सूर्य ऊर्जा, प्रकाश, यश और सकारात्मकता का प्रतीक है, इसलिए इसे ग्रहों का राजा माना जाता है। वास्तु शास्त्र में सूर्य की ऊर्जा को अत्यंत महत्वपूर्ण माना गया है। वजह है कि घर में तांबे का सूरज लगाना शुभ फलदायी बताया गया है। यह घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार करने के साथ-साथ मान-सम्मान, प्रतिष्ठा और आर्थिक उन्नति में भी सहायक होता है। वास्तु के अनुसार, किसी भी वस्तु की तरह, तांबे के सूरज को भी सही दिशा में स्थापित करना बेहद जरूरी होता है। कहते हैं गलत दिशा में इसे लगाने से शुभता के बजाय नकारात्मक परिणाम मिल सकते हैं और इससे घर की सुख-समृद्धि प्रभावित हो सकती है। बहुत से लोग अपने घरों में फैशन के तौर पर तांबे का सूरज लगाते हैं और बिना सही जानकारी के इसे कहीं भी लगा देते हैं, जिससे उन्हें अपेक्षित लाभ नहीं मिल पाता है। इसके उल्टा जीवन में परेशानियां बढ़ने लगती हैं। यदि आप अपने घर में तांबे का सूरज लगाने का विचार कर रही हैं या पहले से लगा रखी हैं, तो यह जानना अत्यंत महत्वपूर्ण है कि इसे किस दिशा में लगाना चाहिए और किस दिशा में भूलकर भी नहीं लगाना चाहिए। तो आइए ज्योतिषाचार्य अरविंद त्रिपाठी से वास्तु के इन महत्वपूर्ण नियमों के बारे में जानते हैं, ताकि आपके घर में हमेशा सुख-समृद्धि बनी रहे।
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