मुसलमानों के लिए मस्जिद कितनी खास होती है, यह हम सभी हो बहुत ही अच्छे से पता है। यह वो जगह है जहां पर मुसलमान दिन की पांच वक्त की नमाज अदा की जाती है यानी मस्जिद एक तरह से इबादतगाह है। यही वजह है कि हर जगह आपको पुरानी से पुरानी मस्जिद देखने को मिल जाएगी, जिसकी समय-समय पर देखभाल की जाती है।
हालांकि, कई मस्जिद बहुत ही कॉमन होती हैं, लेकिन कुछ का ऐतिहासिक महत्व बहुत होता है। इन्हें राजा-महाराजाओं के समय में बनवाया था और हैरानी की बात तो यह है कि उनकी वास्तुकला की खूबसूरती आज भी यूं ही बरकरार है।
इनमें से कुछ मस्जिदें मुगल काल में बनाई गई थीं, जिनकी वास्तुकला पर बादशाही का रंग साफ नजर आ जाएगा। जब बात मस्जिदों की हो ही रही है, तो क्यों ना हम बेगमपुर मस्जिद के बारे में जानें? यह एक वक्त पर भारत की सबसे फेमस मस्जिद थी, जिसका दीदार करने लोग दूर-दूर से आते थे।
बेगमपुर मस्जिद के बारे में जानें
बेगमपुर मस्जिद की वास्तुकला बहुत ही खूबसूरत है। यूं कहना गलत नहीं होगा कि यह जामा मस्जिद की तरह ही दिखती है, जिसे अपने स्थापत्य रूपांकनों में पास की खिड़की मस्जिदके समान, इस बात पर बहस चल रही है कि क्या मस्जिद का निर्माण मुहम्मद-बिन-तुगलक के शासनकाल के दौरान किया गया था।
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हालांकि, उनके उत्तराधिकारी फिरोजशाह के शासनकाल के दौरान सबूत जूना शाह फिरोज शाह के प्रधानमंत्री के शासनकाल की ओर अधिक इशारा करते हैं। ऐसे में यह कहा नहीं जा सकता है कि इस मस्जिद का निर्माण किस सन में किया गया है।
बेगमपुर गांव में है यह मस्जिद
इतिहास के अनुसार फिरोजशाह तुगलक के वजीरे आजम खाने जहां जूना शाह ने बेगमपुर गांव में ये मस्जिद बनवाई थी। उन्होंने इस मस्जिद को तीन गलियारों में तैयार किया गया है, जिसका आंगन 94 मीटर लंबा और 88 मीटर चौड़ा है। इस मस्जिद का अनगढ़ पत्थरों से निर्मित ढांचा एक ऊंचे चबूतरे पर बनाया गया है।
उसके गलियारों में उत्तर, दक्षिण और पूर्व की ओर एक द्वार है। इसमें से पूर्व का द्वार ही इस्तेमाल किया जाता है। इस इबादत खाने के सामने के भाग में 24 मेहराबी द्वार हैं। इसमें बीच का द्वार सबसे ऊंचा है। तुगलकी शैली में उनके दोनों ओर छोटी छोटी मीनारें हैं। कुल मिलाकर यह मस्जिद काफी खूबसूरत है, जिसका दीदार करने के लिए आपको जाना चाहिए।
ASI द्वारा किया जा रहा है पुनर्स्थापित
अगर किसी भी चीज का ध्यान नहीं रखा जाता, तो वो खराब होने लगती है। इस मस्जिद का भी यही हाल हुआ, इसलिए पिछले कुछ सालों में एएसआई ने इस मस्जिद को पुनर्स्थापित करने का फैसला लिया। एक वक्त ऐसा भी रहा है जब यहां पर लोग शराब पीने, जुआ खेलने आते थे।
हालांकि, अब यहां पर एएसआई गार्ड तैनात कर दिए गए हैं, जो इस स्थान की रक्षा करता है। बिजय मंडल और मस्जिद दोनों मेट्रो स्टेशन से 10 मिनट की पैदल दूरी पर हैं। यहां शालीन कपड़े पहनने की सलाह दी जाती है, क्योंकि यह क्षेत्र एक शहरी गांव है।
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कहां पर है यह मस्जिद?
यह मस्जिद बेगमपुर गांव में मौजूद है, जो मालवीय नगर के पास है। यह गांव दिल्ली में ही है, जो रोहिणी के पास पड़ता है। अगर आप यहां जाएंगे, तो आपको पास में माता का मंदिर भी मिलेगा, जिसका दीदार करने के लिए आप जा सकते हैं।
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