुसार इस जगह पर डुबकी लगाने से मन की सभी दुख और चिंता दूर होती हैं। वैसे तो आम दिनों में भी यहां भक्तों की भारी भीड़ रहती है लेकिन, नवरात्रि में हजारों की संख्या में भक्त यहां आते हैं। माना जाता है कि यह मंदिर 200 साल पुराना है और भारत में स्थापित 51 शक्तिपीठों में से एक है।
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जंग-ए-आजादी स्मारक
जंग-ए-आज़ादी स्मारक को भारत की आजादी में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले शहीदों की याद में बनाया है। यहां स्मारक के साथ-साथ एक संग्रहालय भी बनाया गया है। इस स्मारक का उद्घाटन पंजाब के मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल ने 19 अक्टूबर 2014 में किया था। यह पूरा स्मारक 25 एकड़ भूमि में फैला हुआ है जो स्वतंत्रता सेनानियों को समर्पित है। इस स्मारक को गुंबद के आकार का बनाया गया है। इस स्थान पर आपको 15 मिनट की 3 डी फिल्म भी दिखाई जाती है जिससे पर्यटकों को स्वतंत्रता सेनानियों के बारे में बेहतर जानने को मिलता है। इस जगह पर घूमने के लिए आपको 50 रुपए का भुगतान करना पड़ेगा।
शिव मंदिर
जालंधर का शिव मंदिर हिन्दू-मुस्लिम एकता की एक बेहतरीन मिसाल है। यह मंदिर गुरू मंडी, इमाम नासिर मकबरे के पास स्थित है। इस मंदिर को नवाब सुल्तानपुर लोदी ने बनवाया था। इस मंदिर की वास्तुकला को ध्यान से देखने पर आपको पता चलेगा की इसे निर्माण में हिन्दू, मुस्लिम दोनों कला शैलियां शामिल हैं। इस मंदिर का मुख्य द्वार मस्जिद की तरह बना हुआ है जबकि अंदर की वास्तुकला हिन्दू कला से प्रेरित है। इस संगम को देखकर आपका मन खुशी से झूम उठेगा।
सेंट मैरी कैथेड्रल चर्च
जालंधर का सेंट मैरी कैथेड्रल चर्च शहर के मुख्य धार्मिक स्थलों में से एक है। यह चर्च बेहद पुराना और देखने में बेहद आकर्षक है। यह चर्च आजादी से पहले लाहौर सरकार द्वारा चलाया जाता था लेकिन, आजादी के बाद देश का बंटवारा हो गया और यह चर्च पंजाब सरकार के अधीन आ गया। इस चर्च में आपको बेहद खूबसूरत गुंबद और क्रॉस नज़र आएंगे जिसे शानदार तरीके से बनाया गया है। इस चर्च के आस पास आपको बहुत खूबसूरत बगीचा भी देखने को मिलेगा जिसमें विभिन्न प्रकार के पेड़ और पौधे लगे हैं।
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इमाम नासिर मस्जिद
इमाम नासिर मस्जिद जालंधर के ग्रैंड ट्रंक रोड पर स्थित है। माना जाता है कि यह मस्जिद 800 साल पुराना है और कई इतिहासकार यह मानते हैं कि बाबा फरीद ने यहां शरण ली थी। बता दें कि बाबा फरीद (शेख फरीद) या ख्वाजा फरीदुद्दीन मसूद गंज शकर एक सूफी संत थें। उन्हें 12 वीं शताब्दी के दौरान पंजाब के सबसे महान संतों में से एक माना जाता है। इस कारण यहां हजारों की संख्या में भक्त हर साल दर्शन करने आते हैं। इस स्थान की लोकप्रियता पाकिस्तान तक हैं।
गुरुद्वारा तलहन साहिब
माना जाता है कि गुरुद्वारा तलहन साहिब 150 साल पुराना गुरुद्वारा है। इस गुरुद्वारा की खास बात यह है कि यहां आने वाले भक्त हवाई जहाज के खिलौने प्रसाद के रूप में चढ़ाते हैं। इसे चढ़ाने के पीछे एक दिलचस्प कहानी यह है कि जो लोग यहां हवाई जहाज के खिलौने चढ़ाते हैं उनकी हवाई जहाज में बैठने की इच्छा पूरी हो जाती है। यहां हर साल इतने खिलौने चढ़ाए जाते हैं कि यहां खिलौनों का ढेर लग जाता है। बाद में इन सभी खिलौनों को बच्चों में बांट दिया जाता है। यहां हर साल एक बड़े मेले का भी आयोजन किया जाता है जिसमें दूर-दूर से लोग आते हैं।
आप चाहें तो अक्टूबर से लेकर मार्च के महीने तक कभी भी जालंधर घूमने आ सकते हैं। अगर आपको ठंड पसंद है तो यह महीने आपके घूमने के लिए बेस्ट हैं। जनवरी के महीने में यहां लोहड़ी मनाई जाती है जो पंजाब के मुख्य त्योहारों में से एक है। अगर आप भी अपने परिवार के साथ पंजाब घूमने का प्लान बना रही हैं तो जालंधर आपके लिए एक अच्छा ऑप्शन हो सकता है।
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