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Mahabharat Secrets: कैसे पता चल गई थी पितामह भीष्म को कर्ण के जन्म की सच्चाई?

कर्ण के जन्म के रहस्य के बारे में आरंभ से ही सिर्फ चार लोगों को पता था, पहले थीं स्वयं कुंती, दूसरा खुद कर्ण, तीसरे सूर्य देव और चौथे भगवान श्री कृष्ण। फिर आखिर कैसे पितामह भीष्म इस सत्य तक पहुंचे।
Editorial
Updated:- 2025-02-04, 13:43 IST

हम सभी जानते हैं कि कर्ण सूर्य पुत्र के साथ-साथ कुंती पुत्र भी थे। हालांकि विवाह से पहले सूर्य उपासना के फल स्वरूप जन्में कर्ण को माता कुंती अपना नहीं सकती थीं, इसलिए उन्होंने कर्ण का त्याग कर दिया था। इसके बाद राधा माता जो कि एक सूत की पत्नी थीं, उन्होंने कर्ण को लालन-पालन किया था। इसी कारण से कर्ण सूत पुत्र भी कहलाए।

कर्ण के जन्म के इस रहस्य के बारे में आरंभ से ही सिर्फ चार लोगों को पता था, पहले थीं स्वयं कुंती, दूसरा खुद कर्ण, तीसरे सूर्य देव और चौथे भगवान श्री कृष्ण। हां, बाद में यह रहस्य तब जग उजागर हो गया था जब माता कुंती ने श्री कृष्ण के कहने पर पांडवों को कर्ण का सत्य बताया था, लेकिन कोई और भी था जिसे इस बारे में जानकारी थी।

जी हां, ज्योतिषाचार्य राधाकांत वत्स ने हमें बताया कि महाभारत काल से जुड़े कई रहस्यों में से एक कर्ण के जन्म का रहस्य पितामह भीष्म जान गए थे। उन्हें पता था कि कर्ण कुंती माता के पुत्र हैं और सूर्य देव के दैविक पुत्र भी। तो चलिए जानते हैं कि आखिर कैसे पितामह भीष्म इस सत्य तक पहुंचे और कब उन्हें कर्ण के जन्म की सच्चाई पता चली थी।

पितामह भीष्म को कैसे पता चला था कर्ण और कुंती के बारे में?

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पौराणिक कथा के अनुसार, जब महाभारत युद्ध में पितामह भीष्म बुरी तरह से घायल होने के बाद मृत्यु शैय्या रूपी बाणों की चिता पर लेते हुए थे, तब दोनों पक्षों यानी कि कौरव और पांडव एक-एक कर पितामह से मिलने आए।

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सिर्फ एक मात्र कर्ण ऐसा था जो पितामह से सब के सामने मिलने नहीं गया था क्योंकि यह बात वो जानता था कि पितामह भीष्म उसे बिलकुल भी पसंद नहीं करते हैं और उसे एक घृणित, प्रपंची एवं छल-कपट में लीन व्यक्ति समझते हैं।

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जब संध्याकाल हुई यानी कि सूर्यास्त हो गया और कोई भी पितामह भीष्म के पास नहीं था, तब सूर्य पुत्र कर्ण पितामह से मिलने गए और उनसे पूछा कि क्या कर्ण उनके लिए कुछ कर सकता है। तब पितामह भीष्म की आंखों में आंसू थे।

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कर्ण ने जब इसका कारण पूछा तो उन्होंने कर्ण से कहा कि आ जीवन वो कर्ण के लिए बुरी भावना मन में रखते आए और उन्होंने हमेंशा कर्ण के साथ अभद्र व्यवहार किया। यहां तक कि युद्ध में भी कर्ण को भाग लेने से रोक दिया था।

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यह सब सुन कर्ण ने सरल भाव से कहा कि वो पिता समान हैं और उन्हें इस तरह का शोभ नहीं करना चाहिए। इसके बाद चूंकि कर्ण श्री कृष्ण से अपने जन्म की सच्चाई सुन चुके थे इसलिए उसने खुद पितामह को यह सत्य तब बता दिया।

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