वास्तु शास्त्र एक ऐसा विज्ञान है जो हमारे आस-पास के वातावरण को सकारात्मक बनाने में मदद कर सकता है। इसका उद्देश्य व्यक्तियों और उनके रहने या काम करने के स्थानों के बीच सद्भाव और संतुलन बनाना होता है।
यह विज्ञान एक पारंपरिक निकाय है जिसमें इमारतों, घरों और अन्य संरचनाओं को इस तरह से डिजाइन और व्यवस्थित करने के लिए बताया जाता है जिससे घर में समृद्धि बनी रहे। वास्तु में बताया जाता है कि किसी भी चीज को हमेशा ऐसे व्यवस्थित करना जरूरी होता है जिससे वो सकारात्मक ऊर्जा का कारक बने। इस वजह से ही आपको इन नियमों का पालन करने की सलाह दी जाती है।
ऐसे ही घर के लिए एक आवश्यक सामग्री है 'तांबे का सूरज'। इसे हम घर के कुछ विशेष स्थानों पर लगाते हैं और ये सकारात्मक ऊर्जा का कारक बनता है। यदि आप विदेश में रहते हैं तो इसे कुछ वास्तु नियमों के अनुसार ही घर में लगाने की सलाह दी जाती है। आइए Life Coach और Astrologer, Dr. Sheetal Shaparia से जानें इसके बारे में विस्तार से।
यदि आपका घर विदेश में है और आप वास्तु उद्देश्यों के लिए घर में तांबे का सूरज लगाते हैं तो उसके लिए सबसे अच्छी दिशा पूर्व होती है। पूर्व दिशा उगते सूरज से जुड़ी होती है और नई शुरुआत और सकारात्मकता का प्रतीक मानी जाती है।
घर में तांबे के सूर्य को पूर्व दिशा में रखने से सकारात्मक ऊर्जा को आकर्षित करने में मदद मिलती है और इसकी पूरी ऊर्जा घर के हर एक कोने में समान रूप से वितरित होती है। यदि आप इस दिशा में तांबे का सूरज लगाते हैं तो आपके निवास स्थान पर नवीनीकरण की भावना आ सकती है।
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यदि आप विदेश में अपने घर के प्रवेश द्वार के पास या मुख्य दरवाजे के ठीक ऊपर तांबे का सूरज लगाते हैं तो इससे प्रवेश द्वार से भीतर की तरफ ऊर्जा का संचार होता है। इस उपाय से आपका प्रवेश द्वार भी आगंतुकों के लिए एक स्वागत योग्य नजर आएगा और किसी भी तरह की सकारात्मक ऊर्जा का वितरण होगा।
इसे उगते सूरज की ऊर्जा का भी प्रतीक भी माना जा सकता है। साथ ही, यदि आपका घर विदेश में ऐसे स्थान पर है जहां धूप का प्रवेश नहीं होता है तो तांबे का सूर्य लगाने से सूर्य की रोशनी के समान ही ऊर्जा घर के लोगों को मिल सकती है।
यदि आप बड़े आकार का तांबे का सूरज लगाते हैं तो आप इसे लिविंग रूम में रख सकते हैं। इसके लिए ऐसी दीवार या क्षेत्र चुनें जहां पर्याप्त प्राकृतिक रोशनी आती हो, क्योंकि इससे कमरे की ऊर्जा पर इसका सकारात्मक प्रभाव बढ़ेगा।
यदि आपके घर में पर्याप्त रोशनी नहीं है तब भी आपको ऐसे स्थान पर ही रखना चाहिए जहां अंधेरा न हो। इसलिए आप उस स्थान पर कृत्रिम रोशनी रखें तब भी ठीक होता है। तांबे का सूर्य रखना दिव्यता का प्रतीक हो सकता है और आपकी आध्यात्मिक प्रथाओं के लिए एक केंद्र बिंदु प्रदान कर सकता है। इसलिए इसके लिए सही स्थान का होना जरूरी होता है।
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यदि आप घर में तांबे का सूरज रख रही हैं तो ध्यान में रखना जरूरी है कि उस स्थान पर किसी भी तरह की अव्यवस्था न हो। सकारात्मक ऊर्जा प्रवाह के लिए तांबे का सूरज रखने के लिए स्वच्छ और व्यवस्थित वातावरण बनाए रखना जरूरी है।
तांबे के सूर्य सहित किसी भी वस्तु को रखने के पीछे का उद्देश्य सकारात्मक ऊर्जा के प्रवाह को बढ़ाना और एक सामंजस्यपूर्ण वातावरण बनाना है, इसलिए किसी भी प्रकार की अव्यवस्था से बचना जरूरी है।
घर के लिविंग रूम के साथ आप इनिंग रूम में भी तांबे का सूरज रख सकते हैं। वास्तु में मान्यता है कि इन क्षेत्रों में तांबे का सूर्य लगाने से सकारात्मक ऊर्जा को आकर्षित करने और परिवार के सदस्यों के बीच सद्भाव को बढ़ावा देने में मदद मिलती है। इसके लिए मुख्य द्वार सबसे अच्छा माना जाता है, लेकिन इसे
दक्षिण-पश्चिम दिशा में न लगाने की सलाह दी जाती है। इन दिशाओं में लगा हुआ सूरज नकारात्मक ऊर्जा का कारक बन सकता है। तांबे के सूरज को हमेशा किसी ऊंची सतह जैसे शेल्फ या टेबल पर रखना चाहिए और उसे दीवार पर टांगना सबसे अच्छा होता है।
विदेश में रहते हुए तांबे के सूरज को घर में लगाने से पहले आपको वास्तु से जुड़ी बातों का ध्यान रखना चाहिए जिससे हमेशा खुशहाली बनी रहे।
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