शहरों की जिंदगी दूर से चमक-दमक भरी नजर आती है, लेकिन बड़े-बड़े शहरों की चकाचौंध से दूर गांवों में रहने का अपना ही मजा है। गांव में जैसी सुकून भरी जिंदगी का अहसास होता है, वैसा शहर में नहीं होता। अगर आप शांत वातावरण में जाकर खुद को तरोताजा करना चाहती हैं तो आपके लिए एक अनूठे गांव की सैर करना दिलचस्प रहेगा, जहां हरे-भरे वातावरण के साथ आपको शहरी की आधुनिकता भी नजर आएगी। यह है गोवा का अल्डोना गांव। यह गांव खेती के लिए ही जाना जाता था। यहां हल्दी की खेती होती थी, जिसे देखते हुुए इसका नाम एक समय में 'हल्दोना' पड़ गया, लेकिन जब यहां पुर्तगाली आए तो इस जगह का नाम ट्विस्ट होकर अल्डोना हो गया।
गोवा के इस गांव के एक चौराहे पर एडवर्ड जे सोर्स की तस्वीर लगी हुई है। दरअसल मिस्टर सोर्स यहां सेंट थॉमस स्कूल के प्रिंसिपल हुआ करते थे, जिसकी स्थापना सन 1923 में हुई थी। आमतौर पर गांवों में शिक्षा का स्तर कम होता है, लेकिन इस गांव में एक प्रिंसिपल की तस्वीर चौराहे पर लगा होना यहां शिक्षा को दिए जाने वाले महत्व को दर्शाता है।
गोवा के ज्यादातर गांवों में जिंदगी चर्च के इर्दगिर्द घूमती है। अल्डोना में मापूसा नदी के नजदीक ही एक पठार पर साओ टोम चर्च बना हुआ है। हरेभरे खेतों के बीच यह चर्च गोवा की अनूठी सांस्कृतिक धरोहर को दर्शाता है। इस चर्च का लुक बाहर से थोड़ा-थोड़ा किले जैसा है।
इस चर्च में पेंटिंग्स भी काफी खूबसूरत हैं। यहां लकड़ी का काम भी काफी खूबसूरत है। साथ ही यहां एक सुंदर सी बेदी भी है। यहां के चर्च में होने वाली शादियों में ईसाई और हिंदू संस्कृति का मिला-जुला रूप नजर आता है। यहां चर्च में शादी करने वाली महिलाओं के हाथों में नजर आने वाली हरी चूड़ियां इस मेल की कहानी कहती हैं।
गांव में कब्रिस्तान बहुत साधारण और छोटे से होते हैं, लेकिन अल्डोना का कब्रिस्तान देखकर आपको लग सकता है कि आप किसी और ही दुनिया में पहुंच गई हैं। सफेद रंग में बना यह कब्रिस्तान आपको सोचने पर मजबूर कर सकता है। यहां कोंकणी में एज माका फालिया तूका लिखा है, जिसका हिंदी अर्थ है, कल यहां आप होंगे। शायद इसे पढ़कर आपको बहुत अच्छा ना लगे, लेकिन यह इस बात का अहसास कराता है कि हम सभी को आखिरकार उसी दुनिया में चले जाना है। यहां हर तरह की कब्र नजर आती हैं, छोटी, बड़ी और फैमिली पैक वाली। कुछ कब्रों के ऊपर परियां बनी हुई हैं।
मापूसा नदी पर बना केबल ब्रिज अल्डोना को कोरजुएम से जोड़ता है और यहां से दोनों तरफ का दृश्य देखते ही बनता है। दिलचस्प बात यह है कि यह गोवा का पहला केबल ब्रिज है। यहां चलते हुए आपको निश्चित रूप से इस गांव के आधुनिक होने की भावना जागेगी। हम सभी सोचते हैं कि काश हमारे गांव भी इतने उन्नत होते, यहां के गांव में इस तरह का नजारा हमारी उसी ख्वाहिश को पूरा करता है।
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इसके अलावा यहां कालविम ब्रिज और स्टोन ब्रिज भी है। इन दोनों पुलों की बनावट अलग है और यहां का लुक भी पूरी तरह से जुदा है। स्टोन ब्रिज पर चलते हुए आपको रंग-बिरंगी नावें किनारों पर नजर आएंगी। शाम के वक्त में यहां से सूरज डूबने का दृश्य बहुत सुंदर दिखता है।
कोरजुएम किला ( Corjuem Fort) यह किला किसी आउटपोस्ट के जैसा नजर आता है। इसका आर्किटेक्चर काफी यूनीक है। इसमें चार कोनों पर चार छोटे टावर हैं। इसमें घुसते ही आपको एक छोटा चैपल नजर आएगा। इसमें आपको पुर्तगाली युग की कुछ लिखावट भी नजर आएगी, लेकिन माना जाता है कि यह किला उससे भी पहले का बना हुआ है। माना जाता है कि इसका मूल निर्माण सांखली के देसाई ने करवाया था और इसके बाद यह सावंतवाड़ी के भोंसले को चला गया।
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