बच्चों को भी बड़ों की तरह अपने काम में बेहतर रिजल्ट देने के लिए रुटीन की जरुरत होती है। कई बार देखा है जब बच्चों को स्कूल जाने की तैयारी करनी होती है तब कोई होमवर्क पूरा कर रहा होता है तो कोई पाठ याद कर रहा होता है। इस तरह के बच्चों का ना तो मानसिक विकास ढंग से हो पाता है ना ही शारीरिक। अच्छा है कि बच्चों के बेहतर विकास के लिए उनके जीवन में हर चीज का रुटीन बनाया जाए।
बच्चों को जब मन करे तब मत उठने दें। उन्हें हर रोज एक ही समय पर जगाएं, भले ही छुट्टी का दिन हो। शुरु में कुछ परेशानी बच्चों को होगी लेकिन जल्द ही आपको भी बच्चों के सुबह जल्दी उठने की आदत से खुशी होगी। इसके बाद उनके नहाने और नाश्ता का एक टाइम बना लें।
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इससे बच्चों को हर काम समय पर करने की आदत बन जाएगी, क्योंकि बच्चे सुबह जल्दी उठ गया इसलिए रात को भी वह जल्दी ही सो जाएगा। मर्जी से उठने वाले बच्चों के काम पूरे दिनभर ऐसे ही अधूरे पड़े रहते हैं, उनका काम कभी पूरा नहीं हो पाता है। और ऐसे बच्चे अपनी पूरी क्षमता का उपयोग भी नहीं कर पाते हैं।
बच्चों को टीवी और मोबाइल से बहुत देर तक दूर रखना संभव नहीं है। वैसे भी टीवी और मोबाइल से बच्चे बहुत कुछ सीखते हैं। लेकिन टीवी देखने और मोबाइल पर खेलने का समय निर्धारित करना होगा। कहीं ऐसा ना हो कि टीवी और मोबाइल में ही बच्चे का पूरा समय निकल जाए। बच्चों के टीवी-मोबाइल अधिक देखने और खेलने से मानसिक विकास बराबर नहीं हो पाता है साथ ही आंखों में भी परेशानी शुरु हो जाती है।
घर के अंदर खेलने से बच्चों में कई तरह का विकास नहीं हो पाता है। इसलिए बच्चों को बाहर खेलने को कहें। हमेशा पढ़ाई के लिए कहेंगे तो पाएंगे कि बच्चों का काम भी पूरा नहीं हो पा रहा है जबकि खेलने वाले बच्चों का काम भी पूरा होता है। यह इसलिए क्योंकि बच्चे बाहर खेलकर खुद के दिमाग को रेस्ट देते हैं, पढ़ाई से बोरियत नहीं आने देते हैं। बाहर खेलने से बच्चों के दोस्त बनते हैं जिनसे बच्चों की झिझक कम होती है।
भले ही आप कितने भी व्यस्त रहते हों लेकिन बच्चों के लिए जरुर समय निकालना चाहिए। ज्यादा नहीं तो कम से कम खाना खाते समय तो उनके साथ बैठ ही सकते हैं। टीवी बंद करके, फोन को दूर रखकर खाना खाते-खाते बच्चों से दो-चार बातें की जा सकती हैं। इससे बच्चों में भी माता-पिता की ओर लगाव होता है। बच्चों को मुसीबत के समय किसी के अपने साथ होने का अहसा होता है। ऐसा नहीं करने से माता-पिता और बच्चों में दूरी बढ़ती जाती है। कभी कभी किसी बात को लेकर बच्चे चिंतित होते हैं उनसे उनकी समस्या सुनी जा सकती है।
रात को बच्चों को सुलाते समय उनसे बातें करें। उनसे उनके दोस्तों के बारे में जानें। बच्चों के साथ क्विज खेलें, बच्चों को बातों-बातों में अच्छी शिक्षा दें। सोते समय जब बच्चा सब कुछ भूलकर सिर्फ सोने जाता है तो उसका दिमाग इन बातों को ध्यानपूर्वक सुन रहा होता है।
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ये बातें फिर उसे जीवनभर याद रहती हैं और बच्चा कभी गलत रास्ते पर नहीं जाएगा। क्योंकि बच्चा समय से उठा था इसलिए उसे जल्दी सो भी जाएगा। कुछ ही दिनों में आप पाएंगे कि आपके बच्चे में जल्दी उठने, रुटीन बनाने से अच्छा बदलाव आ रहे हैं।
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