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Kanya Pujan Navratri 2025: नवरात्रि में कन्या पूजन में किस उम्र की कन्याओं की पूजा करना सबसे ज्यादा शुभ होता है, एस्ट्रोलॉजर से जानें नियम

नवरात्रि में कन्या पूजन का विशेष महत्व होता है। आमतौर पर शारदीय नवरात्रि की अष्टमी और नवमी तिथि पर कन्याओं का पूजन किया जाता है। आइए जानें किस उम्र की कन्याओं का पूजन सबसे शुभ माना जाता है जिससे माता दुर्गा की कृपा बनी रहे।
Editorial
Updated:- 2025-09-29, 19:22 IST

नवरात्रि का पर्व हिंदू धर्म में बड़े धूमधाम से मनाया जाता है। इस दौरान माता दुर्गा के नौ रूपों की पूजा-अर्चना की जाती है। इस अवधि में मंदिरों और शक्तिपीठों में भक्तों का तांता लगा रहता है और लोग माता के दर्शन करके अपने जीवन में सुख-समृद्धि की कामना करते हैं। नवरात्रि का पर्व पूरे नौ दिनों तक मनाया जाता है और दशहरा पर्व से इसका समापन हो जाता है। नवरात्रि के आखिरी दिन कन्या पूजन करने का विधान है जिसे लोग श्रद्धा से मनाते हैं। कन्या पूजन को नवरात्रि पर्व का एक अनिवार्य चरण माना जाता है। भागवत महापुराण के अनुसार, नवरात्रि में कन्या पूजन किए बिना नवरात्रि के सभी दिनों की पूजा अधूरी मानी जाती है। कन्याओं को मां दुर्गा का स्वरूप माना जाता है और विधि-विधान के साथ उनका पूजन किया जाता है। कन्या पूजन के लिए कुछ विशेष नियमों में से एक यह भी है कि किस उम्र की कन्याओं का पूजन सबसे ज्यादा फलदायी माना जाता है। अगर आप भी नवरात्रि के दौरान कन्या पूजन करती हैं तो एस्ट्रोलॉजर शेफाली गर्ग से जानें इसके बारे में विस्तार से।

नवरात्रि में कब किया जाता है कन्या पूजन

नवरात्रि के नौ दिनों के समापन पर लोग अष्टमी या नवमी तिथि के दिन कन्या पूजन करते हैं। ऐस्ट्रॉलजर शेफाली गर्ग जी बताती हैं कि कन्या पूजन के लिए सबसे शुभ तिथि अष्टमी मानी जाती है। भागवत महापुराण के अनुसार, कंजक पूजन के दिन नौ कन्याओं की पूजा करना अत्यंत फलदाई माना गया है। इन नौ कन्याओं को देवी दुर्गा का साक्षात रूप माना जाता है।

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kanya pujan vidhi

कौन सी कन्याएं पूजनीय मानी जाती हैं?

वैसे तो हर एक कन्या माता का रूप होती है, लेकिन जब कन्या पूजन की बात करें तो विशेष रूप से 2 साल से 10 साल तक की कन्याओं का पूजन करना सबसे शुभ माना जाता है। ऐसा कहा जाता है कि कन्या पूजन उन्हीं कन्याओं का करने की सलाह दी जाती है जिनका मासिक धर्म आरंभ न हुआ हो। वहीं 2 साल से लेकर 10 साल तक की कन्याएं अलग-अलग स्वरूप मानी जाती हैं।

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kanya pujan ke rules kya hain

  • 2-3 साल की कन्या: जिन कन्याओं की उम्र 2 से 3 साल होती है उन्हें त्रिमूर्ति कहा जाता है। मान्यता है कि इनका पूजन करने से घर में सुख-समृद्धि बनी रहती है।
  • 4 साल की कन्या: इस उम्र की कन्याओं को कल्याणी कहा जाता है। इनकी पूजा करने से वर्तमान में चल रहे मंगल कार्य सफल होते हैं।
  • 5 साल की कन्या: 5 साल की कन्या को रोशनी कहा जाता है। कन्या पूजन के दौरान इस उम्र की कन्याओं की पूजा से आपको स्वास्थ्य लाभ होता है।
  • 6 साल की कन्या: इस उम्र की कन्याओं को कालिका का रूप माना गया है। इस उम्र की कन्याओं की पूजा करने से शत्रु का नाश होता है।
  • 8 साल की कन्या: ऐसा कहा जाता है कि 8 साल की कन्याओं का पूजन करने से व्यक्ति की दुख-दरिद्रता का नाश होता है।
  • 9 साल की कन्या: इस उम्र की कन्याओं का पूजन करने से दुर्गा पूजन के समान फल मिलता है और असाध्य रोगों का नाश और कठिन कार्यों की सिद्धि प्राप्त करने की शक्ति मिलती है।
  • 10 साल की कन्या: इस उम्र की कन्याओं को सुभद्रा कहा जाता है। इनका पूजन करने से व्यक्ति को मोक्ष की प्राप्ति होती है।

अगर आप भी नवरात्रि के दौरान कन्या पूजन करती हैं तो  नवरात्रि के अंतिम दिन कन्याओं का सम्मान और उनके चरणों में आशीर्वाद लेना अत्यंत फलदायी होता है। आपको यह स्टोरी अच्छी लगी हो तो इसे फेसबुक पर शेयर और लाइक जरूर करें। इसी तरह के अन्य आर्टिकल पढ़ने के लिए जुड़े रहें हरजिंदगी से।

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