लंबी दूरी की यात्रा करने वाले लोग अक्सर ट्रेन से सफर करना पसंद करते हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि इससे यात्रा करना आसान होने के साथ-साथ सस्ता भी होता है। लेकिन त्योहारों के समय अक्सर लोगों को ट्रेन से यात्रा करने में परेशानी होता है। क्योंकि त्योहार में एक से 2 महीने पहले ही ट्रेन में सीटें भर जाती है।
ऐसे में आप वेटिंग टिकट तो खरीद लेते हैं, लेकिन आपको पता नहीं होता है कि यह कंफर्म होगी भी या नहीं। कई लोगों को यह शिकायत रहती है कि वेटिंग लिस्ट कम होने के बाद भी टिकट कंफर्म नहीं हुई, जबकि आपके साथी की टिकट ज्यादा वेटिंग लिस्ट के बाद भी कंफर्म हो गई।
इस बात को समझने के लिए सबसे पहले यह बात पता होनी चाहिए कि ट्रेन में कितनी तरह की वेटिंग लिस्ट होती है। क्योंकि वेटिंग लिस्ट का आधार पर ही आप अपनी सीट कंफर्म होने के बारे में पता लगा पाएंगे।
भारतीय रेल में टिकट वेटिंग कई तरह की होती है। आज के इस आर्टिकल में हम आपको इन सबी वेटिंग लिस्ट के बारे में विस्तार से बताएंगे।
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GNWL जनरल वेटिंग लिस्ट (General Waiting List)- ये वेटिंग टिकट उसी स्टेशन से जारी किया जाता है, जहां से ट्रेन की शुरुआत होती है। जैसे अगर ट्रेन की शुरुआत दिल्ली से ही हो रही है और आपने भी अपना टिकट दिल्ली से ही लिया है, तो इस तरह की वेटिंग लिस्ट इन टिकट पर जारी होती है।
इस ट्रेन में टिकट कंफर्म होने के ज्यादा चांस होते हैं, क्योंकि आपने जहां से टिकट बुक की है, वहां से ही ट्रेन की भी शुरुआत हो रही है। इस तरह की वेटिंग लिस्ट में अगर आपके टिकट पर GNWL/6 लिखा है, तो इसे आप समझ सकते हैं कि अभी आपकी सीट कंफर्म होने में 6 सीट की वेटिंग है। जैसे ही कोई इन 6 में से टिकट बुक करने वाला यात्री अपनी टिकट कैंसिल करेगा, तो आपकी सीट कंफर्म हो जाएगी।
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पूल्ड कोटा वेटिंग लिस्ट लंबी दूरी की ट्रेन में किसी बीच के स्टेशन के लिए होती है। इसमें यात्री ट्रेन जहां से शुरू हो रही है और जो उसका लास्ट स्टॉप है, उसके बीच के किसी स्टेशन में यात्रा करना चाहता है। क्योंकि आप बीच में किसी स्टेशन से यात्रा शुरू कर रहे हैं और ट्रेन के लास्ट स्टॉप से पहले ही उतरना चाहते हैं, तो इसके कंफर्म होने के चांस बहुत कम होते हैं।
ऐसा इसलिए क्योंकि अधिकतर लोगों ने ट्रेन की लंबी दूरी के लिए पहले ही टिकट बुक कर ली होती है। आप बीच में जो 5 से 6 स्टेशन पर यात्रा करना चाह रहे हैं, केवल उनके लिए टिकट का कंफर्म होना मुश्किल है।
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कई लोग तत्काल में भी टिकट खरीदते हैं, लेकिन इसमें भी उन्हें कंफर्म सीट नहीं मिल पाती। ऐसी स्थिति में उन्हें वेटिंग टिकट लेकर ही ट्रैवल करना पड़ता है। तत्काल कोटा वेटिंग लिस्ट का मतलब है कि रेलवे के पास कोई कोटा नहीं होता, इसका अर्थ है कि आपके टिकट कंफर्म होने का चांस के ही बराबर है।
ऐसा इसलिए क्योंकि ट्रेन में तत्काल टिकट केवल गिनती के ही होते हैं। जब ट्रेन में सभी सीटें फुल हो जाती है, तो लोग तत्काल टिकट बुक करते हैं, लेकिन जब तत्काल सीटें भी भर जाए, तो तत्काल वेटिंग टिकट का कंफर्म होने का कोई चांस नहीं। (रेलवे के ये पांच नियम आपके बहुत आ सकते हैं काम)
RSWL कोड वाले टिकट की भी कन्फर्म होने की संभावना बहुत ही कम होती है। इस तरह की वेटिंग लिस्ट उन यात्रियों की टिकट पर लिखा होता है, जो ट्रेन के शुरू होने वाले स्टेशन के बाद पड़ने वाले कुछ दूरी वाले स्टेशन के लिए टिकट बुक करता है।
ऐसी टिकट के कंफर्म होने का चांस कम होता है। ऐसा इसलिए क्योंकि अधिकतर यात्री लंबी दूरी की यात्रा के लिए टिकट बुक करते हैं। केवल 4 से 5 स्टेशन पर यात्रा करने वाले यात्रियों की संख्या कम होती है।
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