Bachchon Par Kyu Nahi Padta Shani Dasha Ka Prabhav: हिन्दू धर्म में शनि देव को कर्मफलदाता माना जाता है। शास्त्रों में इस बात का उल्लेख मिलता है कि शनि देव न्याय करते समय कभी भी भेदभाव नहीं करते हैं। वह व्यक्ति को उनके कर्मों के अनुसार फल प्रदान करते हैं।
Shani Dev: आखिर क्यों बच्चों पर नहीं पड़ती शनि की काली छाया?
शनि देव को कर्मफल दाता माना जाता है। शनि देव न्याय प्रिय देवता हैं और हर व्यक्ति को उसके कर्मों के अनुसार उचित फल प्रदान करते हैं लेकिन माना जाता है कि शनि देव का प्रभाव बच्चों पर नहीं पड़ता है। आइये जानते हैं इसके पीछे का कारण।
वहीं, ऐसा भी उल्लेखित है कि शनि देव की दृष्टि का प्रभाव बच्चों पर नहीं पड़ता है। यानी कि शनि देव बच्चों पर कभी भी अपनी कुदृष्टि नहीं डालते हैं और न ही बच्चों को शनि साढ़े साती या ढैय्या जैसी परिस्थितियों का सामना करना पड़ता है। ज्योतिष एक्सपर्ट डॉ राधाकांत वत्स से जानते हैं इसके पीछे का कारण।
- पौराणिक कथा के अनुसार, महर्षि दधीचि ने देवताओं के हित के लिए अपने प्राण त्याग दिए थे और उन्हीं की हड्डियों से देवराज इंद्र को वज्रास्त प्राप्त हुआ था। उन्हीं महर्षि दधीचि के पुत्र थे ऋषि पिप्लाद।
- ऋषि पिप्लाद का जन्म पीपल के पेड़ के नीचे हुआ था और उनका संपूर्ण जीवन पीपल के पेड़ के नीचे भगवान शिव (आरती के बाद क्यों बोला जाता है भगवान शिव का ये मंत्र) की कथ्गोर तपस्या में ही बीता। भगवान शिव की कृपा से कठोर तप कर उन्होंने ब्रह्म दंड प्राप्त किया था।

- कथा के अनुसार, ऋषि पिप्लाद के मन में हमेशा से ही यह प्रश्न था कि आखिर किन कर्मों के कारण उन्हें अनाथ का जीवन जीना पड़ा। इसी प्रशन के उत्तर की इच्छा लिए एक दिन ऋषि पिप्लाद देव सभा में पहुंचे।
- पिप्लाद मुनि ने सभी से यह प्रश्न किया और उत्तर मिला कि शनिदेव के कारण उन्हें ऐसा जीवन जीने के लिए बाधित होना पड़ा। यह जान पिप्लाद मुनि ने शनि देव से युद्ध का मन बना लिया और उन्हें सजा देने उनके भवन पहुंच गए।

- जब पिप्लाद मुनि शनि देव के सामने पहुंचे तब उन्होंने क्रोध में आकर शनि देव (शनिदेव की पूजा के नियम) पर ब्रह्म दंड से प्रहार कर दिया और उन्हें बच्चों के प्रति क्रूर होने की बात कहकर अपनी पीड़ा व्यक्त की।
- पिप्लाद मुनि कक्रोध देख सभी देवता उहें शांत कराने के लिए शनि देव के भवन पहुंचे और उन्हें समझाने का प्रयास करने लगे। जब ऋषि शांत हुए तो उन्हें इस बात का आभास हुआ कि शनि देव तो मात्र कर्मों का फल देते हैं।
- इसके बाद पिप्लाद मुनि ने शनि देव के समक्ष यह घोषित किया कि शनि देव 12 साल तक के बच्चों पर अपना साया नहीं डालेंगे। 12 वर्ष तक कि आयु अबोध अवस्था जिसमें बच्चे को सही गलत की समझ नहीं होती।

- ऐसे में शनि देव 12 साल तक के बच्चों पर न तो अपनी दृष्टि डालेंगे न ही उन्हें परेशान करेंगे। इसके साटन ही, उन्होंने वरदान दिया कि जो भी व्यक्ति पीपल के पेड़ को जल अर्पित करेगा उसे भी शनि दृष्टि से मुक्ति मिल जाएगी।
तो इस कारण से बच्चों को नहीं सताते शनि देव। अगर आपको यह स्टोरी अच्छी लगी हो तो इसे फेसबुक पर जरूर शेयर करें और इसी तरह के अन्य लेख पढ़ने के लिए जुड़ी रहें आपकी अपनी वेबसाइट हरजिन्दगी के साथ। आपका इस बारे में क्या ख्याल है? हमें कमेंट बॉक्स में जरूर बताएं।
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