आज के समय में हवाई यात्रा पहले से कहीं ज्यादा आसान और सुविधाजनक हो गई है। पहले लोग लंबी दूरी तय करने के लिए ट्रेन से सफर करना पसंद करते थे, लेकिन समय बचाने के लिए अब अधिकतर यात्री फ्लाइट को प्राथमिकता दे रहे हैं। हालांकि, हवाई यात्रा रोमांचक होती है, लेकिन यह अनिश्चितताओं से भी भरी रहती है। उड़ान में देरी, कैंसिलेशन, ओवरबुकिंग या सामान खोने जैसी समस्याएं यात्रियों के लिए परेशानी का कारण बन सकती हैं। इन्हीं समस्याओं से बचाने के लिए नागरिक उड्डयन महानिदेशालय (DGCA) ने यात्रियों के हितों की रक्षा के लिए कुछ महत्वपूर्ण नियम बनाए हैं। दुर्भाग्य से, कई लोगों को इन नियमों और अपने अधिकारों के बारे में जानकारी नहीं होती है। इसलिए, इस आर्टिकल में हम उन जरूरी अधिकारों के बारे में बताने वाले हैं, जिनके बारे में हर भारतीय हवाई यात्री को पता होना चाहिए।
नागरिक उड्डयन महानिदेशालय (DGCA) ने ऐसे नियम बनाए हैं, जो यह सुनिश्चित करते हैं कि अगर आपकी फ्लाइट देरी से उड़ान भरती है या कैंसिल होती है, तो आपको असुविधा का समाना न करना पड़े। अगर फ्लाइट 2 घंटे से ज्यादा देर होती है, तो एयरलाइन को आपको खाने-पीने और फोन कॉल या इंटरनेट की सुविधा देनी होगी। इसके अलावा, 6 घंटे से ज्यादा की देर पर या रात के 8 बजे से सुबह के 3 बजे के बीच अगर फ्लाइट डिले होती है, तो एयरलाइन को होटल में ठहरने और आने-जाने की सुविधा मुफ्त में देनी होगी। अगर फ्लाइट 24 घंटे से ज्यादा देर होती है, तो आपको अपनी फ्लाइट कैंसिल करने और फुल रिफंड लेने का अधिकार है।
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अगर एयरलाइन आपकी फ्लाइट कैंसिल कर रही है, तो वे आपको बिना किसी एक्स्ट्रा चार्ज के वैकल्पिक फ्लाइट या पूरा रिफंड देने के लिए बाध्य है। अगर कैंसिलेशन की सूचना आपको 2 हफ्ते से 24 घंटे पहले दी जाती है, तो एयरलाइन को आपको 10,000 रुपये तक का मुआवज़ा देना होगा।
वहीं, फ्लाइट अगर खराब मौसम, एयर ट्रैफिक कंट्रोल प्रतिबंध, या किसी अन्य वजह से कैंसिल होती है, तो एयरलाइन मुआवज़ा देने के लिए बाध्य नहीं होगी।
कभी-कभी एयरलाइंस ओवरबुकिंग कर देती हैं, जिससे सभी यात्रियों को सीट मिलने में दिक्कत हो जाती है। ऐसे में अगर एयरलाइन आपके पास कन्फर्म टिकट होने के बावजूद फ्लाइट में चढ़ने से मना करती है, तो आपको मुआवजा पाने का अधिकार है।
अगर एयरलाइन आपको फ्लाइट में चढ़ने से रोकती है और इससे आपकी यात्रा में 1 घंटे तक की देरी होती है, तो आपको 5,000 रुपये तक का मुआवज़ा मिलेगा। अगर देरी 1 से 4 घंटे के बीच होती है, तो एयरलाइन को 10,000 रुपये तक का मुआवज़ा देना होगा।
अगर आपकी यात्रा 4 घंटे से ज्यादा देर होती है, तो आपको या तो दूसरी फ्लाइट दी जानी चाहिए या फिर एयरलाइन को 20,000 रुपये तक मुआवज़ा देना होगा।
अगर फ्लाइट यात्रा के दौरान आपका सामान गुम हो जाता है, तो एयरलाइन को उसके वजन के हिसाब से मुआवजा देना होगा।
अगर आपका सामान आपको 24 घंटे से ज्यादा देरी से मिलता है, तो आप एयरलाइन से टॉयलेटरीज़, कपड़े और अन्य ज़रूरी चीज़ों के खर्च की भरपाई की मांग कर सकते हैं।
अगर आपका सामान टूट या खराब हो जाता है, तो एयरलाइन को या तो उसे ठीक कराना होगा या नुकसान की भरपाई करनी होगी।
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अगर आपने एयरलाइन की ऑफिशियल वेबसाइट से टिकट बुक किया है, तो आप 24 घंटे के भीतर बिना किसी शुल्क के अपनी बुकिंग कैंसिल कर सकते हैं। इसके लिए जरूरी है कि आपकी फ्लाइट कम से कम 7 दिन बाद हो।
विकलांग यात्रियों के लिए एयरलाइंस को मुफ्त व्हीलचेयर सहायता देनी होती है। जरूरतमंद यात्री प्राथमिकता बोर्डिंग, एस्कॉर्ट सेवा और चिकित्सा सहायता जैसी सुविधाएं पहले से बुक कर सकते हैं। कोई भी एयरलाइन हैंडिकैप्ड यात्री को फ्लाइट में चढ़ने से नहीं रोक सकती है। अगर ऐसा किया जाता है, तो यह कानूनी रूप से गलत माना जाएगा।
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