आपने अक्सर घर के बड़ों को ऐसा कहते हुए सुना होगा कि पूजा घर में किसी भी अन्य वस्तु के साथ किसी बर्तन में जल जरूर रखें। लोग इसके अन्य कारण बताते हैं और इसका महत्व भी अलग बनाते हैं।
ऐसा कहा जाता है कि पूजा के स्थान में रखा हुआ जल इस बात का प्रतीक है कि आप भगवान को भोग अर्पित करने के साथ जल भी अर्पित कर रहे हैं जिससे वो भोजन के साथ जल भी ग्रहण कर सकें।
दरअसल यह बात हमारे शास्त्रों में भी लिखी है कि पूजा के स्थान पर हमेशा जल का लोटा रखने से घर में समृद्धि बनी रहती है। यदि आप पूजा के स्थान ओर तांबे के बर्तन में जल रखते हैं तो यह ज्यादा शुभ माना जाता है। लोगों की मान्यता यह भी है कि पूजा स्थान पर जल रखने से व्यक्ति की मनोकामनाओं की पूर्ति भी होती है और घर में ऊर्जा का संचार होता है। आइए ज्योतिषाचार्य डॉ आरती दहिया जी से जानें कि ऐसा क्यों जरूरी है और इसका महत्व क्या है।
पूजा में जल रखने का कारण
ज्योतिष के अनुसार घर के मंदिर में एक तांबे या अन्य धातु के बर्तन में पानी रखें। इस जल को नियमित रूप से बदलें और इसका छिड़काव घर के हर एक कोने में जरूर करें। घर में जल का छिड़काव करने से सकारात्मक ऊर्जा आती है। इसके साथ ही यह भी कहा जाता है कि पूजा कक्ष में रखा हुआ जल
नकारात्मकता को अवशोषित करता है। जल रखने के लिए सबसे पवित्र धातु तांबे को माना जाता है। इसलिए इसमें ही जल रखना सबसे ज्यादा शुभ होता है। पानी से भरे तांबे के बर्तन को रखना घर की प्रगति के लिए शुभ माना जाता है।
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आरती के बाद जल से किया जाता है आचमन
ऐसी मान्यता है कि जब भी पूजा के बाद आरती समाप्त होती है तब उसका आचमन जल से ही किया जाता है। ऐसा करने का कारण यह है कि जल की पूजा वरुण देव के रूप में होती है और वही दुनिया की हर एक वस्तु की रक्षा करते हैं।
इसलिए पूजा कक्ष में भी जल रखने की सलाह दी जाती है, जिससे समस्त देवी-देवताओं समेत घर के सदस्यों की भी रक्षा हो सके। चूंकि आरती के समय जल का आचमन किए बिना पूजा अधूरी मानी जाती है, इसलिए पूजा घर में जल रखा जाता है जिससे पूजा अधूरी छोड़कर आपको जाना न पड़े और आप उसी जल का इस्तेमाल कर सकें जो पूजा घर में रखा हुआ है।
पूजा घर में रखे जल में डालें तुलसी दल
ऐसी मान्यता है कि यदि आप पूजा घर में रखे जल में तुलसी की कुछ पत्तियां डालकर रखती हैं तो यह जल और ज्यादा पवित्र हो जाता है। यह जल किसी पवित्र नदी का जल भी हो सकता है जो पूजा स्थल को शुद्ध रख सकता है। इसलिए पूजा स्थान पर जल रखना जरूरी माना जाता है।
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जल होता है समृद्धि का प्रतीक
पूजा के स्थान पर रखे हुए जल को समृद्धि का प्रतीक माना जाता है। मान्यता है कि इस जल की ओर सकारात्मक ऊर्जा आकर्षित होती है और यह आपके आस-पास के माहौल में ऊर्जा का संचार करती है जो मन को शांत करने में मदद करती है।
इसके अलावा भक्त द्वारा ईश्वर के दिव्य रूप के पैर और हाथ धोने के लिए उनके ऊपर जल चढ़ाया जाता है। जल से ईश्वर की मूर्तियों को स्नान कराया जाता है और उनका चेहरा धोने के लिए उन पर पानी भी चढ़ाया जाता है। ये उसी प्रकार से होता है जैसे किसी यात्रा के बाद घर में आए मेहमान को जल से पैरों को धोने की सलाह दी जाती है।
पूजा घर में जल रखना ज्योतिष मान्यता होने के साथ हमारी श्रद्धा का भी प्रतीक है और इस बात की ओर इशारा करता है कि जैसे हम भोजन के बाद जल ग्रहण करते हैं वैसे ही मंदिर में भगवान के लिए भी जल रखना जरूरी है।
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