हिंदू धर्म में पूजा का विशेष महत्व बताया गया है और सभी लोग अपने आराध्य की पूजा विशेष ढंग से करते हैं। ऐसी मान्यता है कि हमेशा पूजा करने के बाद आरती जरूर करनी चाहिए, अन्यथा पूजा अधूरी मानी जाती है और ऐसी पूजा भगवान को स्वीकार्य नहीं होती है जिसके पश्चात आरती न की जाए। शास्त्रों में भी इस बात का जिक्र है कि पूजा की पूर्णता आरती से ही है। इसलिए ज्योतिष में इसे विशेष रूप से पूजा के बाद करने की सलाह दी जाती है।
आरती का अर्थ है भगवान को याद करना, उनके प्रति आदर का भाव दिखाना, ईश्वर का स्मरण करना और उनका गुणगान करना। आरती किसी भी उपासक को भगवान के प्रति पूरी तरह से समर्पित होने के भाव को दिखाती है। आरती को भगवान का आशीर्वाद प्राप्त करने का सबसे अच्छा तरीका माना जाता है। आइए नारद संचार के ज्योतिष अनिल जैन जी से पूजा के बाद आरती करने के महत्व के बारे में।
पूजा के बाद आरती क्यों है जरूरी
किसी भी पूजा का समापन हमेशा आरती से करने का मतलब यही है कि यह इस बात का संकेत है कि अब पूजन समाप्त हो गया है और हम भगवान् से कुशलता की कामना करने वाले हैं। आरती को एक हिंदू अनुष्ठान माना जाता है जो एक भगवान के प्रति प्रेम और कृतज्ञता व्यक्त करने का सबसे अच्छा तरीका माना जाता है। यह शब्द संस्कृत शब्द अरात्रिका से लिया गया है, जो उस प्रकाश को संदर्भित करता है जो रात्रि या अंधेरे को दूर करती है।
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आरती कैसे की जाती है
आरती एक बाती या कपूर से निकलने वाली एक छोटी सी लौ होती है, जिसे एक प्लेट पर दीपक के रूप में रखा जाता है। इसे हम पूजा के बाद किसी भी भगवान के सामने घड़ी की दिशा में घुमाते हैं और गोलाकार गति में घुमाएं। आरती (इन जगहों की आरती देखने जरूर जाएं) करना पूरी तरह से ईश्वर की भक्ति की ओर इशारा करता है। इसीलिए शास्त्रों में भी इस बात का जिक्र है कि हमेशा पूजा के बाद आरती करनी जरूरी है।
आरती का महत्व
शास्त्रों के अनुसार पूजा समाप्त करने के बाद आरती करने से पूजा का पूर्ण फल मिलता है। आरती व्यक्ति के आत्म बल को बढ़ाने में मदद करती है। परिवार के साथ मिलकर की गई आरती लोगों के बीच सामंजस्य की बढ़ाती है। आरती के दौरान जब शंख (शंख रखने के वास्तु नियम)और घंटे की ध्वनि होती है तब चारों तरफ का वातावरण स्वच्छ हो जाता है और आस-पास के कीटाणुओं का नाश हो जाता है।
आरती किसी भी व्यक्ति के मानसिक तनाव को दूर करती है और वातावरण की नकारात्मक ऊर्जा को समाप्त करती है। आरती के दौरान जब कपूर और घी जलते हैं तब कीटाणु नष्ट होते हैं और रोगों से मुक्ति मिलती है। आरती व्यक्ति का ध्यान केंद्रित करने में मदद करती है जिससे मानसिक शांति मिलती है। आरती करने से मन पवित्र और तन स्वस्थ रहता है। इसी वजह से शास्त्रों में पूजा के बाद आरती को महत्वपूर्ण बताया गया है।
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इस प्रकार पूजा के बाद आरती करने को शास्त्रों में महत्वपूर्ण बताया गया है और इसके बिना पूजा अधूरी मानी जाती है। अगर आपको यह लेख अच्छा लगा हो तो इसे शेयर जरूर करें व इसी तरह के अन्य लेख पढ़ने के लिए जुड़ी रहें आपकी अपनी वेबसाइट हरजिन्दगी के साथ।
Image Credit: freepik.com
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