राजसिक, तामसिक और सात्विक भोजन: तीन तरह के होते हैं भोजन, जानें इनमें अंतर

सात्विक भोजन के बारे में तो आपने सुना होगा। लेकिन क्या कभी राजसिक और तामसिक भोजन के बारे में आपने सुना है? इन तीनों में काफी अंतर होता है। 

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सावन का महीना शुरू होने वाला है। इसमें कुछ लोग बिना प्याज-लहसून के खाना खाते हैं। इस भोजन को सात्विक भोजन कहते हैं। वहीं कुछ लोग केवल सोमवार के दिन ही सादा भोजन करते हैं। कभी आपने सोचा है कि क्यों कुछ महीनों में लोग सात्विक भोजन करते हैं और बाकि महीनों में राजसिक व तामसिक भोजन करते हैं? इसका कारण धर्म में छुपा है। धर्म के कथनानुसार कुछ लोग अपने खाने का ख्याल रखते हैं तो कुछ लोग खाने-पीने में धर्म को नहीं मानते हैं। अब आप सोच रही होंगी कि इन तीनों भोजन में अंतर क्या है? अगर आपको इन तीन तरह के भोजन में अंतर नहीं मालूम तो आज हम इस पर ही चर्चा करें।

तीन तरह के होते हैं भोजन

भोजन तीन तरह के होते हैं। आयुर्वेद और योग शास्त्र में मुख्यत: इन तीन तरह के भोजन का उल्लेख किया गया है। पहला राजसिक, दूसरा तामसिक और तीसरा सात्विक। आज हम जानेंगे कि इन तीनों तरह के भोजन में क्या अंतर है और किस तरह के भोजन में क्या खाया जाता है।

राजसिक भोजन

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ऐसा भोजन राजघरानों में बनता था इसलिए इसे राजसिक भोजन कहा जाता है। इस तरह के भोजन में नमकीन और मसालेदार भोजन शामिल होते हैं। इनके अलावा इसमें कड़वी और सूखी चीजों को भी शामिल किया जाता है। ऐसा खान-पान मनुष्य के दिमाग को उत्तेजित करता हैं और ये मनुष्य को काफी मात्रा में ऊर्जा देता है।

इसमें चीजों को काफी समय तक पकाया जाता है और प्याज-लहसुन का काफी मात्रा में इस्तेमाल किया जाता है। (Read More:हिन्‍दू धर्म में इन महिलाओं को मिला है सबसे ज्‍यादा खूबसूरत होने का खिताब)

तामसिक भोजन

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इस तरह के भोजन को बनाने में प्याज , लहसुन, तंबाकू, मांस, शराब आदि का इस्तेमाल किया जाता है। ज्यादा पकी की हुई मसालेदार चीजें और खमीर उठी हुई चीजें तामसिक भोजन में शामिल होती हैं। तामसिक भोजन वो हैं जो शरीर और मन को सुस्त करते हैं। इनके अत्यधिक सेवन से जड़ता, भ्रम और भटकाव महसूस होता है।

इनमें मसालों का बहुत अधिक इस्तेमाल होता है इसलिए इसे दोबारा गर्म करके नहीं खाया जा सकता है। क्योंकि मसालों से बनी चीजें दोबारा गर्म करने से सेहत को नुकसान पहुंचाती हैं।

सात्विक भोजन

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सात्विक भोजन बाकि दो तरह के भोजन से काफी अलग होता है। यह एक साधारण भोजन है जिसमें कई तरह की चीजों का इस्तेमाल तो किया जाता है लेकिन इन्हें केवल उबाल कर खाया जाता है। आयुर्वेद और योग शास्त्र के अनुसार इस भोजन को सबसे अच्छा और शुद्ध माना गया है। इसे धार्मिक कर्यों में लगे लोग, योग और पूजा-पाठ करने वाले लोग खाते हैं। यह शरीर को पोषण देता है और दिमाग की शांति बनाए रखता है। ऐसा भोजन करने से कार्य करने की क्षमता का विकास होता है।

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सात्विक भोजन में शामिल होती हैं ये सारी चीजें:

  • ब्रेड/साबुत अनाज
  • फल और सब्जियां
  • फलों का जूस
  • दूध
  • मक्खन और चीज
  • नट्स
  • स्प्राउट्स
  • शहद
  • हर्बल चाय
  • बिना प्याज, लहसुन वाली दाल-सब्जियां
तो ये है तीनों तरह के भोजन में अंतर। आपको किस तरह का भोजन पसंद है, हमें कमेंट में जरूर बताएं।
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