भगवन कृष्ण और सुदामा का इसी जगह पर हुआ था मिलन

भारतीय इतिहास में अनेक धार्मिक स्थलों का जिक्र है जिनमें से एक है भेंट द्वारिका,जो द्वरिकाधीश से कुछ ही दूरी पर स्तिथ है।जिससे श्री कृष्ण के जीवन की अनेक महत्वपूर्ण घटनाएं जुडी

हैं।

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द्वारिका हिन्दू धर्म के लोगों का एक पवित्र धार्मिक स्थल है।सामन्य रूप में श्री कृष्ण के धाम को द्वारिका माना जाता है लेकिन बहुत कम लोग जानते हैं कि द्वारिका तीन भागों में बटी हुई है। मुख्य द्वारिका,गोमती द्वारिका और भेंट द्वारिका।गोमती द्वारिका वह स्थान है जहां श्री कृष्ण ने राज काज करते थे और अपनी 16108 रानियों का यहां निवास करते थे। मुख्य द्वारिका में सुदामा जी निवास करते थे और भेंट द्वारिका जहां प्रभु श्री कृष्ण अपनी पटरानियों सहित निवास करते थे। इस जगह को गुजरात में बेट द्वारिका के नाम से जान जाता है।

इसलिए कहते हैं भेंट द्वारिका

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भेंट का मतलब होता है मुलाकात और यह स्थान ईश्वर और मित्र की मुलाकात का साक्षी है। हम आपको बता दें कि यह वही स्थल है जहां सुदामा जी की भेंट श्री कृष्ण से हुई थी।यह स्थान गोमती द्वारिका से महज 35 किलोमीटर की दूरी पर मौजूद है और तीन तरफ से समुद्र से घिरा है। इस स्थान पर जाने के लिए आज भी आपको नाव या वॉटर स्टीमर का सहारा लेना पड़ता है।यहां के मंदिर में श्री कृष्ण और उनके मित्र सुदामा जी की पूजा होती है।

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ये है चावल दान करने की परम्परा

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यह कथा द्वापर युग से जुड़ी है जब सुदामा जी अत्यंत गरीबी में समय व्यतीत कर रहे थे तब उनकी पत्नी ने उनको कृष्ण जी से मिलना का सुझाव दिया और सुदामा जी कृष्णा से मिलने गए तो भेंट स्वरुप उनके लिए एक कपडे में चावल बांध कर ले गए और प्रभु श्री कृष्ण ने उनके यहि चावल खाकर उनकी दरिद्रता को दूर किया। यही वजह है कि यहां आज भी चावलों का दान किया जाता है।

भेंट द्वारिका की विशेषता

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यहां के लोग बताते हैं कि इस मंदिर में लगी श्री कृष्ण की प्रतिमा का निर्माण स्वयं देवी रुक्मणी ने कराया था और मंदिर महान संत वल्ल्भाचार्य जी के सहयोग से बना।यह एक आइलैंड है जहां पानी तीनों तरफ से काफी उछाल मारता है लेकिन आज तक इस नगरी में प्रवेश नहीं कर पाया। कहा जाता है कि एक बार आस पास का पूरा हिस्सा समुन्द्र के पानी में डूब गया था लेकिन द्वारिका नगरी पूरी सुरक्षित रही जो ईश्वर अस्तित्व का प्रमाण है।

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यात्रा का सही समय

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वैसे तो आप कभी भी इस पवित्र स्थल के दर्शन कर सकते हैं लेकिन अक्टूबर से मार्च तक का समय यहां जाने के लिए अच्छा रहता है क्योंकि आइलैंड होने की वजह से यहां सर्दियों में अधिक ठण्ड नहीं पड़ती मौसम सुहाना रहता है। इस स्थान पर आने वाले श्रद्धालु कुछ ही घंटे का सफर तय करके ज्योतिर्लिंग सोमनाथ के दर्शन भी कर सकते हैं।

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