सुप्रीम कोर्ट ने पीरियड्स लीव वाली याचिका पर सुनवाई से इंकार कर दिया है। कोर्ट ने कहा कि पीरियड्स की वजह से महिलाओं को उनके वर्कप्लेस पर छुट्टी देने के नियम बनाएं। वहीं CJI का कहना है कि अगर पीरियड्स के दौरान छुट्टी की बाध्यता हुई तो आगे चलकर महिलाओं को नौकरी मिलने में भी समस्या हो सकती है।
भले ही सुप्रीम कोर्ट ने छुट्टी की याचिका खारिज क्यों न कर दी हो, लेकिन पीरियड्स कितने दर्दभरे हो सकते हैं ये उस महिला से पूछिए जिसे इनके साथ-साथ घर का सारा काम करने के बाद ऑफिस में आकर 9 घंटे बैठना होता है। अधिकतर लोग इस बात को काउंटर करते हैं कि 'ये इतने खराब भी नहीं हो सकते', लेकिन पीरियड्स का दर्द किसी हार्ट अटैक के दर्द की तरह हो सकता है ये तो साइंस भी बता चुकी है।
पीरियड्स को लेकर हमेशा चुप रहने की सलाह दी जाती है और यही नहीं घर में अगर किसी महिला को पीरियड्स हैं तो उसे आराम मिलने की जगह काम ही बता दिया जाता है। आज हम आपको बताते हैं कि महिलाओं को पीरियड्स के दर्दभरे दिनों में किन कारणों से छुट्टी मिलनी चाहिए।
पीरियड्स में आराम क्यों है जरूरी?
सबसे पहले आपको यही बता देते हैं कि पीरियड्स में आराम क्यों जरूरी है। इसका सबसे बड़ा कारण है शारीरिक तकलीफ जो इस दौरान हमें झेलनी पड़ती है। आपको एक जगह भी चोट लग जाए और खून निकलने लगे तो आपको कितना दर्द होता है?
अब इस दर्द को पांच दिन तक इमेजिन करें। पीरियड्स में शारीरिक तकलीफ के साथ-साथ मूड स्विंग्स और परेशानी भी होती है। ऐसा नहीं कि ये कोई बहाना है और हर वक्त इसकी जरूरत पड़ती है, लेकिन कई महिलाओं को पीसीओडी और पीसीओएस जैसी समस्याएं भी होती हैं जिनके कारण उन्हें जरूरत से ज्यादा झेलना पड़ जाता है।
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पीरियड्स हर महीने होते हैं, लेकिन कभी भी किसी को इसकी आदत नहीं पड़ सकती है। पीरियड्स की समस्या इतनी विकराल हो जाती है कि कई बार क्रैम्प्स और बैक पेन के कारण बिस्तर से उठने की हिम्मत भी नहीं होती है, ऐसे में फिजिकल और मेंटल स्ट्रेस अलग से आता है।
यही कारण है कि इस दौरान अगर शरीर को थोड़ा आराम मिल जाए तो स्वास्थ्य में ज्यादा सुधार हो सकता है। पीरियड्स के दौरान उन महिलाओं को और भी ज्यादा दिक्कत होती है जो फिजिकल लेबर करती हैं। उन्हें पेल्विक वीकनेस से लेकर हैवी ब्लीडिंग की समस्या तक बहुत कुछ झेलना पड़ सकता है।
पीरियड्स में आराम की जरूरत सभी को होती है और इस दौरान थोड़ी समझदारी दिखाना हमारा फर्ज है।
क्या पीरियड लीव्स से महिलाएं वीक दिखेंगी?
अब बात करते हैं असल मुद्दे की। पीरियड लीव्स को लेकर कई महिलाओं का भी ये मानना है कि कहीं वो इसके कारण वीक ना दिखने लगें। वर्कप्लेस में पीरियड्स की लीव्स को लेकर अगर इशू होता है तो हो सकता है कि उनके पुरुष कलीग्स के मुकाबले उन्हें कम मौके मिलें। पर क्या पीरियड में होने वाले दर्द को झेलने से ही वो स्ट्रॉन्ग दिखेंगी? किसी महिला को ये नेचुरल दर्द सिर्फ इसलिए झेलने को कहा जाए ताकि वो अपने आप को और अपने टैलेंट को साबित कर सके क्या वो सही है?
क्या उसके लिए थोड़े से आराम की उम्मीद करना भी गलत है? ये तो हमेशा से होता आया है कि महिलाओं को पुरुषों के मुकाबले कम मौके दिए जाते हैं और उन्हें वर्कप्लेस में तरह-तरह के भेदभाव झेलने पड़ते हैं, लेकिन क्या ये सही है कि पीरियड्स जो कि बिल्कुल नेचुरल है उसे लेकर उन्हें ये तकलीफ झेलनी पड़े?
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पीरियड लीव्स के फायदे और नुकसान
पीरियड लीव्स अगर किसी महिला को मिलती हैं तो उसे शारीरिक थकान से मुक्ति मिल सकती है। शारीरिक थकान से मुक्ति के साथ-साथ स्ट्रेस लेवल भी कम होगा और इससे वो काम में बेहतर मन लगा पाएंगी। फीमेल वर्कफोर्स उन कंपनियों को ज्यादा मायने देंगी जिनमें इस तरह की लीव्स मिलती हैं। जहां तक मेरा मानना है इसका नुकसान कोई नहीं है, लेकिन फिर भी हो सकता है कि इन लीव्स के कारण फीमेल वर्कफोर्स को हायर करने से लोग बचें।
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मेरे हिसाब से तो पीरियड लीव्स बिल्कुल मिलनी चाहिए। इसके बारे में आपकी क्या राय है? ये हमें आर्टिकल के नीचे दिए कमेंट बॉक्स में बताएं। अगर आपको ये स्टोरी अच्छी लगी है तो इसे शेयर जरूर करें। ऐसी ही अन्य स्टोरी पढ़ने के लिए जुड़ी रहें हरजिंदगी से।
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