प्राचीन काल से लेकर आधुनिक काल तक इतिहास इस बात का गवाह है कि महिलाएं समाज में किसी न किसी स्तर पर अपना पूर्ण योगदान देती आई हैं। फिर चाहे मुगल शासन हो या फिर आजादी की लड़ाई महिलाओं ने समाज के नीति-निर्माण में अपनी अहम भूमिका अदा की है।
हालांकि, आज के समय में महिला सशक्तिकरण पर काफी जोर दिया जाने लगा है। लोग महिलाओं के हक को लेकर काफी जागरूक भी हुए हैं और अब उन्हें भी समान अवसर दिए जाने लगे हैं, लेकिन एक वक्त था जब महिलाओं को घर से बाहर तक नहीं निकलने दिया जाता था।
इसके बावजूद महिलाओं ने फिर भी अपने हुनर व काबिलियत की मिसाल पूरे विश्व के सामने रखी और अपना नाम इतिहास में दर्ज किया। हालांकि, मुगल काल को भारत के इतिहास का गोल्डन पीरियड कहा जाता है क्योंकिभारत का सबसे ज्यादा विकास और सबसे ज्यादा इमारतों का निर्माण इसी काल में हुआ था।
इसलिए आज हम आपको मुगल इतिहास की कुछ ऐसी नामी महिलाओं के बारे में जानकारी देंगे, जिन्होंने न सिर्फ हरम में बल्कि मुगल अदालत की राजनीति में अहम भूमिका निभाई है।
नूरजहां बेगम
जब बात मुगल साम्राज्य की शक्तिशाली महिलाओं की आती है और उसमें नूरजहां का नाम न लिया जाए, ऐसा हो ही नहीं सकता। क्योंकि नूरजहां न सिर्फ मुगल बादशाह जहांगीरकी पत्नी थीं बल्कि उन्होंने समाज के नीति-निमार्ण में अपनी एक अहम भूमिका अदा की थी। कहा जाता है कि नूरजहां एक खूबसूरत और बुद्धिमान महिला थीं, जिन्हें इतिहास पढ़ने जैसे साहित्य, कविता और ललित कलाओं से बेहद प्रेम था।
नूरजहां अपनी बुद्धिमता और कौशल की वजह से बादशाह की प्रिय थीं, जिन्होंने पर्दे के पीछे से कई सामाजिक और सांस्कृतिक कार्य भी करवाए। इसकी लोकप्रियता इतनी बढ़ गई थी कि उस दौरान चलने वाले सिक्कों पर भी उसका नाम खोदा जाने लगा था।
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माह चुचक बेगम
आप सब वाकिफ होंगे कि पहले समाज में महिलाओं को बाहर नहीं निकलने दिया जाता था। अगर महिलाएं बाहर भी निकलती थीं, तो पर्दे में रहकर अपने सारे काम किया करती थीं। इसमें से माह चुचक बेगम एक थीं। माह चुचक बेगम ने न सिर्फ काबुल पर शासन किया बल्कि जलालाबाद में मुनीम की शक्तिशाली सेना को हराने का भी काम किया था। इसलिए आज भी माह चुचक बेगम को कूटनीतिक कौशल के लिए जाना जाता है।
बता दें कि माह चुचक बेगम राजनीतिक तौर पर बहुत महत्वाकांक्षी महिला थीं। मुगल इतिहास के अनुसार माह चुचक बेगम इतनी होशियार थीं कि हुमायूं कोई भी राजनीतिक फैसला लेता था, तो अपनी बेगम माह चुचक बेगम से राय जरूर लिया करता था।
माहम अंगा
माहम अंगा ने भी अकबर के शासन काल के दौरान पर्दे के पीछे रहकर कई राजनीतिक और सामाजिक काम करवाए थे। अकबरनामा किताब के अनुसार मथुरा रोड पर पुराना किला के सामने स्थित मस्जिद का निर्माण माहम अंगा ने ही करवाया था। कहा जाता है कि माहम अंगा ने अकबर को बचपन से दूध पिलाया था और वे अकबर के शासन काल के दौरान राजनीतिक सलाहकार और वास्तविक रीजेंट भी थीं।
हालांकि, इतिहास में महाम अंगाकी स्पष्ट पहचान को लेकर काफी मतभेद हैं, लेकिन कहा जाता है कि महाम अंगा बाबर और बीबी मुबारक-उन-निसा-बेगम की बेटी थीं। साथ ही, कई इतिहासकारों का मानना है कि ये केवल अकबर की नर्स थीं।
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नोट: इस लेख में इस्तेमाल की जाने वाली तमाम तस्वीरें काल्पनिक हैं और हम बिल्कुल भी दावा नहीं करते हैं कि ये यर्थाथ में बेगमों ऐसी ही दिखती थीं।
इसके अलावा, जोधा बाई, दौलत बेगम और भी कई महिला रही हैं, जिनका नाम इतिहास के पन्नों में दर्ज है। अगर आपको यह लेख अच्छा लगा हो तो इसे लाइक, शेयर जरूर करें और हमें कमेंट करके बताएं। इसी तरह के अन्य लख पढ़ने के लिए जुड़ी रहें आपकी अपनी वेबसाइट हरजिन्दगी के साथ।
Image Credit- (@Wikipedia)
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