Verified by Dr. Vishnu Sharma
पीरियड्स के दौरान बहुत ज्यादा ब्लीडिंग होना एक चिंताजनक समस्या हो सकती है। ब्लीडिंग में जरूरत से ज्यादा ब्लीडिंग को मेडिकल की भाषा में मेनोरेजिया कहा जाता है। इसमें पीरियड्स 7 दिनों से ज्यादा होते हैं या फिर मेंस्ट्रुअल साइकिल 21 दिनों से कम का होता है।
यदि पीरियड्स ज्यादा और लंबे समय तक हो रहे हैं तो अपनी लाइफस्टाइल में बदलाव लाना बेहद जरूरी है, नहीं तो जीवन को पूरी तरह से जीने में मुश्किल आती है। मेनोरेजिया की वजह से एनीमिया का खतरा भी काफी बढ़ जाता है।
मेनोरेजिया का एक लक्षण, इम्यून थ्रोम्बोसाइटोपेनिक (आईटीपी)
कई मामलों में पीरियड्स में ज्यादा ब्लड निकलने के मूल कारणों की जानकारी नहीं होती है, लेकिन यह जानना बेहतर होगा कि यह इम्यून थ्रोम्बोसाइटोपेनिया (आईटीपी) नामक समस्या का एक संकेत हो सकता है।
आईटीपी एक ब्लड डिसऑर्डर है, जहां इम्यून सिस्टम किसी के प्लेटलेट्स पर हमला करता है और उन्हें नष्ट कर देता है। इसलिए, इसे लो प्लेटलेट काउंट के रूप में जाना जाता है, जोकि ब्लड क्लॉट जमने में रुकावट पैदा करता है। ब्लड क्लॉट ना जम पाने के कारण काफी ज्यादा ब्लीडिंग होती है, जिसकी वजह से पीरियड्स में अत्यधिक ब्लीडिंग, आईटीपी के सबसे आम स्पष्ट लक्षणों में से एक है।
आसानी से जख्म होना, थकान, रैशेज होना और लगातार नाक से खून आना, इस समस्या के अन्य चेतावनी वाले संकेत हैं। आज इस आर्टिकल के माध्यम से इसके बारे में जयपुर के एसएमएस मेडिकल कॉलेज और हॉस्पिटल के हेमेटोलॉजिस्ट, हेमेटो-ऑन्कोलॉजिस्ट और बोन मैरो ट्रांसप्लांट फिजिशियन, डॉ विष्णु शर्मा जी बता रहे हैं।
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आईटीपी की पहचान
यदि किसी महिला को कुछ समय से पीरियड्स के दौरान असामान्य रूप से ब्लीडिंग हो रही हो तो यह सलाह दी जाती है कि ब्लड टेस्ट कराएं- आमतौर पर कम्प्लीट ब्लड काउंट (सीबीसी) जरूर कराएं। इस ब्लड टेस्ट से प्लेटलेट काउंट का एक अंदाजा मिल जाता है, यदि वह कम होता है तो वह आईटीपी की ओर इशारा करता है। सामान्य रूप से प्लेटलेट काउंट 150 हजार और 450 हजार के बीच होता है, लेकिन ओटीपी में यह काउंट 100 हजार से कम होता है।
आईटीपी को कैसे मैनेज करें?
यह बताना जरूरी है कि आईटीपी एक जानलेवा बीमारी नहीं है और इसे दवाओं की मदद से आसानी से ठीक किया जा सकता है। उपचार की अवधि आपके प्लेटलेट काउंट और ब्लीडिंग/पीरियड्स की ब्लीडिंग पर निर्भर करता है। सामान्य ब्लड टेस्ट से इस समस्या पर नजर रखने में मदद मिल सकती है और डॉक्टर इस टेस्ट के नतीजों को देखकर उपचार बताने में सक्षम होंगे।
ध्यान रखे
बार-बार ब्लड टेस्ट नहीं कराने की सलाह दी जाती है। ऐसा देखा गया है कि कई रोगी अपने प्लेटलेट काउंट पर नजर रखने के लिए लगातार ब्लड टेस्ट कराते रहते हैं। इससे केवल उनकी बेचैनी बढ़ती है और ऐसा करने से वे कई सारे डॉक्टर की सलाह लेने लगते हैं।
उनमें से कई लोग प्लेटलेट काउंट सामान्य नजर आने पर दवाएं बंद कर देते हैं। यह समझना जरूरी है कि रूटीन टेस्ट कराना जरूरी है, लेकिन यह डॉक्टर की सलाह पर ही करवाना चाहिए। इसके अलावा, नियमित रूप से दवाएं लेना इस समस्या का प्रबंधन करने के लिये बेहद अहम है और उपचार के चक्र को तोड़ा नहीं जाना चाहिए।
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अत्यधिक ब्लीडिंग के मूल कारणों को जानने के लिये महिलाओं को एक मेंस्ट्रुअल डायरी बनानी चाहिए। जिसमें उनके पीरियड्स, फ्लो, वो दिन जब ज्यादा ब्लीडिंग हुई हो और कितने दिनों में ब्लीडिंग खत्म हुई, उसका विवरण लिखें। आईटीपी में, नियमित दवाओं से ज्यादा ब्लीडिंग को नियंत्रित किया जा सकता है और रोगी एक बेहतर जिंदगी जी सकता है।
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