Facts About Female Body: हिंदुस्तान में कई चीज़ों को लेकर टैबू होता है और इस बात को बिल्कुल नकारा नहीं जा सकता कि महिलाओं की दैनिक जरूरतों और उनकी शारीरिक समस्याओं और जरूरतों को लेकर तो सबसे ज्यादा बातें बनाई जाती हैं। क्या आपने कभी सोचा है कि इन जरूरतों के बारे में बात कौन करेगा? हमारे देश में इससे ज्यादा गलत समझा जाने वाला कोई भी टॉपिक हो ही नहीं सकता है। जहां सबके सामने पीरियड्स की बात करने को ही गलत माना जाता है वहां पर शारीरिक जरूरत तो यकीनन एक बेहद गंभीर विषय समझा जाता है।
पर साइंस की बात करें तो नेचुरल चीज़ों को ही यहां पर बदनाम किया जाता है। पीरियड्स, ब्रेस्ट और वेजाइनल एग्जाम आदि से जुड़ी समस्याएं महिलाएं गायनेकोलॉजिस्ट के सामने बोलने से भी कतराती हैं और ऐसे में अगर फीमेस ऑर्गेज्म की बात हो जाए तब तो यकीनन महिलाएं परेशान हो जाती हैं। खीज या शर्म के आगे देखा जाए तो ये एक बहुत बड़ी जरूरत है जिसे आप कम नहीं मान सकते हैं। कई महिलाओं को तो इसके बारे में जानकारी होती ही नहीं है।
M.B.BS, MD (Obgyn) डॉक्टर अमीना खालिद ने अपने इंस्टाग्राम अकाउंट पर फीमेल ऑर्गेज्म से जुड़ी जानकारी शेयर की है। उन्होने फीमेल ऑर्गेज्म से जुड़े कुछ जरूरी फैक्ट्स शेयर किए हैं जिसके बारे में आमतौर पर बात नहीं होती है।
1. ऑर्गेज्म से बढ़ते हैं प्रेग्नेंसी के ऑप्शन-
डॉक्टर अमीना के मुताबिक ऐसी महिलाएं जिन्हें वेजाइनल ऑर्गेज्म महसूस होता है उनका प्रेग्नेंट होने का चांस ज्यादा होता है। ऐसा इसलिए क्योंकि मसल कॉन्ट्रैक्शन के कारण पुरुष स्पर्म का यूट्रेस तक पहुंचने का रास्ता ज्यादा आसान हो जाता है।(पीएमएस के लिए होम रेमेडीज)
ऑर्गेज्म के कारण मसल्स और करीब आ जाते हैं जिससे शुक्राणु आसानी से ट्रैवल कर सकते हैं।
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2. सिर्फ इंटरकोर्स से नहीं होता ऑर्गेज्म-
ये सबसे बड़ी गलतफहमी है जो महिलाओं को होती है। पार्टनर के साथ इंटरकोर्स करते समय ऑर्गेज्म हो ये जरूरी नहीं है। इसके लिए क्लिटोरिस के मसल्स में हलचल जरूरी है।
कई महिलाएं इसपर ज्यादा ध्यान नहीं देती हैं और इसलिए इंटरकोर्स उनके लिए काफी दर्दभरा अनुभव बनकर सामने आता है और ये सही नहीं है।(वेजाइना की समस्याएं)
3. ऑर्गेज्म एक साथ बहुत मुश्किल है-
आपका और आपके पार्टनर का ऑर्गेज्म एक साथ हो ये जरूरी नहीं है। जैसा कि पहले भी बताया गया है कि इंटरकोर्स के कारण ये नहीं होता है और इसलिए महिलाओं को थोड़ा अलग महसूस होता है।
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4. ओव्यूलेशन के दौरान ये ज्यादा होता है-
एक स्टडी बताती है कि क्लिटोरिस का साइज ओव्यूलेशन की तारीख के समय 15-20 प्रतिशत बढ़ जाता है और इसलिए ये गुंजाइश है कि उस दौरान आपको ज्यादा बेहतर महसूस हो और ऑर्गेज्म हो।
ये महिलाओं की प्रेग्नेंसी से ही जुड़ा होता है और यकीनन आपका शरीर आपको प्रेग्नेंट होने के ज्यादा मौके प्रदान करता है। ये पूरी तरह से बायोलॉजिकल है और इसमें कोई भी संदेह नहीं है।
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5. महिलाओं को देर से होता है ऑर्गेज्म-
ये भी एक साइंटिफिक फैक्ट है कि महिलाओं को ऑर्गेज्म ज्यादा देर से होता है और पुरुषों को ये जल्दी हो सकता है। पुरुषों के लिए ये 5-7 मिनट ही होता है और महिलाओं के लिए ये समय 13.41 मिनट तक का समय ले सकता है।
ये सारे फैक्ट महिलाओं के शरीर से ही जुड़े हुए हैं, लेकिन इसके बारे में बात करने से सभी कतराते हैं। अगर आपको भी अपनी निजी जिंदगी से जुड़ी कोई समस्या हो तो उसके बारे में एक्सपर्ट से जरूर बात करें। अगर आपको ये स्टोरी अच्छी लगी है तो इसे शेयर जरूर करें। ऐसी ही अन्य स्टोरी पढ़ने के लिए जुड़े रहें हरजिंदगी से।
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Image Credit: Shutterstock/ Freepik
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