हर महीने महिलाएं और लड़कियां पीरियड से जुड़ी हुई तमाम परेशानियों का सामना करती हैं। पीरियड्स की परेशानियों को समझते हुए केरल राज्य ने एक बहुत बड़ा और अहम फैसला लिया है। केरल सरकार ने एक ऐसा निर्णय लिया है जो बहुत सराहनीय है।
आपको बता दें कि केरल सरकार ने निर्णय लिया है कि उच्च शिक्षा विभाग के तहत आने वाले सभी राज्य विश्वविद्यालयों में पढ़ने वाली छात्राओं को पीरियड्स के दिनों में पीरियड्स लीव दी जाएगी। यह फैसला छात्राओं के लिए बहुत अच्छा माना जा रहा है। तो चलिए जानते हैं इससे जुड़ी हुई मुख्य बातें।
उच्च शिक्षा मंत्री ने किया पोस्ट शेयर
आपको बता दें कि राज्य की उच्च शिक्षा मंत्री आर बिंदु ने एक फेसबुक पोस्ट में पीरियड से जुड़ी एक पोस्ट को शेयर किया है। इस पोस्ट में उन्होंने लिखा है कि 'मासिक धर्म के दौरान छात्राओं को होने वाली मानसिक और शारीरिक कठिनाइयों को ध्यान में रखते हुए सभी विश्वविद्यालयों में मासिक धर्म की छुट्टी लागू करने के लिए आवश्यक कदम उठाए जाएंगे।' आपको बता दें कि एसएफआई के नेतृत्व वाले छात्र संघों की मांगों के बाद सीयूएसएटी में पीरियड लीव को मंजूरी दी गई थी।
सीयूएसएटी ने लिया यह फैसला
केरल की प्रसिद्ध कोचीन विज्ञान और प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय ने प्रत्येक सेमेस्टर में छात्राओं की उपस्थिति में कमी के लिए अतिरिक्त दो प्रतिशत की छूट की मंजूरी दी है। सीयूएसएटी में विभिन्न वर्गों में 8,000 से अधिक छात्र हैं और उनमें से आधे से अधिक लड़कियां हैं। (Hz Exclusive: जानिए क्यों पीरियड्स के दौरान महिलाओं को मिलनी चाहिए छुट्टी)कोचीन विश्वविद्यालय की सराहना करते हुए केरल सरकार ने अपने राज्य के सभी विश्वविद्यालयों के लिए पीरियड लीव देने का फैसला लिया है।
पहली बार लिया गया है ऐसा फैसला
आपको बता दें कि यह कोचीन विश्वविद्यालय के फैसले की सराहना करते हुए केरल में पहली बार यह हुआ है कि किसी शैक्षिक केंद्र ने छात्राओं को मासिक धर्म की छुट्टी दी है। इसके साथ-साथ अब छात्राओं के लिए 73 प्रतिशत उपस्थिति अनिवार्य की गई है। इसके अलावा छात्राओं को 2 प्रतिशत की छूट भी दी गई है।
इसे जरूर पढ़ें- पेड पीरियड लीव के लिए सुप्रीम कोर्ट में दायर की गई जनहित याचिका
इन्हें मिलेगा मातृत्व अवकाश भी
पिछले महीने ही केरल में महात्मा गांधी विश्वविद्यालय ने अपने पाठ्यक्रम के दौरान डिग्री और स्नातकोत्तर छात्राओं के लिए 60 दिनों का मातृत्व अवकाश देने का फैसला किया था।(क्या हैं अबॉर्शन के कानूनी पेंच?)
हाल ही में सुप्रीम कोर्ट में भी मातृत्व लाभ कानून 1961 की धारा 14 का अनुपालन सुनिश्चित करने की मांग के लिए एक याचिका दायर की गई है। आपको बता दें कि माहवारी के दौरान शुरुआती तीन दिन के लिए अवकाश देने के नियम की भी मांग की गई है।
इसे भी पढ़ें: क्या भारत में लीगल है गर्भपात? जानें इससे जुड़े कानून के बारे में
केरल राज्य के इस फैसले से बाकि राज्यों को भी छात्राओं को पीरियड लीव देने पर विचार करना चाहिए क्योंकि हर माह पीरियड के समय कुछ महिलाओं को चिड़चिड़ापन, नींद की समस्या, भारी स्तन, पेट निचले हिस्से में दर्द जैसी समस्याएं होती है। ऐसे में महिलाओं और छात्राओं को पीरियड लीव मिलने से उन्हें राहत जरूर मिलेगी। अगर आपको यह स्टोरी अच्छी लगी हो तो इसे फेसबुक पर जरूर शेयर करें और इसी तरह के अन्य लेख पढ़ने के लिए जुड़ी रहें आपकी अपनी वेबसाइट हरजिन्दगी के साथ। इस आर्टिकल के बारे में अपनी राय आप हमें कमेंट बॉक्स में जरूर बताएं।
image credit- freepik
HerZindagi ऐप के साथ पाएं हेल्थ, फिटनेस और ब्यूटी से जुड़ी हर जानकारी, सीधे आपके फोन पर! आज ही डाउनलोड करें और बनाएं अपनी जिंदगी को और बेहतर!
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों