
शादी और तलाक दोनों ही बहुत मुश्किल होते हैं। शादी को लेकर महिलाओं पर कितनी जिम्मेदारियां होती हैं ये तो हम देखते ही हैं, लेकिन बदकिस्मती से भारत उन देशों में से एक है जहां शादी में त्याग करना और खराब रिश्ते को भी चलाना सिखाया जाता है। यहां पर कई ऐसे परिवार देखने को मिल जाएंगे जो अपनी जिंदगी में परेशान बहुत हैं, लेकिन लोक-लाज के डर से या फिर कानूनी परेशानियों के डर से तलाक के बारे में नहीं सोचते हैं। एक अच्छी शादी को तोड़ना सही नहीं, लेकिन एक खराब रिश्ते को निभाते रहना और परेशानी सहते रहना भी ठीक नहीं। भारत में जब भी तलाक की बात आती है तो सिर्फ सामाजिक समस्याएं ही नहीं बल्कि कानूनी दांवपेच भी देखे जाते हैं। कई सारे कानून ध्यान रखे जाते हैं और कई बार हम ध्यान देते हैं कि तलाक के मामले में किसी बचकाने से कारण को बताया जाता है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि लीगल ग्राउंड्स कौन से हैं जिनके कारण आप तलाक ले सकते हैं? चलिए आपको आज उनके बारे में ही बताते हैं कि लीगली तलाक लेना किन कारणों से आसान है। ये सारे Legal service India वेबसाइट से लिए गए हैं। <div> </div>


भारत में अडल्ट्री या पति/पत्नी के होते हुए किसी और से संबंध स्थापित करना तलाक का बहुत ही अहम कारण माना जाता है। आप भारतीय मैरिज एक्ट 1955 के सेक्शन 13 (1)(i) के अंतर्गत शिकायत फाइल कर सकते हैं। जिसमें शादीशुदा होते हुए भी किसी और के साथ शारीरिक संबंध स्थापित करना शामिल है।
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अधिकतर घरेलू हिंसा की बात होते ही पत्नी का ध्यान आता है, लेकिन असल में ये दोनों के लिए ही है। पति-पत्नी दोनों ही इस कारण से तलाक फाइल कर सकते हैं। इसके लिए डोमेस्टिक वॉयलेंस एक्ट का सहारा लिया जा सकता है।

अगर किसी का पति या पत्नी शादी के बाद भी अपने पार्टनर के साथ नहीं रहता है या उसे छोड़ देता है तो desertion के तहत उसे तलाक लेने का पूरा हक है। ये सेक्शन 13(1)(ib) के अंतर्गत आता है।

इनसैनिटी या दिमागी विकार के आधार पर भारत में तलाक लेना मान्य है। अगर किसी के पति या पत्नी की दिमागी हालत सही नहीं है तो वो सेक्शन 13(1)(iii) के तहत तलाक के लिए अप्लाई कर सकता है। इसे तलाक लेने के लिए सही कारण माना जाएगा। मानसिक तनाव देना या प्रताड़ना के अंतर्गत भी तलाक लिया जा सकता है।

वेबसाइट के मुताबिक अगर कोई इंसान स्प्लिट पर्सनैलिटी या ऐसी किसी गंभीर साइकोलॉजिकल समस्या से गुजर रहा है तो वो भी तलाक ले सकता है। इसके लिए भी वही धारा लगेगी जो अस्वस्थ दिमाग के समय लगी थी। सेक्शन 13(1)(iii) मानसिक स्वास्थ्य के बारे में ही बात करता है।

मैरिज एक्ट के सेक्शन 13(1)(V) के तहत अगर किसी के पति या पत्नी को कोई यौन संक्रमण है तो वो तलाक के लिए अप्लाई कर सकता है। ऐसी बीमारी जो ना सिर्फ आपके पार्टनर को है बल्कि आपको भी हो सकती है और आपके लिए खतरा बन सकती है वो सभी इसके अंतर्गत आती हैं।

अगर किसी के पति-पत्नी को कोढ़ या ऐसी ही कोई बीमारी हो गई है जो आपके शरीर में भी लग सकती है तो मैरिज एक्ट के सेक्शन 13(1)(iv) के तहत आप इसे तलाक का कारण मान सकते हैं।
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अगर कोई पार्टनर शादी के बाद अपना धर्म परिवर्तन करने के बारे में सोचे या फिर अपनी पत्नी या पति पर धर्म परिवर्तन के लिए जोर डाले तो वो तलाक का एक लीगल कारण मान्य होगा।

भारतीय कानून के हिसाब से अगर कोई इंसान 7 साल तक देखा नहीं गया है या उसकी कोई खबर नहीं आई है तो उसे मृत मान लिया जाएगा और ये तलाक का कारण माना जा सकता है।
इसके अलावा भी कई ऐसे लीगल कारण हैं जिन्हें तलाक के लिए वैध माना जा सकता है। ऐसे में आपका वकील आपके निजी मामले के हिसाब से आपको सलाह दे सकता है। अगर आपको ये स्टोरी अच्छी लगी है तो इसे शेयर जरूर करें। ऐसी ही अन्य स्टोरी पढ़ने के लिए जुड़े रहें हरजिंदगी से।