तालियां बजाने पर बाहर आता है पानी, जानिए मन्नत पूरी करने वाले इस कुंड के बारे में!

झारखंड में एक ऐसा कुंड है जहां तालियां बजाने पर पानी ऐसी गतिविधि करता है मानो वो उबल रहा हो। जानिए इस कुंड के रहस्य के बारे में। 

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आपने ऐसी कितनी जगह देखी हैं जहां होने वाली प्राकृतिक घटनाओं के बारे में आप समझ न पाए हों? रूपकुंड से लेकर गंगा के उद्गम स्थल तक और कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी तक ऐसी बहुत सी जगह हैं जिन्हें प्रकृति का करिश्मा माना जाता है। इनमें से कई जगहों को धार्मिक मान्यताओं से जोड़ा जाता है और ऐसा समझा जाता है कि यहां कोई न कोई रहस्यमयी ताकत जरूर है।

ऐसी ही एक जगह है झारखंड का दलाही कुंड। इस जगह का पानी अपने आप हरकतें करता है, जी नहीं यहां पानी बहता नहीं है बल्कि तालियां बजाने पर ये हवा में उछलने लगता है जैसे पानी उबल रहा हो।

ये जगह स्थित है झारखंड के बोकारो जिले में जहां कई सैलानियों के साथ-साथ कई शोधकर्ता भी आते हैं और इस कुंड में होने वाली गतिविधियों के बारे में जानने की कोशिश करते हैं।

कहां स्थित है दलाही कुंड?

ये कुंड बोकारो शहर से लगभग 27 किलोमीटर दूर स्थित है और अब यहां आस-पास भी काफी डेवलपमेंट किया गया है। ऐसा माना जाता है कि ये जगह प्राकृतिक चमत्कारों से भरपूर है और इसलिए इसे एक टूरिस्ट स्पॉट के तौर पर फेमस किया जा रहा है।

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क्यों फेमस है ये कुंड?

दलाही कुंड के एक चमत्कार के बारे में तो आपको बता दिया गया है कि यहां पर तालियां बजाओ तो ऐसा लगता है मानो पानी उबल रहा हो, लेकिन शायद आप ये नहीं जानते होंगे कि इस कुंड का पानी असल में इतना गर्म और उबला हुआ होता है कि इस पानी से चावल भी पकाए जा सकते हैं।

यहां मौसम के हिसाब से पानी का तापमान भी बदलता है। दरअसल, स्थानीय निवासियों के दावों और कई रिपोर्ट्स की मानें तो यहां पर ठंड में गर्म और गर्मी में ठंडा पानी निकलता है।

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कहां से आता है और कहां जाता है ये पानी?

दरअसल, एक मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक अभी तक इस कुंड में की गई कई रिसर्च में भी ये नहीं पता लग पाया है कि ये पानी कहां से आता है, हां ये पानी जमुई नामक नाले से होगा हुआ गर्गा नदी में जरूर जाता है। इस कुंड के आस-पास अब कॉन्क्रीट की दीवारें बना दी गई हैं और इस कुंड के पास में ही दलाही गोसाई का देव स्थान भी बना हुआ है।

रविवार के दिन यहां पर खास पूजा-पाठ किया जाता है और ऐसा माना जाता है कि इस जलाशय के पानी में औषधीय गुण हैं। यहां लोग दूर-दूर से नहाने आते हैं, लेकिन अभी तक इस दावे को लेकर साइंटिफिक रिसर्च सामने नहीं आई है कि इस पानी में वाकई लोगों को ठीक करने वाले गुण हैं या नहीं।

ताली बजाने पर पानी उठने का क्या है साइंटिफिक कारण?

इसे साइंस में ध्वनि तरंगों के आधार पर देखा जा सकता है। ध्वनि तरंगों से होने वाला कंपन पानी को ऊपर की ओर उठाता होगा। कुछ रिपोर्ट्स इस साइंटिफिक थ्योरी को भी सही ठहराती हैं जिनके आधार पर ऐसी जगहों पर पानी काफी नीचे की ओर होता है और ध्वनि तरंगें पानी से टकरा कर इस तरह की स्थिति पैदा करती हैं।

पर स्थानीय लोग इसे आस्था की नजर से ही देखते हैं और मानते हैं कि इस कुंड में ऐसी ताकत है कि वो लोगों की मन्नत पूरी कर सकता है। वजह चाहे जो भी हो इस कुंड की खासियत यहां दूर-दूर से लोगों को अपनी ओर खींच लाती है।

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