भारतीय संस्कृति में कांच की लाल-हरी चूड़ियों को बेहद शुभ और महत्वपूर्ण माना गया है। भारत में शादी के बाद दुल्हन या शादीशुदा महिलाओं का चूड़ियां पहनना अनिवार्य माना गया है। इसके अलावा चूड़ियों को सोलह श्रृंगार का एक हिस्सा माना गया है। रंग-बिरंगी चूड़ियां महिलाओं के हाथ की खूबसूरती को बढ़ा देती है। हिंदुओं में जितना कांच की चूड़ियों का महत्व होता उतना ही पंजाबियों में पंजाबी चूड़ा का महत्व होता है। आजकल चूड़ा पहनने का फैशन इतना बढ़ गया है कि पंजाबियों के अलावा दूसरे लोग भी चूड़ा पहनने लगी हैं। चूड़ा पहनना तो ठीक है लेकिन क्या आप जानते हैं कि चूड़ा को 40 दिन या एक साल तक पंजाबी दुल्हनें क्यों पहनती हैं? यदि नहीं तो चलिए जानते हैं, पंजाबी चूड़ा से जुड़ी महत्वपूर्ण बातें।
वैसे तो शादियों में हर रस्म महत्वपूर्ण होते हैं, लेकिन पंजाबी शादियों में दुल्हनों के लिए चूड़ा पहनाने की रस्म को सबसे महत्वपूर्ण और जरूरी माना गया है। इस रस्म में चूड़ा दुल्हन नहीं खरीदती बल्कि दुल्हन के मामा चूड़ा खरीदकर लाते हैं, पंजाबी चूड़ा में लाल और सफेद रंग की 21 चूड़ियां होती हैं। इस 21 चूड़ा को दूध में डुबोकर दुल्हन को पहनाया जाता है। दुल्हन को पंजाबी चूड़ा शादी के मंडप में उसके मामा जी देते हैं।
दुल्हन अपने चूड़ा को नहीं देख सकती इसलिए दुल्हन की मां हाथों से दुल्हन के आंखों को बंद कर देती है। ऐसा इसलिए किया जाता है ताकि दुल्हन की नजर उसके चूड़े यानी सुहाग को न लगे। पंजाबी चूड़ाको शादी के एक रात पहले दूध में डुबोकर रखा जाता है।
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पंजाबी शादी में जिस प्रकार दुल्हन को चूड़ा पहनाने की रस्म है उसी प्रकार शादी 40 दिन या एक साल बाद चूड़ा उतारने की भी रस्म होती है। पहले के जमाने में चूड़ा उतरने की इस रस्म के लिए छोटा सा आयोजन रखा जाता था, जिसमें करीबी रिश्तेदार और घरवाले मौजूद होते थे। चूड़ा को उतारने के लिए दुल्हन को नदी या तालाब के पास ले जाया जाता था और से उतारकर नदी-तालाब में बहा दिया जाता था। चूड़ा उतारने की इस रस्म में दुल्हन के चूड़ा को उतारा जाता था और दुल्हन का मुंह मीठा कर शगुन दिया जाता था। साथ ही दुल्हन की सास अपनी बहू को सोने या कांच की चूड़ियां पहनाती थीं।
पंजाबियों में जब दुल्हन को उसके मामा के द्वारा लाई गई चूड़ा को पहनाया जाता है। पंजाबी रिवाज के अनुसार एक साल तक चूड़ा को हाथ से नहीं उतारना होता है, लेकिन आज कल ज्यादातर दुल्हनें एक साल के बजाए 40 दिनों तक ही चूड़ा पहनती हैं। चूड़ा को पंजाबियों में शादी शुदा होने का प्रतीक माना गया है। चूड़ा को एक साल तक पहनने को लेकर पंजाबियों में यह मान्यता है कि यह प्रजनन और समृद्धि का संकेत है, इसे अपने पति के भलाई और तरक्की के लिए पहना जाता है (पंजाबी चूड़ा डिजाइन)।
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