हिंदू धर्म शास्त्रों में पूजा करने के कुछ विशेष नियम बनाए गए हैं। ऐसा माना जाता है कि इन नियमों का पालन आपके घर की सुख समृद्धि को बनाए रखने में मदद करता है। पूजा पाठ एक धार्मिक प्रथा है जिसका मुख्य रूप से दुनिया भर में हिंदुओं द्वारा पालन किया जाता है।
ऐसा माना जाता है कि पूजा देवताओं के सम्मान में की जाती है और किसी विशेष अवसर पर या निश्चित समय पर की गई पूजा देवताओं द्वारा भी स्वीकार्य होती है। वहीं इससे जुड़े कुछ विशेष नियम भी हैं जिनका हिन्दू धर्म में पालन किया जाता है।
ऐसे ही पूजा के एक नियमों में से है दोपहर के समय पूजन न करना। ऐसा माना जाता है कि दोपहर के समय पूजा-पाठ देवताओं को स्वीकार्य नहीं होता है। इस बात का पता लगाने के लिए हमने नारद संचार के ज्योतिष अनिल जैन जी से जानें कि दोपहर के समय पूजन क्यों नहीं करना चाहिए।
पूजा पाठ हिन्दू धर्म के लिए दिन की आवश्यक प्रक्रियाओं में से एक माना जाता है। ऐसा करने से मन को शांत करने में मदद मिलती है और आगे बढ़ने की प्रेरणा मिलती है। पूजा करने से मन को शांति प्राप्त करने में मदद मिलती है और घर में भी शांत वातावरण बनता है।
पूजा एक ऐसा आयोजन है जिसमें फूल चढ़ाने से लेकर, धूप प्रज्ज्वलित करने और भोग अर्पित करने की प्रक्रिया का पालन किया जाता है। पूजा करते समय (पूजा के समय रखें इन बातों का ध्यान), श्लोकों का उच्चारण करने से मन की शांति मिलती है। पूजा -पाठ एक निश्चित दिनचर्या का पालन करने में आपकी मदद करता है।
वेद शास्त्रों के अनुसार पूजा करने के लिए सबसे अच्छा समय प्रातः काल को माना गया है। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि इस समय तन और मन दोनों पवित्र होते हैं और हम पूरी तरह से ईश्वर में ध्यान केंद्रित कर पाते हैं। इस समय का पूजन सीधे ईश्वर तक जाता है और मन की शुद्धि में मदद करता है। ज्योतिष की मानें तो दिन में 5 बार पूजा की जा सकती है।
हालांकि व्यस्त जीवनशैली के बीच दिन में 5 बार पूजा करना कठिन है, इसलिए दिन में कम से कम दो बार ईश्वर का ध्यान ही आपको कष्टों से मुक्ति दिला सकता है।
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यदि हम ज्योतिष के नियमों की मानें तो दोपहर 12 से 3 बजे का समय देवताओं के आराम का समय माना जाता है और इस समय यदि पूजन किया जाता है तो पूजा का पूर्ण फल नहीं मिलता है। इसके साथ ही, इस समय को अभिजीत मुहूर्त कहा जाता है और ये पितरों का समय माना जाता है। इस वजह से इस विशेष समय अवधि में देवताओं की पूजा का विधान नहीं है।
शास्त्रों के अनुसार नियमित प्रातः काल पूजा करने से व्यक्ति को विशेष लाभ होता है। सुबह का शांतिपूर्ण वातावरण व्यक्ति के आभा मंडल को बढ़ाने में और ध्यान केंद्रित करने में मदद करता है।
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शास्त्रों की मान्यतानुसार दोपहर के समय ईश्वर का पूजन न करने की सलाह दी जाती है, यदि आप ज्योतिष की न भी मानें तब भी कुछ विशेष समय में ईश्वर को आराम देने के लिए भी इस समय पूजन न करें।
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