Lord Vishnu And Narad: नारद जी को भगवान विष्णु का परम भक्त माना जाता है। नारद जी समस्त ब्रह्मांड में कहीं भी भ्रमण कर लें और किसी भी अवस्था में हों परंतु नारायण नाम का जाप नहीं भूलते लेकिन आज हम आपको एक ऐसी कथा के बारे में बताने जा रहे हैं जिसके अनुसार भगवान विष्णु को एक समय पर अपने प्रिय भक्त देवर्षि नारद के श्राप का भागी बनना पड़ा था।
हमारे ज्योतिष एक्सपर्ट डॉ राधाकांत वत्स ने इस कथा का जिक्र करते हुए हमें यह बताया कि एक बार भगवान विष्णु अपने वैकुण्ठ धाम में चित्रकला में व्यस्त थे। जब देवर्षि नारद वहां पहुंचे तो उन्होंने देखा कि देवादि देव महादेव, ब्रह्मदेव आदि समेत सभी देवतागण भगवान विष्णु के दर्शनों के लिए आतुर हो रहे हैं लेकिन श्री हरि तो चित्रकला में व्यस्त हैं।
- देवर्षि नारद को इस तरह सभी देवताओं का प्रतीक्षा में खड़े रहना अच्छा नहीं लगा जिसके बाद वो माता लक्ष्मी के पास पहुंचे और उनसे पूछने लगे कि प्रभु किसके चित्रण में व्यस्त हैं।

- माता लक्ष्मी ने मंद मंद मुस्कान के साथ यह कहा कि श्री हरि अपने सबसे प्रिय भक्त की तस्वीर बना रहे हैं। यह सुन नारद जी को मन ही मन यह उम्मीद जागने लगी कि भगवान विष्णु (भगवान विष्णु को क्यों कहा जाता है नारायण) के प्रिय भक्त तो वही हैं ऐसे में अवश्य भगवान विष्णु उन्हीं का चित्र बना रहे होंगे।
- नारद जी भगवान विष्णु के समीप पहुंचे और उनके द्वारा बनने जाने वाले चित्र को देखने का प्रयास करने लगे। जब नारद जी की तस्वीर पर नजर पड़ी तो उन्होंने देखा कि भगवान विष्णु एक गंदे और अर्धनग्न व्यक्ति का चित्र बना रहे थे।
- नारद जी को यह देख गुस्सा आया कि भगवान विष्णु सभी देवताओं को छोड़ एक गंदे व्यक्ति का चित्र बना रहे हैं और वह उल्टे पैर पृथ्वी लोक जाने के लिए निकल गए। कुछ दिन नारद जी ने पृथ्वी पर ही भ्रमण किया।

- भ्रमण के दौरान अचानक नारद जी को वही व्यक्ति नजर आया जिसका चित्र भगवान विष्णु बना रहे थे। नारद जी ने युक्ति लगाई और अदृश्य रूप में उस व्यक्ति की दिनचर्या पर नजर रखने लगे।
- नारद जी ने देखा कि वह व्यक्ति न तो मंदिर जाता है और न ही भगवान की आराधना करता है। यह देखकर नारद जी सोचने लगे कि आखिरकार ऐसा व्यक्ति भगवान का इतना प्रिय कैसे बन सकता है।
- उस व्यक्ति के प्रति भगवान विष्णु का इतना लगाव देख नारद जी क्रोध में आ गए और उन्होंने भगवान विष्णु को श्राप दे दिया जिसके बाद यह श्राप त्रेतायुग में जाकर भगवान विष्णु के अवतार श्री राम (श्री राम की मृत्यु का रहस्य) के समय में फलित हुआ।

- हालांकि सत्य यह था कि वह व्यक्ति भगवान विष्णु की पूजा अपने कर्म के रूप में करता था. यानी कि वह रोज अपना कर्म करता और भगवान विष्णु से इसी तरह नियमित अपने कर्म को बिना किसी दुरभाव के किये जाने की प्रार्थना करता।
तो ये थी नारद जी के भगवान विष्णु को श्राप देने की कहानी। अगर आपको यह स्टोरी अच्छी लगी हो तो इसे फेसबुक पर जरूर शेयर करें और इसी तरह के अन्य लेख पढ़ने के लिए जुड़ी रहें आपकी अपनी वेबसाइट हरजिन्दगी के साथ। आपका इस बारे में क्या ख्याल है? हमें कमेंट बॉक्स में जरूर बताएं।
Image Credit: Pixabay, Herzindagi
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