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International Women's Day 2024: महिलाओं को जरूर पता होने चाहिए उनके अधिकारों से जुड़े ये खास कानून,आसान हो जाएगी जिंदगी

महिलाओं के हितों की रक्षा के लिए भारतीय कानून में बने अधिकारों को जानना अति आवश्यक है। अगर आप अपने अधिकारों के प्रति जागरूक हैं तो आप घर,ऑफिस और पब्लिक प्लेस में खुद को सुरक्षित रख सकते हैं।&nbsp; <div>&nbsp;</div>
Editorial
Updated:- 2024-03-04, 14:59 IST

Women's Safety Law In India: आज के समय महिलाएं किसी भी कार्यक्षेत्र में पुरूषों से कम नहीं है। ऐसा कोई  भी जगह नहीं है जहां महिलाओं ने खुद को साबित न किया हो। घर हो या बाहर महिलाएं पुरूषों के कंधे से कंधा मिलाकर चल रही हैं। लेकिन आज भी कई ऐसे कारण है जिनकी वजह से उन्हें पुरुषों की अपेक्षा ज्यादा परेशानियों का सामना करना पड़ता है। समृद्ध और विकसित हुए देश में आज भी महिलाएं अपराध का शिकार हो रही है। फिर चाहे वह उनका खुद का घर हो ऑफिस या फिर पब्लिक प्लेस।

घरेलू हिंसा, लिंग भेद और महिला उत्पीड़न जैसी परेशानियों से महिलाओं को गुजरना पड़ता है। ऐसे में प्रत्येक महिला को अपने अधिकारों के बारे में पता होना बेहद जरूरी है। अधिकारों का ज्ञान होने से महिलाएं खुद के लिए आवाज उठा सकती हैं। इस लेख की मदद से आज हम आपको भारतीय संविधान में बने महिलाओं के अधिकार के बारे में बताने जा रहे हैं। आइए जानते हैं इलाहाबाद हाई कोर्ट के एडवोकेट नीतेश पटेल से की भारतीय कानून में महिलाओं के लिए कौन-कौन से अधिकार शामिल है।

राष्ट्रीय महिला आयोग अधिनियम

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भारत सरकार ने 31 जनवरी, 1992 को एक अधिनियम द्वारा साल 1990 के राष्ट्रीय महिला आयोग अधिनियम के तहत राष्ट्रीय महिला आयोग की स्थापना की थी। हर एक महिला अपनी परेशानी की यहां पर शिकायत दर्ज करा सकती हैं। साथ ही अगर महिलाओं के अधिकार का उल्लंघन किया जा रहा है तो वह नेशनल कमीशन फॉर विमेन से मदद से सकती है। इस आयोग का उद्देश्य महिलाओं की स्थिति को सुधारना और उन्हें आर्थिक सशक्तिकरण के लिए मजबूत करना है। (इन 9 कारणों से आसानी से मिल जाता है तलाक)

महिला सुरक्षा कानून

साल 2016 में दिल्ली की सड़कों हुआ निर्भया कांड शायद ही कोई भूला सकता है। इस घटना के बाद देश में यौन शोषण से जुड़े कानून को पहले से ज्यादा सख्त कर दिया गया। निर्भया कांड से पहले अगर अपराधी की उम्र 18 साल से कम है, तो इसे माइनर केस मान लिया जाता है। लेकिन अब इस कानून में बदलाव किए गए। इसके अंतर्गत अगर किसी अपराधी की उम्र 16 से 18 साल के बीच है, तो भी उसे सख्त सजा सुनाई जाएगी।  

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पॉक्सो एक्ट कानून

pocso act

पॉक्सो एक्ट का मतलब प्रोटेक्शन ऑफ चिल्ड्रेन फ्रॉम सेक्सुअल ऑफेंस एक्ट हैं। इस एक्ट में बच्चों को लेकर कानून बनाए गए है। पॉक्सो एक्ट साल 2012 में पारित किया गया। इसके एक्ट के तहत बच्चों के साथ होने वाला यौन शोषण एक अपराध की श्रेणी में आता है। यह लॉ 18 साल से कम उम्र के लड़के लड़कियों सभी पर लागू होता है।

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दहेज निषेध अधिनियम, 1961

dahej pratha law

भारत में दहेज लेने और देने की प्रथा सदियों से चली जा रही है। अगर विवाह के समय लड़का या लड़के के परिवार वाले की तरफ से किसी प्रकार का दबाव डाला जाता है तो महिला दहेज निषेध अधिनियम, 1961 के तहत शिकायत दर्ज करा सकती हैं।

कार्यस्थल पर हो रहा है उत्पीड़न

अगर किसी महिला के साथ उसके ऑफिस में या किसी कार्यस्थल पर शारीरिक उत्पीड़न किया जाता है तो वह उत्पीड़न करने वाले आरोपी के खिलाफ शिकायत दर्ज कर सकती है।

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Image credit- Freepik, Sutterstock

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