हर महिला चाहती है कि जब वह अपने परिवार को खाना परोसे तो उस खाने में स्वाद के साथ सेहत का रस भी घुला हो। मगर इसके लिए बहुत जरूरी है कि खाना जितनी अच्छी तरह से पकाया गया हो उतनी ही अच्छी तरह से उस खाने को परोसा और खाया भी जाए। आयुर्वेद में खाना खाने के सही नियम कायदों का उल्लेख किया गया है। मसलन, खाने को कैसे परोसा जाए, किस तरह के वातावरण में खाना खाया जाए और खाना खाते वक्त किन बातों को न किया जाए, इन सारी बातों का ध्यान रखा जाना सेहत के नजरिए से बहुत जरूरी है। इस बारे में आयुर्वेद एक्सपर्ट डॉक्टर प्रमोद कहते हैं, ‘भोजन का पौष्टिक होना जितना जरूरी है उतना ही जरूरी उसका सात्विक होना भी है। कहते हैं जैसा खाए अन्न वैसा बने मन। इसलिए खाना खाते वक्त इस बात का ध्यान रखना जरूरी है कि आप किस माहौल में खाना खा रहे हैं।’ खाना खाने के सही तरीकों पर डॉक्टर प्रमोद और भी कई महत्वपूर्ण टिप्स देते हैं।
तेज भूख लगने पर ही खाना खाएं
घड़ी देख कर खाना खाना छोड़ दें। खुद से पूछें कि आपको भूख लग भी रही है या नहीं। जब तक तेल भूख न लगे तब तक खाना नहीं खाना चाहिए। तेज भूख लगने पर जब खाना खाया जाता है तब भोजन में स्वाद स्वाद नहीं बल्कि भूख में स्वाद होता है।
खाना खाते वक्त खाने के बारे में ही सोचें
कई लोग खाना खाते वक्त टीवी या मोबाइल पर ज्यादा और खाने पर कम ध्यान देते हैं। ऐसा करने वाले लोग खाना खाते नहीं है बल्कि खाने को निगलते हैं। आयुर्वेद के अनुसार खाना खाते वक्त केवल खाने के बारे में ही सोचना चाहिए। इससे खाने में मिली एक-एक सामग्री का स्वाद लिया जा सकता है। जब आप केवल खाने पर ध्यान देंगे तो आराम-आराम से उसे चबा कर खाएंगे। चबा कर खाना खाने से उसमें मौजूद सभी पौष्टिक तत्व शरीर में पहुंचते हैं। निगले हुए खाने से शरीर को कोई फायदा नहीं मिलता।
सही वक्त पर पीएं पानी
खाना खाते वक्त अगर आपको बीच-बीच में पानी पीने की आदत है तो उसे सुधार लें। पानी पीना अच्छी आदत है मगर उसे सही वक्त पर पीना चाहिए। खासतौर पर खाना खाने के 1 घंटे पहले और 1 घंटे बाद तक पानी नहीं पीना चाहिए। खाने के बीच में तो पानी बिलकुल भी नहीं पीना चहिए। इससे खाना अच्छे से नहीं पचता है। हो सके तो खाने के साथ सलाद जरूर खाएं। सलाद खाने को अच्छे से पचने में मदद करती है।
गुस्से में न खाएं खाना
आयुर्वेद के मुताबिक कभी भी गुस्से में खाना नहीं खाना चाहिए। जब आपका मन शांत होगा तब ही आप खाना खाने में मन लगा सकेंगी। इसलिए खाना हमेशा ऐसे माहौल में खाएं जहां शांति हो और मन खुश रहे। कभी भी हड़बड़ाहट में खाना न खाएं क्योंकि यदि खाने को अच्छी तरह चबा-चबा कर न खाया जाए तो वह न तो पचता है और न ही उसमें मौजूद पौष्टिक तत्व शरीर को लगते हैं।
खूबसूरती से परोसें थाली
थाली को खूबसूरती के साथ परोसना भी एक कला होती है। कभी भी थाली में एक साथ ज्यादा खाना नहीं परोसना चाहिए। इससे खाने वाले का पेट खाना देख कर ही भर जाता है। वहीं प्लेट में अगर कम खाना परोसा जाता है तो उसे सलीके से परोसा जा सकता है। प्लेट में खाना परोसते वक्त अलग-अलग रंग के फूड आइटम रखें। इससे भी भूख बढ़ती है, साथ ही प्लेट में प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट्स और फाइबर की संतुलित मात्रा होनी चाहिए।
खाना बनाने वाले की करें तारीफ
खाने की कभी आलोचना न करें। जिस महिला ने खाना बनाया है उसकी हमेशा तारीफ करें। यदि आप खाना बनाने वाली महिला की तारीफ करेंगे तो वह और भी चाव से खाना परोसेंगी। इससे खाने का स्वाद भी बढ़ेगा। वहीं खाना परोसने वाली महिला को खुश मन और साफ सुथरी तरीके से खाने को परोसना चाहिए। इससे भी खाने का स्वाद बढ़ जाता है।
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