महाभारत के इस श्लोक में सालों पहले से ही वर्णित है दुनिया का नक्शा, आप भी देखें

गणेश जी द्वारा लिखित और वेदव्यास जी द्वारा वर्णित महाभारत में एक ऐसा श्लोक है जिसमें सम्पूर्ण सृष्टि के मानचित्र यानी कि नक़्शे के बारे में विस्तार से उल्लेखित है। आइये आपको बताते और दिखाते हैं।
world map in verse of mahabharata

आज हम एक से बढ़कर एक तकनीक के माध्यम से देश या दुनिया का ही नहीं बल्कि सम्पूर्ण पृथ्वी का नक्शा भी देख सकते हैं, लेकिन क्या आप ये जानते हैं कि जिस तकनीक के जरोये आज हम समूची पृथ्वी को देख पा रहे हैं उसी पृथ्वी का नक्शा हजारों साल पहले अपनी दिव्य दृष्टि से देखते हुए महर्षि वेदव्यास जी ने महाभारत में बताया था।

गणेश जी द्वारा लिखित और वेदव्यास जी द्वारा वर्णित महाभारत में एक ऐसा श्लोक है जिसमें सम्पूर्ण सृष्टि के मानचित्र यानी कि नक़्शे के बारे में विस्तार से उल्लेखित है। आज हम आपको ज्योतिषाचार्य राधाकांत वत्स की मदद से न सिर्फ उस श्लोक के बारे में बताएंगे बल्कि फोटो के माध्यम से आपके सामने उसे उकेरने का प्रयास भी करेंगे।

महाभारत के किस श्लोक में बताया गया है पृथ्वी का नक्शा?

in which verse of mahabharat earth map described

महाभारत में उल्लेखित भीष्म पर्व में पृथ्वी के नक़्शे को दो भागों के माध्यम से वर्णित किया गया है। पहले जानते हैं उस श्लोक के बारे में। श्लोक कुछ इस प्रकार से है- सुदर्शनं प्रवक्ष्यामि द्वीपं तु कुरुनन्दन, परिमण्डलो महाराज द्वीपोऽसौ चक्रसंस्थितः, यथा हि पुरुषः पश्येदादर्शे मुखमात्मनः, एवं सुदर्शनद्वीपो दृश्यते चन्द्रमण्डले, द्विरंशे पिप्पलस्तत्र द्विरंशे च शशो महान्।

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जब महाभारत युद्ध शुरू होने से पहले महाराज धृतराष्ट्र ने संजय से पृथ्वी कैसी दिखती है, प्रश्न किया था तब संजय जी ने इस श्लोक को महाराज को सुनाते हुए पृथ्वी के नक़्शे को एक्सप्लेन किया था। इस श्लोक का अर्थ है कि- हे कुरुनन्दन, सुदर्शन नाम का ये द्वीप चक्र की तरह गोल है। जैसे पुरुष अपना मुंह शीशे में देखता है, वैसे ही चन्द्रमण्डल में ये द्वीप दिखाई देता है।

in which verse of mahabharat earth map explained

इस द्वीप के चार अंश हैं, दो अंशों में की आकृति पीपल के दो पत्तों की तरह है और अन्य दो अंशों की आकृति खरगोश यानी कि शश जैसी दिखाई देती है। इस श्लोक को 11वीं सदी में श्री रामानुजाचार्य ने हिंदी में अनुवादित करते हुए दुनिया के सामने उगाजर किया था कि महाभारत में सालों पहले ही पृथ्वी के नक़्शे के बारे में वेदव्यास जी द्वारा बता दिया गया था।

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ऊपर दिए गए चित्र को देखिये, अगर आप इसे उल्टा करेंगे तो बिलकुल पृथ्वी का नक्शा आपको नजर आने लगेगा। ये कोई एक प्रसंग नहीं है जिससे ये साबित हुआ कि हमारे धर्म-ग्रंथों में विज्ञान का सार है या यूं कहें कि वैज्ञानिक पद्धति पर ही पूरी तरह से आधारित हैं हमारे हिन्दू धर्म ग्रन्थ। ऐसी और भी कई चीजें हैं जिनके बारे में जानना बेहद रोचक हो सकता है।

earth map described in mahabharata years ago

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image credit: herzindagi

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