Sawan Somwar Puja Vidhi 2025: करना चाहती हैं भोलेनाथ को शीघ्र प्रसन्न तो यहां पढ़ें सावन के दूसरे सोमवार की पूजा विधि

Sawan mei Shivling ki Puja Kaise Kare: सावन के दूसरे सोमवार के दिन व्रत रखने और भगवान शिव की पूजा करने से भक्तों को उनका साक्षात सानिध्य प्राप्त होता है। आइए, जानते हैं सावन के दूसरे सोमवार की पूजा विधि के बारे में विस्तार से।
sawan somwar 2025 puja vidhi

सावन का महीना 11 जुलाई से शुरू हो चुका है, और इस दौरान पड़ने वाले सोमवारों का विशेष महत्व है। इस बार सावन में चार सोमवार पड़ेंगे। सावन सोमवार का व्रत रखने से अविवाहित कन्याओं को मनचाहा जीवनसाथी मिलता है, जबकि विवाहित महिलाओं को सुखी वैवाहिक जीवन और संतान सुख की प्राप्ति होती है। इसके अतिरिक्त, यह व्रत रोगों से मुक्ति दिलाता है, धन-समृद्धि लाता है, और जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार करता है। सावन के दूसरे सोमवार के दिन व्रत रखने और भगवान शिव की पूजा करने से उनका साक्षात सानिध्य भी प्राप्त होता है। आइए, ज्योतिषाचार्य राधाकांत वत्स से दूसरे सावन सोमवार की विस्तृत पूजा विधि के बारे में विस्तार से जानते हैं।

सावन के दूसरे सोमवार की पूजा विधि

सावन के दूसरेसोमवार के दिन सूर्योदय से पहले, ब्रह्म मुहूर्त में उठना सबसे शुभ माना जाता है। उठने के बाद, सबसे पहले अपने शरीर और मन को शुद्ध करें। इसके लिए स्नान करें; यदि संभव हो, तो नहाने के पानी में गंगाजल की कुछ बूंदें मिलाएं। स्नान के बाद, स्वच्छ और हल्के रंग के वस्त्र पहनें। सफेद या पीला रंग इस दिन के लिए विशेष रूप से शुभ माना जाता है। इसके बाद, अपने घर के पूजा स्थान की अच्छी तरह से सफाई करें। आप पूजा स्थल पर गंगाजल या गौमूत्र का छिड़काव कर सकते हैं, जिससे स्थान पवित्र हो जाए।

sawan somwar ki puja vidhi 2025

पूजा शुरू करने से पहले, भगवान शिव, माता पार्वती और भगवान गणेश की मूर्ति या चित्र पूजा स्थान पर स्थापित करें। अब एक थाली में पूजा की सभी आवश्यक सामग्री व्यवस्थित ढंग से सजा लें। इसमें ताजे फूल, अक्षत (साबुत चावल), शुद्ध जल, पंचामृत (दूध, दही, घी, शहद और शक्कर का मिश्रण), बेलपत्र, धतूरा, भस्म (विभूति), मौसमी फल और मिठाई शामिल करें। दीपक और अगरबत्ती भी तैयार रखें, क्योंकि ये पूजा के लिए अनिवार्य हैं।

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पूजा की शुरुआत करने से पहले, अपने दाहिने हाथ में थोड़ा सा जल, कुछ फूल और अक्षत लें। अब भगवान शिव का ध्यान करते हुए व्रत का संकल्प लें। संकल्प लेते समय अपनी मनोकामना या व्रत के उद्देश्य को मन में दोहराएं। यह संकल्प आपकी पूजा को एक निश्चित दिशा और उद्देश्य प्रदान करता है। अब आप शिवलिंग का अभिषेक शुरू करें। सबसे पहले शिवलिंग को गंगाजल से स्नान कराएं। इसके बाद, पंचामृत (दूध, दही, घी, शहद और शक्कर का मिश्रण) अर्पित करें। पंचामृत अर्पित करने के बाद, शिवलिंग को पुनः गंगाजल से स्नान कराएं ताकि वह शुद्ध हो जाए। अभिषेक के बाद, शिवलिंग पर बेलपत्र (उल्टा करके), धतूरा, भांग, चंदन और ताजे फूल श्रद्धापूर्वक अर्पित करें। भगवान शिव के साथ-साथ भगवान गणेश और माता पार्वती की भी विधिवत पूजा करें, क्योंकि उनकी पूजा के बिना शिव पूजा अधूरी मानी जाती है।

  • पूजा के दौरान 'ॐ नमः शिवाय' मंत्र का कम से कम 108 बार जाप करें। यह भगवान शिव का मूल मंत्र है और अत्यंत शक्तिशाली माना जाता है।
  • यदि आप चाहें, तो महामृत्युंजय मंत्र का जाप भी कर सकते हैं, जो लंबी आयु और अच्छे स्वास्थ्य के लिए किया जाता है।
  • शिव चालीसा, रुद्राष्टक या शिव पुराण का पाठ करना भी अत्यंत पुण्यकारी होता है।
  • अंत में, धूप-दीप प्रज्वलित कर भगवान शिव की आरती करें। आरती करने से पूजा पूर्ण मानी जाती है।

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आरती के बाद, भगवान को फल, मिठाई या जो भी सात्विक भोजन आपने बनाया है, वह भोग के रूप में अर्पित करें। भोग लगाने के बाद, सभी परिजनों में प्रसाद वितरित करें। प्रसाद बांटने से भगवान का आशीर्वाद सभी को मिलता है। यदि आपने निर्जल (बिना पानी) व्रत रखा है, तो व्रत का पारण अगले दिन सूर्योदय के बाद ही करें। व्रत खोलने के लिए सात्विक भोजन ग्रहण करें। व्रत के बाद, जरूरतमंदों को भोजन या वस्त्र दान करना अत्यंत पुण्यकारी माना जाता है। यह दान आपके व्रत के फल को और भी बढ़ा देता है।

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image credit: herzindagi

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FAQ

  • सावन सोमवार के दिन शिव जी को क्या अर्पित करें?  

    सावन सोमवार के दिन शिव जी को रुद्राक्ष अवश्य चढ़ाएं, यह सबसे ज्यादा शुभ माना जाता है। 
  • सावन सोमवार व्रत कैसे रखा जाता है?

    सावन सोमवार व्रत के दौरान तली-भुनी चीजों का सेवन करने से परहेज करना चाहिए। इसके अलावा बाजार में मिलने वाले पैकेट फूड्स या रेडी-टू-ईट स्नैक्स जैसे रोस्टेड मखाने, मसालेदार काजू या अन्य पैकेज्ड नमकीन भी व्रत में वर्जित माने जाते हैं। इनका सेवन करने से व्रत खंडित हो सकता है।