Why lord Krishna chhathi celebrated one day before janmashtami in gokul ()

Janmashtami 2025: गोकुल में जन्माष्टमी से एक दिन पहले भगवान कृष्ण की छठी क्यों मनाई जाती है?

जन्माष्टमी पर भगवान कृष्ण का जन्मोत्सव मनाया जाता है और उनकी विधिवत पूजा की जाती है। यह पर्व सुख, समृद्धि और सौभाग्य लाता है। वहीं, जन्माष्टमी से एक दिन पहले गोकुल में कान्हा की छठी मनाई जाती है। आइये जानते हैं इसका महत्व और इसके पीछे की कथा।
Editorial
Updated:- 2025-08-13, 11:55 IST

पंचांग के अनुसार, हर साल भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को जन्माष्टमी का त्योहार मनाया जाता है। इस साल यह पर्व 16 अगस्त को है। इस दिन भक्त उपवास रखते हैं और रात 12 बजे भगवान श्री कृष्ण के जन्म के बाद पूजा करके अपना व्रत खोलते हैं। इस दौरान भगवान श्रीकृष्ण के बाल स्वरूप की पूजा का विधान है।

आपको बता दें कि ब्रज के गोकुल में कृष्ण जन्माष्टमी से एक दिन पहले ही उनकी छठी पूजा की जाती है, जबकि आमतौर पर छठी बच्चे के जन्म के बाद मनाई जाती है। इसके पीछे कुछ खास ज्योतिषीय और पौराणिक मान्यताएं जुड़ी हैं, जो यह बताती हैं कि गोकुल में कान्हा के जन्म से पहले उनकी छठी क्यों मनाई जाती है। आइये जानते हैं इस बारे में ज्योतिषाचार्य पंडित अरविंद त्रिपाठी से। 

गोकुल में जन्माष्टमी से पहले क्यों होती है कान्हा की छठी? 

Lord Krishna Chhatthi celebrations

पौराणिक कथाओं के अनुसार, जब भगवान श्री कृष्ण का जन्म हुआ, तो वासुदेव जी ने उन्हें बारिश के बीच टोकरी में रखकर गोकुल में नंदजी के यहां छोड़ कर आए थे। जिसके बाद कंस कान्हा को मारने के लिए राक्षसी पूतना को आदेश दिया कि वह मथुरा और गोकुल के आस-पास रहने वाले उन सभी बच्चों को मार डाले। जिनका जन्म बीते 6 दिनों में हुआ हो। कंस के आदेश के अनुसार पूतना ने ऐसा किया। 

जब मां यशोदा को यह बात पता चली, तो वह काफी डर गई और श्रीकृष्ण को पूतना से बचाने के बारे में सोचने लगी। इस बीच उन्हें यह भी याद नहीं रहा कि कान्हा जी की छठी भी पूजनी है, लेकिन लाख कोशिशों के बाद पूजना श्रीकृष्ण को उठाकर ले जाने लगी। लेकिन जब स्तनपान कराया तो उन्होंने इसे इतनी जोर से काटा कि पूतना की वहीं मृत्यु हो गई। 

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puja vidhi

पूतना को मारने के बाद श्री कृष्णने अपना बाल स्वरूप धारण किया। उन्होंने कई लीलाएं दिखाई और राक्षसों का संहार किया। जब वह एक साल के हुए, तो यहां मां यशोदा ने गोकुलवासियों को उनके जन्मदिन का न्योता दिया। लेकिन गोकुल की सभी बुजुर्ग महिलाओं ने माता यशोदा से कहा कि अभी तक कान्हा की छठी नहीं पूजी गई है। अब ऐसे में जन्मदिन कैसे मनाया जाएगा। इसके बाद बुजुर्गों और ब्राह्मणों ने सलाह दी कि कान्हा के जन्मदिन से एक दिन पहले उनकी छठी पूजी जाए। तभी जन्मदिन मनाया जा सकता है। कान्हा के जन्मदिन से एक दिन पहले छठी पूजी गई और फिर उनका जन्मदिन मनाया गया। गोकुल में यह परंपरा आज भी निभाई जा रही है। 

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Image Credit- HerZindagi

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FAQ
जन्माष्टमी के दिन क्या दान करें?
जन्माष्टमी के दिन, भगवान कृष्ण को प्रसन्न करने और शुभ फल पाने के लिए अन्न, वस्त्र, माखन-मिश्री, फल, गौसेवा, और धार्मिक पुस्तकों का दान करना शुभ माना जाता है। 
जन्माष्टमी के दिन किस मंत्र का जाप करें?  
जन्माष्टमी के दिन 'ऊं देवकी सुत गोविंद वासुदेव जगत्पते। देहि मे तनयं कृष्ण त्वामहं शरणं गत:।' मंत्र का जाप करें।
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