आज के डिजिटल जमाने में, जब लोग कहीं घूमने जाते हैं, तो वहाँ की तस्वीरें और वीडियो तुरंत सोशल मीडिया पर डाल देते हैं। खासकर जब ट्रैवल व्लॉगर घूमने जाते हैं, तो वे उस जगह को बिलकुल प्रोफेशनल तरीके से दिखाते और बताते हैं। लेकिन, कभी-कभी ये फोटो और वीडियो हमारे देश की सुरक्षा के लिए खतरा बन सकते हैं।
हाल ही में पहलगाम हमले के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव चल रहा है। देश की सुरक्षा एजेंसियाँ लगातार यह पता लगाने में जुटी हैं कि आखिर संवेदनशील जानकारी दुश्मन तक कैसे पहुंची? ऐसे में, ट्रैवल व्लॉगर ज्योति मल्होत्रा खुफिया एजेंसियों के निशाने पर आ चुकी हैं। एजेंसियों का दावा है कि ज्योति ने कुछ खास और संवेदनशील जगहों की फोटो और वीडियो अपने व्लॉग में दिखाए, जिन्हें बाद में जासूसी के लिए इस्तेमाल किया गया।
'सिक्योरिटी ब्रीच' क्या होता है?
अक्सर लोग बिना सोचे-समझे घूमने के दौरान कुछ ऐसी जगहों की फोटो या वीडियो शेयर कर देते हैं, जो दुश्मन देशों या आतंकवादियों के लिए फायदेमंद साबित हो जाते हैं। जब कोई ऐसा काम किया जाता है, जिससे देश की सुरक्षा या जान-माल का नुकसान होने का खतरा पैदा होता है, तो उसे राष्ट्रीय सुरक्षा में सेंध (सिक्योरिटी ब्रीच) कहा जाता है। इसमें ख़ास तौर पर वे लोग शामिल होते हैं, जो गोपनीय (राज वाली) और संवेदनशील जानकारी गलती से या जानबूझकर सोशल मीडिया पर डाल देते हैं।
राष्ट्रीय सुरक्षा का खतरा कब बढ़ता है?
भारत में कुछ ऐसी जगहें हैं, जिन्हें सरकार सुरक्षा के लिहाज से संवेदनशील मानती है।
- सेना के कैंप या ऑपरेशन से जुड़ी जगहें,
- हवाई अड्डे का रनवे, नेवी के जहाज,
- आर्मी की ट्रेनिंग से जुड़ी गतिविधियां
- न्यूक्लियर प्लांट, रिसर्च सेंटर या इनसे जुड़ी जानकारी शामिल हैं।
इन जगहों की फोटो खींचना या वीडियो बनाकर सोशल मीडिया पर डालना गैर-कानूनी माना जाता है। इसके अलावा, अगर आपने इन चीज़ों की जानकारी देते हुए कोई मैप या स्केच भी बनाया है, तो उसे भी गैर-कानूनी माना जाता है। ऐसा करने वाले को भारतीय गोपनीयता कानून (Official Secrets Act, 1923) के तहत, जेल हो सकती है।
भारत में कानून क्या कहते हैं?
भारत में संवेदनशील जगहों की तस्वीरें या वीडियो पोस्ट करने पर कुछ जरूरी कानून बनाए गए हैं:
- डिजिटल पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन (DPDP) एक्ट: इस कानून के अनुसार, अगर किसी कंपनी या संस्था से लोगों की निजी जानकारी (पर्सनल डिटेल्स) लीक होती है, तो उसे न केवल सरकार को बल्कि उस व्यक्ति को भी बताना होगा, जिसका डेटा लीक हुआ है। यह कानून साफ कहता है कि किसी की भी जानकारी उसकी इजाजत के बिना आप इस्तेमाल नहीं कर सकते।
- आईटी एक्ट, 2000 (सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम): अगर कोई बिना इजाज़त के किसी सरकारी सिस्टम या डेटा तक पहुंच जाता है, तो ऐसे अपराधों से निपटने के लिए यह कानून बनाया गया है। इसमें जेल की सजा हो सकती है।
- ऑफ़िशियल सीक्रेट्स एक्ट, 1923: यह बहुत पुराना कानून है और इसके तहत, कोई ऐसा डेटा, फ़ोटो या वीडियो अगर सार्वजनिक किया जाता है, जिससे देश की सुरक्षा को खतरा हो सकता है, तो ऐसे व्यक्ति को जेल की सजा हो सकती है।
ऐसी जगहों की पहचान कैसे करें?
जब आप यात्रा कर रहे हों, तो याद रखें कि अगर किसी जगह पर 'फोटोग्राफी मना है', 'नो ड्रोन जोन' या 'प्रवेश वर्जित' जैसे बोर्ड लगे हुए हैं, तो समझ जाएं कि यह जगह सुरक्षा के लिहाज से संवेदनशील है। कई बार सुरक्षा एजेंसियाँ ख़ुद ही लोगों को फ़ोटोग्राफी करने से मना कर देती हैं। ऐसे में अगर आप फिर भी फोटो या वीडियो बनाकर उसे सोशल मीडिया पर डाल देते हैं, तो आप मुसीबत को दावत दे रहे हैं।
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Image Credit - freepik
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