Janmashtami Vrat Katha 2024: जन्माष्टमी के दिन पूजा के दौरान पढ़ें ये व्रत कथा, सभी मनोकामना हो सकती हैं पूरी

Janmashtami Vrat Katha 2024 for Wish Fulfillment: कृष्ण जन्माष्टमी के पावन अवसर पर व्रत रखकर भगवान श्रीकृष्ण की विधिवत रूप से पूजा की जाती है। इससे व्यक्ति की सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती है। 

Janmashtami vrat Katha  for wish fulfillment ()

देश में कृष्ण जन्माष्टमी की तैयारियां खूब जोरों-शोरों से चल रही है। इस दिन भगवान श्रीकृष्ण के बाल स्वरूप की पूजा करने का विधान है। इस दिन भक्त व्रत रखकर अपने आराध्य की पूजा करते हैं। वहीं इस साल जन्माष्टमी का मुहूर्त 27 अगस्त को देर रात 12 बजे से लेकर 12 बजकर 45 मिनट तक है। इस दौरान सर्वार्थ सिद्धि योग भी रहने वाला है। अब ऐसे में इस दिन व्रत रखने और कथा पढ़ने का विशेष महत्व है। ऐसी मान्यता है कि जो भक्त इस दिन व्रत रखकर भगवान श्रीकृष्ण की पूजा करता है, उसकी सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती है।

आइए इस लेख में ज्योतिषाचार्य पंडित अरविंद त्रिपाठी से कृष्ण जन्माष्टमी व्रत कथा के बारे में विस्तार से जानते हैं।

जन्माष्टमी व्रत कथा (Janmashtami Vrat Katha 2024)

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पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, भगवान श्रीकृष्ण का जन्म मथुरा में हुआ था। ऐसा बताया जाता है कि उनका जन्म कंस का वध करने के लिए हुआ था। बता दें कि द्वापर युग में कंस ने अपने पिता उग्रसेन राजा की राजगद्दी छीन ली थी और उन्हें जेल में बंद कर दिया था। इसके बाद कंस ने अपने आप को मथुरा का राजा घोषित कर दिया था। वहीं कंस की एक बहन भी थी। जिनका नाम देवकी था।

कंस अपनी बहन देवकी की शादी वासुदेव के साथ धूम-धाम के साथ करा दिया। उसके बाद वह देवकी को विदा कर रहा था। तब आकाशवाणी हुई कि देवकी का आंठवां पुत्र कंस का वध करेगा। तब यह आकाशवाणी सुनकर कंस का रुह कांप उठा और वह घबराने लग गया।

ऐसी आकाशवाणी सुनने के बाद वह अपनी बहन देवकी की हत्या करने का मन बना लिया था, लेकिन वासुदेव ने कंस को समझाया कि ऐसा करने से उसे कोई फायदा नहीं होगा। तब उसने अपनी बहन देवकी और वासुदेव को जेल में कैद कर लिया और वासुदेव से कहा कि तुम अपने आठवीं संतान को मुझे सौंप दोगे।

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उसके बाद कंस ने देवकी और वासुदेव की 7 संतान को मार दिया। जब आठवीं का जन्म होने वाला था, तब आसमान में घोर घने बादल छा गए और तेज वर्षा होने लग गई। साथ ही आसमान में बिजली कड़कने लगी।

मान्यताओं के अनुसार, मध्यरात्रि 12 बजे जेल के सारे ताले टूट गए और वहां निगरानी कर रहे सभी सैनिक गहरी नींद में सो गए। ऐसा कहा जाता है कि उस समय भगवान श्रीकृष्ण प्रकट हुए थे और उन्होंने देवकी-वासुदेव को कहा कि वह देवकी के कोख से जन्म लेंगे।

krishna janmashtami cover

इसके बाद उन्होंने कहा कि वह उनके अवतार को गोकुल में नंद बाबा के पास छोड़ आएं और मथुरा में जन्मी कन्या को मथुरा ला कर कंस को सौंप दें। इसके बाद वासुदेव ने भगवान के कहने के अनुसार वह नंद बाबा के पास छोड़ आए और गोकुल से लाई कन्या को कंस को सौंप दिए।

उसके बंद क्रोधित कंस को जैसे ही पता चला कि कन्या का जन्म हुआ है। वह उसे मारने के लिए जेल गया और अपना हाथ उठाया, तब अचानक से कन्या गायब हो गई। जिसके बाद आकाशवाणी हुई कि हे मुर्ख! तुम जुस शिशु को मारना चाहते ह, वे गोकुल में है।

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यह आकाशवाणी सुनकर कंस डर गया और राक्षसों को गोकुल भेजकर कान्हा को मारने की कोशिश की, लेकिन श्रीकृष्ण ने सभी राक्षसों को एक-एक कर मार दिया और उसके बाद भगवान विष्णुअवतार श्रीकृष्ण ने कंस का भी वध कर दिया।

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श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के दिन व्रत के साथ-साथ इस कथा को अवश्य पढ़ें और अगर हमारी स्टोरीज से जुड़े आपके कुछ सवाल हैं, तो वो आप हमें आर्टिकल के नीचे दिए कमेंट बॉक्स में बताएं। हम आप तक सही जानकारी पहुंचाने का प्रयास करते रहेंगे। अगर आपको ये स्टोरी अच्छी लगी है, तो इसे शेयर जरूर करें। ऐसी ही अन्य स्टोरी पढ़ने के लिए जुड़ी रहें हरजिंदगी से।

Image Credit - Freepik

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