who is god of ancestors

कौन हैं पितरों के देवता जिनकी पूजा के बिना पितृ पक्ष में श्राद्ध और तर्पण नहीं स्वीकार करते पूर्वज

गरुड़ पुराण में लिखा है कि पितरों के देवता की पूजा के बिना पितृ पक्ष में किया गया श्राद्ध एवं तर्पण पितृ स्वीकार नहीं करते हैं। ऐसे में आइये जानते हैं कि कौन हैं पितरों के देवता और क्या है उनकी पूजा का महत्व।
Editorial
Updated:- 2025-09-03, 14:22 IST

हिन्दू धर्म में पितृ पक्ष का बहुत महत्व माना जाता है। पितृ पक्ष में श्राद्ध कर्म, तर्पण एवं पिंडदान आदि करने से पितृ दोष दूर होता है और पितरों का आशीर्वाद मिलता है। नाराज पितृ शांत होकर कृपा बरसाते हैं, लेकिन क्या आप जानते हैं कि पितृ पक्ष में पूर्वज तब तक आपकी पूजा स्वीकार नहीं करते हैं जब तक कि उनके आराध्य उनके देवता की पूजा न की जाए। गरुड़ पुराण में भी लिखा है कि पितरों के देवता की पूजा के बिना पितृ पक्ष में किया गया श्राद्ध एवं तर्पण पितृ स्वीकार नहीं करते हैं। ऐसे में वृंदावन के ज्योतिषाचार्य राधाकांत वत्स से आइये जानते हैं कि कौन हैं पितरों के देवता और क्या है उनकी पूजा का महत्व।

कौन हैं पितरों के देवता?

पितरों के देवता भगवान विष्णु हैं। गरुड़ पुराण के अलावा, विष्णु पुराण में भी बताया गया है कि गरुड़ पर सवार चतुर्भुज रूप लिए नीले वर्ण में भगवान विष्णु पितरों के स्वामी हैं और उनके आदेश का पालन करने वाले उनके आधीन यमराज हैं।

pitru paksha 2025

पौराणिक कथा के अनुसार, गयासुर नाम का एक राक्षस था जिसने ब्रह्मा जी से वरदान प्राप्त किया था कि उसका शरीर इतना पवित्र हो जाएगा कि कोई भी व्यक्ति, चाहे वह कितना भी पापी क्यों न हो उसके शरीर को छूकर मोक्ष प्राप्त कर लेगा।

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इस वरदान के कारण, पापी लोग भी गयासुर को छूकर स्वर्ग जाने लगे जिससे यमलोक में हलचल मच गई और स्वर्ग में अव्यवस्था फैल गई। सभी देवी-देवता परेशान होकर भगवान विष्णु के पास गए और उनसे इस समस्या का समाधान मांगा।

भगवान विष्णु ने गयासुर की तपस्या को देखकर उसे वरदान दिया कि उसका शरीर एक यज्ञ के लिए उपयुक्त होगा। इसके बाद गयासुर यज्ञ के लिए लेट गया और भगवान विष्णु ने अपने पैर से उसके सिर को दबाया जिससे उसका शीश धंस गया।

गयासुर ने भगवान विष्णु को पहचान लिया और उनसे मोक्ष का वरदान मांगा। भगवान विष्णु ने उसे वरदान दिया कि गयासुर का पूरा शरीर एक पवित्र तीर्थ बन जाएगा और इस स्थान पर श्राद्ध, पिंडदान या तर्पण करने से पितरों को मोक्ष की प्राप्ति होगी।

shradh paksha 2025

यह स्थान आज 'गया' तीर्थ के नाम से प्रसिद्ध है। इसी कारण, गया में भगवान विष्णु की पूजा पितरों के देवता के रूप में की जाती है क्योंकि वे ही पितरों को मोक्ष प्रदान करते हैं। बिना भगवान विष्णु की पूजा किए पितरों को मोक्ष की प्राप्ति नहीं होती है।

पितृ पक्ष में भगवान विष्णु की पूजा करने की विधि भी अलग है। जहां सामान्य पूजा के दौरान भगवान विष्णु को पीले वस्त्र, पीले फूल, नैवेद्य, नारियल आदि कई चीजें चढ़ाई जाती हैं तो वहीं, पितृ पक्ष के दौरान भगवान विष्णु की पूजा भिन्न होती है।

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पितृ पक्ष के दौरान भगवान विष्णु को सफेद वस्त्र अर्पित किए जाते हैं, सफेद मिठाई का भोग लगता है, तिल भी अर्पित किये जाते हैं, सफेद फूल चढ़ाए जाते हैं और भगवान विष्णु को नारियल, पान, सुपारी आदि मांगलिक कार्य की वस्तुएं अर्पित करना वर्जित होता है।

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पितृ दोष से मुक्ति के लिए कौन सा पाठ करना चाहिए? 
पितृ दोष से मुक्ति के लिए पितृ सूक्त का पाठ करना चाहिए। 
पितरों को जल अर्पित करते समय कौन सा मंत्र बोलें?
पितरों को जल अर्पित करते समय 'ॐ पितृभ्यो नमः' मंत्र बोलें। 
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