हिंदू शास्त्रों में बताया गया है कि त्रेता युग में भगवान विष्णु ने मनुष्य योनि में जन्म लिया और श्रीराम के अवतार में उन्होंने जगत को मर्यादा का पाठ पढ़ाया। हम सभी श्रीराम से जुड़ी अनेक कहानियां सुनी हुई हैं। इनमें से कुछ बेहद रोचक और लाभकारी भी हैं। आज हम आपको ऐसी ही एक कथा सुनाने जा रहे हैं, जो श्रीराम के जीवन से जुड़ी है और यदि हम उसका अनुसरण करें तो हमें भी इसके लाभ मिल सकते हैं।
जी हां, जब श्रीराम रावण से युद्ध करने के लिए लंका की ओर प्रस्थान कर रहे थे, तब विजय प्राप्त करने के लिए उन्होंने केवल रामेश्वरम में शिवलिंग स्थापित कर शिवजी की पूजा ही नहीं की थी, बल्कि एक अत्यंत शक्तिशाली स्तोत्र का पाठ भी किया था, जिसे आदित्य हृदय स्तोत्र कहा जाता है। आज हम आपको इस पाठ के बारे में बताएंगे। यह स्तोत्र कठिन कार्यों में सफलता दिलाता है और शत्रुओं का नाश करता है।
सूर्य देव को समर्पित यह एक अत्यंत शक्तिशाली और प्रभावशाली स्तोत्र है। हम सभी जानते हैं कि सूर्य सबसे प्रथम और सभी ग्रहों का राजा है। यह स्तोत्र रामायण के युद्धकांड में मिलता है। कथा के अनुसार जब श्रीराम माता सीता को रावण की कैद से मुक्त कराने के लिए लंका जा रहे थे, तब रावण पर विजय प्राप्त करने हेतु ऋषि अगस्त्य ने उन्हें इस पाठ का उपदेश दिया था।
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