पहलगाम में स्थित है एक ऐसा मंदिर जहां भगवान शिव ने काटा था गणेश जी का सिर, जानिए इसका इतिहास

पिछले दिनों पहलगाम में हुए आतंकी हमले ने इसे दुनियाभर में चर्चा का विषय बना दिया है। यह जगह कश्मीर की सुंदर और शांत जगहों में से एक है और यहां पर एक ऐसा मंदिर भी स्थित है, जहां पर शिव जी ने गणेश जी को हाथी का सिर दिया था। 
fascinating history of mamleshwar temple in pahalgam

हाल ही में, कश्मीर का सुंदर और शांत स्थान पहलगाम आतंकवादी हमले का शिकार हुआ था। हिमालय की गोद में समाए पहलगाम की शांति और सुरक्षा को आतंकियों ने झटका दिया था और कई पर्यटकों को मौत के घाट उतार दिया था। इन दिनों पहलगाम में सन्नाटा पसरा हुआ है और लोग अब यहां जाने से भी डर रहे हैं। वहीं, पहलगाम की खूबसूरत वादियों में मन का शांति और धार्मिक आस्था से जुड़ा हुआ एक प्रसिद्ध हिंदू मंदिर भी स्थित है, जो लिद्दर नदी के पास समुद्र तल से 2200 फीट की ऊंचाई पर स्थित है।

ममलेश्वर मंदिर का निर्माण

Pahalgam Terror Attack shiv temple pahalgam

पहलगाम के ममलका गांव में 12वीं शताब्दी में ममलेश्वर मंदिर का निर्माण लोहरा वंश के राजा जयसिंह ने करवाया था। उन्होंने इस मंदिर की छत पर सोने का कलश भी चढ़वाया था। इस मंदिर में शिव जी का शिवलिंग स्थापित है और मंदिर में दो सुंदर नंदी की मूर्तियां भी हैं। शिवलिंग के पास से एक प्राकृतिक झरना भी बहता रहता है, जिसका पानी कुंड में एकत्रित होता रहता है। इस मंदिर को मम्मल मंदिर भी कहा जाता है। आपको बता दें कि मम का मतलब मत और मल का अर्थ है जाना, यानी यहां मत जाओ, जिसके पीछे एक पैाराणिक कथा जुड़ी हुई है।

ममलेश्वर मंदिर से जुड़ी पौराणिक कथा

शिवपुराण के अनुसार, एक बार माता पार्वती ने स्नान से पहले उबटन लगाया और उबटन उतारने के बाद, उस हल्दी से एक पुतला बनाया। उसमें उन्होंने प्राण डाल दिए और इस तरह भगवान गणेश का जन्म हुआ। माता पार्वती स्नान करने जाने से पहले गणेश जी को द्वारपाल बनाकर चली गई। उन्होंने आदेश दिया कि कोई भी व्यक्ति अंदर न आने पाए। कुछ समय बाद, भगवान शिव वहां पर आए और उन्होंने माता पार्वती से मिलने की बात कही। लेकिन, गणेश जी ने उन्हें अंदर जाने रोक दिया। यह देखकर भगवान भोलेनाथ को क्रोध आ गया और उन्होंने अपने ही पुत्र के साथ युद्ध करना शुरू कर दिया। लंबे समय तक युद्ध करने के बाद, भगवान शिव ने अपने त्रिशूल से गणेश जी का सिर काट दिया।

जब पार्वती मइया बाहर आईं और उन्होंने गणेश जी को मूर्छित देखा, तो वह रोने लगीं। उन्होंने कहा कि वह प्रलय ला देंगी। इससे सभी देवतागण परेशान हो गए और देवताओं ने माता पार्वती को शांत करने की कोशिश की। तब भगवान शिव ने गरुड़ जी को आदेश दिया कि तुम उत्तर दिशा में जाओ और जो मां अपने बच्चे की तरफ पीठ करके बैठी हो उसके बच्चे का सिर ले आओ।

गरुड़ जी आदेश मानकर उड़ गए और उन्होंने काफी समय तक तलाश किया। आखिरी में उन्हें एक हथिनी दिखाई दी और वह उसके बच्चे का सिर लेकर चले आए। शिव जी ने गणेश जी के धड़ पर हाथी का सिर रखकर उन्हें पुनर्जीवित कर दिया।

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अमरनाथ यात्रा में ममलेश्वर मंदिर की भूमिका

Mamaleshwar Temple in Pahalgam

पहलगाम स्थित ममलेश्वर मंदिर का अमरनाथ यात्रा से गहरा संबंध है। अमरनाथ गुफा में बर्फ के शिवलिंग की पूजा की जाती है और इस गुफा तक पहुंचने से पहले, भक्तजन अपनी यात्रा की शुरुआत पहलगाम से करते हैं। जहां पर ममलेश्वर मंदिर में दर्शन करने के बाद आगे बढ़ा जाता है।

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Image Credit - wikipedia, social media

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