हिन्दू धर्म में पूजा पाठ का विशेष महत्व बताया गया है। पूजा सुबह और शाम दोनों समय की जाती है और दोनों ही पूजा का अपना लग महत्व और फल होता है। आमतौर पर लोग प्रातः जल्दी उठकर स्नान आदि से मुक्त होकर पूजा पाठ करते हैं और वहीं जब बात संध्या पूजा की आती है तब इसके नियम और फल अलग होते हैं।
ऐसा माना जाता है कि यदि व्यक्ति सुबह के साथ संध्या काल में भी पूजा करता है तो उसे शुभ फलों की प्राप्ति होती है। लेकिन संध्या काल की पूजा के नियमों का पालन करते हुए यदि आप ईश्वर का ध्यान करते हैं तो ये घर की सुख समृद्धि के लिए बहुत अच्छा माना जाता है। वहीं संध्या के समय यदि नियम से पूजा न की जाए तो ये पूजा पूर्ण रूप से स्वीकार्य नहीं मानी जाती है। आइए नारद संचार के ज्योतिष अनिल जैन जी से जानें कि आपको संध्या काल की पूजा के समय किन विशेष बातों को ध्यान में रखने की आवश्यकता है जिससे आपका भाग्योदय हो सके और मन को शांति मिले।
सुबह उठकर हम ईश्वर से प्रार्थना करते हैं कि हमें हमारे काम में सफलता मिले। सारे दिन प्रयास करने के बाद हमें दिनभर के सभी कामों में सफलता भी मिलती है। संध्याकाल में पूजा का मुख्य उद्देश्य दिनभर के कामों में सफलता मिलने के बाद ईश्वर का धन्यवाद करना होता है। इसके अलावा इस पूजा में आप आत्म विश्लेषण कर सकते हैं और ईश्वर को धन्यवाद दे सकते हैं। आप ईश्वर से प्रार्थना करें कि यदि आपने दिनभर में कोई भी गलत काम किया है तो भगवान से प्रार्थना करें कि वो आपको इतनी शक्ति दें कि आप पश्चाताप कर सकें और अपनी गलतियों को न दोहराने की प्रार्थना करें।
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संध्याकाल की पूजा हमेशा सही समय पर करनी चाहिए। ऐसा माना जाता है कि यह पूजा हमेशा सूर्यास्त के समय यानी सूर्यास्त के एक घंटे पहले और सूर्यास्त के एक घंटे बाद तक इसका सही समय होता है। कभी भी संध्याकाल की पूजा रात्रि में नहीं करनी चाहिए। संध्या पूजा का सही समय गोधूलि बेला का ही माना जाता है। इसके अलावा आपको संध्या पूजा रोज एक निश्चित समय पर ही करनी चाहिए। ऐसी सलाह दी जाती है कि यदि आप ऑफिस से लौटकर रोज एक ही समय पर संध्या पूजा करती हैं तो ये आपके लिए लाभकारी हो सकता है।
ऐसा माना जाता है कि यदि घर के सभी सदस्य मिलकर संध्याकाल की पूजा करते हैं तो ये घर के लोगों के बीच सामंजस्य बनाने में मदद करता है। संध्या काल की पूजा से एक साथ करने से आपसी प्रेम बढ़ता है। आप एक साथ मिलकर संध्याकाल में आरती (भगवान की आरती करने का सही तरीका) भी कर सकते हैं ये आपको लाभ देगा।
ऐसा माना जाता है कि जब भी आप संध्याकाल की पूजा करें तब अपने इष्टदेव को ध्यान में रखते हुए एक दीपक जरूर प्रज्ज्वलित करें। ईश्वर पर मुख्य रूप से ध्यान केंद्रित करें और प्रार्थना करें।
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यदि आप संध्या काल में पूजन करते हैं तो आपको ध्यान देने की जरूरत है कि आप इस समय किसी भी तरह का तामसिक भोजन न करें। भूलकर भी मांस मदिरा का सेवन करने के बाद संध्या की पूजा न करें अन्यथा इसके नकारात्मक प्रभाव हो सकते हैं।
यहां बताए कुछ नियमों को ध्यान में रखकर यदि आप संध्या काल की पूजा करते हैं तो आपके घर में माता लक्ष्मी की कृपा सदैव बनी रहती है और सुख समृद्धि आती है। अगर आपको यह लेख अच्छा लगा हो तो इसे शेयर जरूर करें व इसी तरह के अन्य लेख पढ़ने के लिए जुड़ी रहें आपकी अपनी वेबसाइट हरजिन्दगी के साथ।
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