herzindagi
WHAT ARE THE PROPERTY RIGHTS FOR MUSLIM WOMEN IN INDIA

संपत्ति में मुस्लिम महिला का क्या अधिकार होता है? जानिए

इस लेख में हम आपको बताएंगे की भारत में मुस्लिम महिला के संपत्ति में क्या अधिकार होते हैं।
Editorial
Updated:- 2022-09-21, 12:38 IST

हमारे देश में कई सारे धर्म को मानने वाले लोग हैं। लेकिन सभी नागरिकों को एक समानता का अधिकार भारतीय संविधान ने दिया है। कई धर्म अपने निजी कानून के हिसाब से काम करते हैं उनमें से एक इस्लाम धर्म भी है। आपको बता दें कि मुस्लिम लोगों की संपत्ति के अधिकारों को उनके निजी कानून में शामिल किया गया हैं।

अगर बात करें मुस्लिम महिलाओं की संपत्ति में अधिकार की तो इस लेख में हम आपको बताएंगे कि उन्हें इस्लाम धर्म के निजी कानून में कौन से अधिकार मिलते हैं।

मुस्लिम महिला का पति की संपत्ति में अधिकार?

muslim women property rights

आपको बता दें कि भारत में मुस्लिम लोगों को दो श्रेणियों में बांटा गया है। इनमें से एक सुन्नी मुस्लिम होते हैं और दूसरी श्रेणी वाले शिया मुस्लिम होते हैं। आपको बता दें कि शिया मुस्लिम की शादीशुदा महिलाओं को मेहर की राशि उनके निकाह (शादी) के समय मिलती है और अगर निकाह के बाद उनके पति की कभी भी अगर मृत्यु हो जाती है तो उन्हें संपत्ति का एक चौथाई हिस्सा मिलता है।

इसे ज़रूर पढ़ें- अगर आप दुल्हन की हैं सबसे ख़ास, तो इन ड्रेसेस से लें इंस्पिरेशन

लेकिन यह तभी होगा जब वह महिला सिर्फ अपने पति की इकलौती पत्नी होती है। अगर मृत पति की कई पत्नियाँ हैं तो उन सभी को संपत्ति में बराबरी का हिस्सा मिलता है। इसके अलावा अगर कोई मुस्लिम पुरुष बीमारी के कारण मर जाता है और उससे पहले वह पत्नी को तलाक दे देता है तो उस विधवा मुस्लिम महिला को संपत्ति में तब तक अधिकार रहता है जब तक वह दूसरी शादी नहीं करती है।

अगर बात करें सुन्नी मुस्लिम लोगों की तो वह सिर्फ इन रिश्तेदारों को वारिस के रूप में मानते हैं जिनका पुरुष के माध्यम से मृतक से संबंध होता है। इसमें पुरुष के माता और पिता, पोती और पोता ही आते हैं।

मुस्लिम बेटी का संपत्ति में क्या अधिकार मिलता है?

आपको बता दें कि मुस्लिम बेटियों को संपत्ति में बेटो के मुकाबले आधा हिस्सा ही मिलता है। इस संपत्ति के हिस्से का मुस्लिम बेटी अपनी इच्छा के अनुसार इस्तेमाल कर सकती है।(भारतीय शादी की कुछ ऐसी रस्में जो इसे बनाती हैं औरों से जुदा)

आपको बता दें कि मुस्लिम बेटी शादी के बाद या फिर तलाक के बाद भी अपने घर में हक से रह सकती है यदि उसके कोई बच्चा नहीं होता है।

कानून के अनुसार अगर बच्चा बालिग है तो वह अपनी मां की देखरेख कर सकता है इसलिए उस मुस्लिम महिला की जिम्मेदारी उसके बच्चों की हो जाती है।

इसे ज़रूर पढ़ें- भारतीय शादी की कुछ ऐसी रस्में जो इसे बनाती हैं औरों से जुदा

मुस्लिम माता का संपत्ति में अधिकार

अगर कोई महिला तलाकशुदा हो जाती है या फिर विधवा हो जाती है तो अपने बच्चों की देखभाल करने के लिए उसे संपत्ति में आठवें हिस्से का अधिकार दिया जाता है। अगर महिला के कोई भी बच्चा नहीं होता है तो उसे पति की संपत्ति में एक चौथाई का हिस्सा मिलता है।

इन सभी अधिकारों के अलावा भी कई सारे कानून हैं जो मुस्लिम महिलाओं के लिए बनाए गए हैं।

अगर आपको यह लेख अच्छा लगा हो तो इसे शेयर जरूर करें व इसी तरह के अन्य लेख पढ़ने के लिए जुड़ी रहें आपकीअपनी वेबसाइट हरजिन्दगी के साथ।

Image Credit- freepik

यह विडियो भी देखें

Herzindagi video

Disclaimer

हमारा उद्देश्य अपने आर्टिकल्स और सोशल मीडिया हैंडल्स के माध्यम से सही, सुरक्षित और विशेषज्ञ द्वारा वेरिफाइड जानकारी प्रदान करना है। यहां बताए गए उपाय, सलाह और बातें केवल सामान्य जानकारी के लिए हैं। किसी भी तरह के हेल्थ, ब्यूटी, लाइफ हैक्स या ज्योतिष से जुड़े सुझावों को आजमाने से पहले कृपया अपने विशेषज्ञ से परामर्श लें। किसी प्रतिक्रिया या शिकायत के लिए, [email protected] पर हमसे संपर्क करें।