देसी गर्ल प्रियंका चोपड़ा अपने ग्लैमरस लुक्स और दिलकश ड्रेस के लिए अक्सर सुर्खियां बटोरती हैं, लेकिन अपने बिना ब्लाउज वाली साड़ी के लिए सोशल मीडिया पर उनकी ट्रोलिंग हो गई। दरअसल प्रियंका चोपड़ा ने एक अंतरराष्ट्रीय मैगजीन के लिए साड़ी में फोटो शूट कराया था और इस दौरान उन्होंने तरुण तहिलियानी की बिना ब्लाउज वाली साड़ी पहनी थी। यह लुक प्रियंका चोपड़ा के फैन्स को पसंद नहीं आया और उन्होंने अपनी नाराजगी जाहिर की। इंस्टाग्राम पर मैगजीन की कवर फोटो शेयर करते हुए प्रियंका चोपड़ा ने गर्व के साथ लिखा, 'साड़ी भारत के सबसे प्रतिष्ठित परिधानों में से एक है, जो मौसम बदलने पर भी स्टाइल से बाहर नहीं होती। मैं जब साड़ी पहनती हूं तो मुझे बहुत अच्छा महसूस होता है।'
ट्रोलर्स ने क्या कहा
सोशल मीडिया पर एक यूजर ने प्रियंका चोपड़ा को ट्रोल करते हुए लिखा, 'हमारी संस्कृति को इतनी गलत तरीके से ना दिखाएं। हमारी संस्कृति ऐसी नहीं है।' एक और यूजर ने लिखा है, 'ये लोगों को गुमराह करने जैसा है। जिसे आपने ने पहना हुआ है, उसे साड़ी नहीं कहा जा सकता है।
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इस पर फैशन डिजाइनर तरुण तहिलियानी ने प्रियंका चोपड़ा का बचाव करते हुए अपने इंस्ट्राग्राम अकाउंट में प्रियंका की तस्वीरें शेयर करते हुए कहा, 'चोली का यूज ना करना अश्लील नहीं है, यह इस तस्वीर को एक ग्लोबल स्टेटमेंट बनाता है।'
साथ ही तरुण तहिलियानी ने आगे कहा,
इस मामले पर जाने-माने फैशन डिजाइनर जतिन कोचर का कहना है,
बॉलीवुड में कई एक्ट्रेसेस ने कैरी किया है ये लुक
गौरतलब है कि बिना ब्लाउज की साड़ी का ट्रडीशन भारत के कई हिस्सों में रहा है। बंगाल में इस तरह से साड़ी पहनने का प्रचलन लंबे समय से रहा है। ऐश्वर्या राय अपनी फिल्म 'चोखेर बाली' में इसी तरह के लुक में नजर आईं। इससे पहले राज कपूर की फिल्म 'मेरा नाम जोकर' में वैजंती माला इस लुक में नजर आईं। अपने समय की चर्चित फिल्म रही 'सत्यम शिवम सुंदरम' में जीनत अमान इसी लुक में नजर आईं। 'वीर जारा' फिल्म में भी प्रीति जिंटा गाने 'जानम देख लो' के एक लुक में इसी तरह से नजर आईं। और हाल-फिलहाल में अनुराग बासु के नए शो 'चोखेर बाली'(टीवी सीरियल) में राधिका आप्टे भी बिना ब्लाउज वाले लुक में नजर आई हैं।
अंग्रेजोंनेदियाब्लाउजफैशन
बिना ब्लाउज वाली साड़ी बंगाल में उस समय भी प्रचलित थी, जब देश में अंग्रेजों का आगमन हुआ। उस दौरान अंग्रेज महिलाएं खुद को सिर से पांव तक कोरसेट में ढंक कर रखती थी। माना जाता है कि ज्ञानंदिनी देवी ने देश में साड़ी के साथ ब्लाउज पहनने की परंपरा की शुरुआत की थी। ऐसा उन्होंने भारतीय महिलाओं को इंग्लिश क्लबों में एंट्री दिलाने के मकसद से किया था, क्योंकि अंग्रेजों को बिना ब्लाउज के साड़ी पहनना काफी आपत्तिजनक लगता था।
क्या कहता है इतिहास
भारत में कपड़े पहनने को लेकर कभी भी किसी तरह का कोड नहीं रहा है। महिलाएं और पुरुष अपनी इच्छानुसार कपड़े पहनते रहे हैं। अगर देश के प्रख्यात चित्रकार राजा रवि वर्मा की बात करें तो उनकी पेंटिंग्स में ज्यादातर महिलाएं बिना ब्लाउज के ही नजर आती हैं। उनकी ये सभी पेंटिंग्स अपनी खूबसूरती के लिए चर्चित हैं।
मौर्य और शुंग वंश के स्कल्पचर्स से इस बात का पता चलता है कि 300 ईसा पूर्व पुरुष और महिलाएं दोनों एक ही तरह के कपड़े पहनते थे। चौकोर आकार वाले कपड़े ऊपर और नीचे पहने जाते थे। वहीं गुप्त वंश के समय की मूर्तियों को देखने से पता चलता है कि उस समय में महिलाओं का ऊपरी हिस्सा ढंका ना होना भी सामान्य बात थी। तब ऐसी कोई शिकायत नहीं होती थी कि हमारी संस्कृति बिगड़ रही है।
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