हिंदुस्तान पर कई सालों तक मुगल बादशाहों की हुकूमत रही है। लेकिन इनमें से कुछ ऐसे बहादुर बादशाह रहे हैं, जिनको आज भी याद किया जाता है जैसे- बाबर, हुमायूं, अकबर, शाहजहां आदि। लेकिन क्या आप जानते हैं कि इन बादशाहों के साथ- साथ कुछ ऐसी मुगल महिलाएं भी रही हैं, जिन्होंने समाज के नीति- निर्माण में अहम भूमिका अदा की थी।
लेकिन सबसे ज्यादा लोगों को अकबर के बारे में जानने में रुचि रखते हैं। क्योंकि कहा जाता है कि अकबर मुगल बादशाह का सबसे बहादुर बादशाह था, जिसकी मोहब्बत की मिसाल भी दी जाती है। लेकिन आज हम आपको अकबर की सौतेली मां माह चुचक बेगम के बारे में बताएंगे, जो न सिर्फ अकबर की मां थीं बल्कि हुमायूं की सबसे पसंदीदा बेगमों में से एक भी थीं। आइए जानते हैं माह चुचक बेगम के इनके बारे में।
हमने आपको इससे पहले अकबर की मां हमीदा बानो बेगम के बारे में बताया था। लेकिन आज हम आपको माह चुचक बेगम के बारे में जानकारी दे रहे हैं। बता दें कि माह चुचक बेगम राजनीतिक तौर पर बहुत महत्वाकांक्षी महिला थीं। कहा जाता है कि इनका जन्म काबुल में हुआ था, जिन्हें बादशाह हुमायूं से निकाह करने के बाद काबुल पर शासन भी किया था। (मुगल इतिहास की शक्तिशाली रानियां)
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आपको ये सुनने में काफी अजीब लग सकता है लेकिन कहा जाता है कि माह चुचक बेगम को चंद्रमा का फूल के नाम से पुकारा जाता था। क्योंकि इतिहास के अनुसार माह चुचक बेगम के नाम मतलब भी 'Moon Flower' था, जिसे हिंदी में चंद्रमा का फूल भी कहा जाता था। साथ ही, माह चुचक बेगम इतनी होशियार थीं कि हुमायूं कोई भी राजनीतिक फैसला लेता था, तो अपनी बेगम माह चुचक बेगम से राय लिया करता था।
आप सब वाकिफ होंगे कि पहले समाज में महिलाओं को बाहर नहीं निकलने दिया जाता था। अगर महिलाएं बाहर भी निकलती थीं, तो पर्दे में रहकर अपने सारे काम किया करती थीं। इसमें से माह चुचक बेगम एक थीं। माह चुचक बेगम ने न सिर्फ काबुल पर शासन किया बल्कि बेगम ने जलालाबाद में मुनीम की शक्तिशाली सेना को हराने का भी काम किया था। इसलिए आज भी माह चुचक बेगम को कूटनीतिक कौशल के लिए जाना जाता है। (अकबर की कब्र कहां मौजूद है)
आप यह सब जानते होंगे कि अकबर को जन्म देने वाली हनीदा बानो बेगम थीं। लेकिन कहा जाता है कि माह चुचक बेगम भी अकबर का काफी ध्यान रखती थीं। लेकिन माह चुचक बेगम मिर्जा मोहम्मद हाकिम को लेकर ज्यादा महत्वकांक्षी थीं और समय-समय पर अपने दोनों बच्चों का ध्यान रखती थीं। (मुगल बादशाह शाहजहां की कितनी बेगम थीं)
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कहा जाता है कि माह चुचक बेगम की मृत्यु 1564 में हुई थी और उनकी कब्र काबुल के एक मकबरे में आज भी मौजूद है।
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