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is pooja good at afternoon in astrology

आखिर क्यों दोपहर के समय पूजा नहीं करनी चाहिए?

पूजा-पाठ के लिए दोपहर के समय को उपयुक्त नहीं माना जाता है। आइए जानें इसके धार्मिक और ज्योतिष कारणों के बारे में। 
Editorial
Updated:- 2022-11-09, 18:56 IST

हिंदू धर्म शास्त्रों में पूजा करने के कुछ विशेष नियम बनाए गए हैं। ऐसा माना जाता है कि इन नियमों का पालन आपके घर की सुख समृद्धि को बनाए रखने में मदद करता है। पूजा पाठ एक धार्मिक प्रथा है जिसका मुख्य रूप से दुनिया भर में हिंदुओं द्वारा पालन किया जाता है।

ऐसा माना जाता है कि पूजा देवताओं के सम्मान में की जाती है और किसी विशेष अवसर पर या निश्चित समय पर की गई पूजा देवताओं द्वारा भी स्वीकार्य होती है। वहीं इससे जुड़े कुछ विशेष नियम भी हैं जिनका हिन्दू धर्म में पालन किया जाता है।

ऐसे ही पूजा के एक नियमों में से है दोपहर के समय पूजन न करना। ऐसा माना जाता है कि दोपहर के समय पूजा-पाठ देवताओं को स्वीकार्य नहीं होता है। इस बात का पता लगाने के लिए हमने नारद संचार के ज्योतिष अनिल जैन जी से जानें कि दोपहर के समय पूजन क्यों नहीं करना चाहिए।

हिंदू धर्म में पूजा का महत्व

puja significance in hindi

पूजा पाठ हिन्दू धर्म के लिए दिन की आवश्यक प्रक्रियाओं में से एक माना जाता है। ऐसा करने से मन को शांत करने में मदद मिलती है और आगे बढ़ने की प्रेरणा मिलती है। पूजा करने से मन को शांति प्राप्त करने में मदद मिलती है और घर में भी शांत वातावरण बनता है।

पूजा एक ऐसा आयोजन है जिसमें फूल चढ़ाने से लेकर, धूप प्रज्ज्वलित करने और भोग अर्पित करने की प्रक्रिया का पालन किया जाता है। पूजा करते समय (पूजा के समय रखें इन बातों का ध्यान), श्लोकों का उच्चारण करने से मन की शांति मिलती है। पूजा -पाठ एक निश्चित दिनचर्या का पालन करने में आपकी मदद करता है।

पूजा करने का सबसे अच्छा समय

when we should do puja

वेद शास्त्रों के अनुसार पूजा करने के लिए सबसे अच्छा समय प्रातः काल को माना गया है। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि इस समय तन और मन दोनों पवित्र होते हैं और हम पूरी तरह से ईश्वर में ध्यान केंद्रित कर पाते हैं। इस समय का पूजन सीधे ईश्वर तक जाता है और मन की शुद्धि में मदद करता है। ज्योतिष की मानें तो दिन में 5 बार पूजा की जा सकती है।

  • पहली पूजा -ब्रह्म मुहूर्त में प्रातः 4:30 से 5:00 बजे के बीच
  • दूसरी पूजा प्रातः 9 बजे तक
  • मध्याह्न पूजा- दोपहर 12 बजे
  • संध्या पूजा-शाम को 4:30 बजे से शाम 6:00 बजे के बीच
  • शयन पूजा -रात 9:00 बजे

हालांकि व्यस्त जीवनशैली के बीच दिन में 5 बार पूजा करना कठिन है, इसलिए दिन में कम से कम दो बार ईश्वर का ध्यान ही आपको कष्टों से मुक्ति दिला सकता है।

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दोपहर के समय देवताओं का पूजन क्यों न करें

यदि हम ज्योतिष के नियमों की मानें तो दोपहर 12 से 3 बजे का समय देवताओं के आराम का समय माना जाता है और इस समय यदि पूजन किया जाता है तो पूजा का पूर्ण फल नहीं मिलता है। इसके साथ ही, इस समय को अभिजीत मुहूर्त कहा जाता है और ये पितरों का समय माना जाता है। इस वजह से इस विशेष समय अवधि में देवताओं की पूजा का विधान नहीं है।

दैनिक पूजा की सही विधि

puja rules for prosperity

शास्त्रों के अनुसार नियमित प्रातः काल पूजा करने से व्यक्ति को विशेष लाभ होता है। सुबह का शांतिपूर्ण वातावरण व्यक्ति के आभा मंडल को बढ़ाने में और ध्यान केंद्रित करने में मदद करता है।

  • प्रातः काल पूजा से पहले स्नान करके साफ़ वस्त्र धारण करें।
  • ध्यान केंद्रित करने के लिए अपने आराध्य को ध्यान में रखकर पूर्व या उत्तर की ओर मुख करके बैठें।
  • पूजा स्थल को साफ करें और सभी देवताओं को स्नान कराएं।
  • पूजा के स्थान पर दीपक (अखंड दीपक जलाने की सही विधि) प्रज्वलित करें और पूजन श्रद्धानुसार पूजा आरंभ करें।
  • सभी देवताओं का ध्यान करते हुए पूजन करें और दिन की शुभ शुरुआत करें।

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शास्त्रों की मान्यतानुसार दोपहर के समय ईश्वर का पूजन न करने की सलाह दी जाती है, यदि आप ज्योतिष की न भी मानें तब भी कुछ विशेष समय में ईश्वर को आराम देने के लिए भी इस समय पूजन न करें।

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Image Credit: freepik.com

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