सभी पुराणों में शिव पुराण का विशेष महत्व बताया गया है। शिव पुराण में भगवान शिव के विविध रूप, अवतार, ज्योतिर्लिंग का विस्तृत वर्णन किया गया है। 18 पुराणों में शिव पुराण को अधिक पढ़ा जाने वाला पुराण है। जिसमें भगवान शिव के रूप, लीलाओं और कथाओं का वर्णन किया गया है। कथा के माध्यम से भगवान भोलेनाथ की महिमा का जिक्र है।धार्मिक मान्यताओं के अनुसार ऐसा कहा जाता है कि शिव पुराण की कथा पढ़ने और सुनने से व्यक्ति की सभी परेशानियां दूर हो जाती है और घर-परिवार में शिवजी का आशीर्वाद बना रहता है।अब ऐसे में अगर आप शिवपुराण का पाठ कर रहे हैं, तो इससे जुड़े कई नियमों के बारे में भी उल्लेख किया गया है। आइए इस लेख में ज्योतिषाचार्य पंडित अरविंद त्रिपाठी से विस्तार से जानते हैं कि किस विधि से पढ़ने से लाभ हो सकता है।
शिव पुराण पढ़ने के नियम क्या हैं?
शिवपुराण की कथा पढ़ने या सुनने से पहले भगवान शिव का ध्यान करते हुए संकल्प लें। इसके बाद ही पूरी श्रद्धा और भक्ति-भाव के साथ कथा सुनें। इससे आपको पूर्ण लाभ मिल सकता है। शिव पुराण का पाठ करने के दौरान जातकों को केवल सात्विक भोजन ही करना चाहिए और ब्रह्मचर्य का पालन अवश्य करें। अगर आप शिव पुराण की कथा का आयोजन कर रहे हैं, तो इस बात का ध्यान रखें कि अपने सगे-संबंधियों को जरूर आमंत्रित करें और कथा निराहार रहकर ही पढ़ें।
शिव पुराण पढ़ने का महत्व क्या है?
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, ऐसा कहा जाता है कि जिन दंपतियों को संतान सुख की प्राप्ति नहीं होती है। उन्हें शिव पुराण की कथा अवश्य पढ़नी चाहिए। इसके अलावा अगर घर में कोई जातक बार-बार बीमार पड़ता रहता है, तो उसे भी इसके पाठ जरूर करना चाहिए। शिव पुराण सुनने व पढ़ने से साधक को शिवलोक में स्थान प्राप्त होता है। शिव पुराण में ऐसा कहा गया है कि शिव पुराण को सुनने मात्र से व्यक्ति को समस्त पापों से छुटकारा मिल जाता है। साथ ही व्यक्ति की सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती है। शिव पुराण में जीवन के गूढ़ रहस्यों, आत्मा और परमात्मा के संबंध, कर्मफल सिद्धांत आदि के बारे में गहराई से बताया गया है।
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इसे पढ़ने से व्यक्ति को आध्यात्मिक ज्ञान प्राप्त होता है और जीवन के उद्देश्य को समझने में मदद मिलती है। शिव पुराण के पाठ से मन शांत होता है और तनाव कम होता है। यह ग्रंथ जीवन की चुनौतियों का सामना करने की शक्ति प्रदान करता है। शिव पुराण का नियमित पाठ करने से व्यक्ति को मोक्ष की प्राप्ति होती है और वह परमात्मा के साथ एकात्म हो जाता है।
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